राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बुधवार (3 सितंबर) को स्मार्ट मीटर योजना को लेकर जोरदार हंगामा देखने को मिला। प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायकों ने सरकार को घेरते हुए करीब 25 मिनट तक नारेबाजी की और वेल में आकर विरोध प्रदर्शन किया। यह मुद्दा विशेष रूप से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा उठाया जाना था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में विधायक रोहित बोहरा ने इसे सदन में उठाया।
सूत्रों के अनुसार, स्मार्ट मीटर योजना के क्रियान्वयन और इसके प्रभावों को लेकर कांग्रेस ने सरकार से कई सवाल किए। कांग्रेस के विधायकों का कहना था कि इस योजना में जनता और उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी की जा रही है, और इसके कारण कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति और बिलिंग संबंधी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने सरकार से जवाब मांगा कि क्या योजना का लाभ सही तरीके से जनता तक पहुँच रहा है।
हंगामे की शुरुआत कांग्रेस की युवा शाखा, यूथ ब्रिगेड, ने की। सबसे पहले मनीष यादव सदन के वेल में पहुंचे और योजना के विभिन्न पहलुओं पर सरकार से सवाल उठाए। इसके बाद अन्य विधायक भी वेल में पहुंचे और नारेबाजी के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर की। हंगामा लगभग 25 मिनट तक चला, जिसके दौरान सदन की कार्यवाही बाधित हो गई।
विधायक रोहित बोहरा ने सदन में कहा कि स्मार्ट मीटर योजना का लाभ केवल शहरों तक सीमित दिखाई दे रहा है, ग्रामीण और छोटे कस्बों के लोग अभी भी इसके दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिलिंग में गड़बड़ी और तकनीकी खामियों के कारण आम जनता को आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर उन्होंने सरकार से स्पष्ट जवाब देने की मांग की।
विपक्ष के हंगामे के बावजूद, सरकार ने कहा कि योजना में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं है और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। सरकार ने विधायकों को भरोसा दिलाया कि सभी शिकायतों और समस्याओं का समाधान किया जाएगा और योजना का लाभ पूरे राज्य में समान रूप से पहुँचाया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि स्मार्ट मीटर योजना जैसे मुद्दे विधानसभा में अक्सर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी बहस का कारण बनते हैं। यह केवल तकनीकी या प्रशासनिक मुद्दा नहीं है, बल्कि जनता की दैनिक जरूरतों और बिजली के खर्च से सीधे जुड़ा हुआ है। इसी कारण कांग्रेस ने इसे उठाकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की।
सदन में हुए हंगामे ने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी महीनों में बिजली और ऊर्जा योजनाओं को लेकर विधानसभा में और भी बहस और विरोध प्रदर्शन होने की संभावना है। विपक्ष का कहना है कि योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जनता की शिकायतों के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
इस प्रकार, राजस्थान विधानसभा में स्मार्ट मीटर योजना को लेकर आज का हंगामा सरकार और विपक्ष दोनों के लिए महत्वपूर्ण संकेत है। यह घटना यह दिखाती है कि विधानसभा में ऊर्जा नीतियों और योजनाओं को लेकर जनता की आवाज और विरोध कैसे राजनीतिक बहस का हिस्सा बन सकते हैं।
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