प्रदेश के रणथम्भौर व सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिन लगातार जनसंख्या वृद्धि के कारण नए क्षेत्रों की तलाश में भटकने को मजबूर हैं, वहीं रामगढ़ विषधारी व मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एनटीसीए की मंजूरी के बाद भी बाघ-बाघिन नहीं लाए जा पा रहे हैं। इन दोनों नवगठित टाइगर रिजर्व में बाघों की जनसंख्या में वृद्धि नहीं होने के कारण पर्यटक भी नहीं जुड़ पा रहे हैं। दोनों टाइगर रिजर्व में दो साल पहले शुरू की गई टाइगर सफारी अभी तक धरातल पर नहीं आ पाई है। रामगढ़ में तीन व मुकुंदरा में पांच पर्यटन जोन में टाइगर सफारी शुरू करने की मंजूरी है, लेकिन पर्यटकों के अभाव में जिप्सी धूल फांक रही है।
लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद दोनों टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी कागजों तक ही सीमित रह गई है। जानकारी के अनुसार रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में 73 व सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 45 बाघ-बाघिन विचरण कर रहे हैं। सरिस्का में पिछले छह माह में 18 शावक नए मेहमान बनकर घूम रहे हैं। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में दो बाघ, एक बाघिन, दो मादा शावक और एक नर शावक घूम रहे हैं। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक बाघ और एक बाघिन है। अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से भेजी गई बाघिन फिलहाल क्लोजर में बंद है।
नीलगाय के अलावा कुछ नहीं दिखता
रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी के नाम पर पर्यटकों को ऐसे जोन में भेजा जा रहा है, जहां नीलगाय के अलावा कोई वन्यजीव नजर नहीं आता। कोई भी पर्यटक महंगा टिकट खरीदकर बाघ और तेंदुआ देखने की चाहत में जंगल में जाता है, लेकिन उसे निराशा हाथ लगती है। जंगल सफारी के रूट भी वन विभाग ने अपनी मर्जी से तय कर रखे हैं, जो पर्यटकों के लिए जोखिम भरे और वन्यजीव विहीन हैं।
एक महीने में एक भी जिप्सी बुक नहीं होती
रामढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी के लिए फिलहाल 9 जिप्सियां अधिकृत की गई हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर पूरे साल घरों के बाहर खड़ी धूल फांक रही हैं। जंगल में टाइगर सफारी शुरू होने के साथ ही लोगों ने अच्छे रोजगार की उम्मीद में जिप्सियां खरीदकर टाइगर रिजर्व में रख लीं।
नेचर गाइड के बिना हो रही टाइगर सफारी
रामगढ़ विषधारी और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में नियमानुसार टाइगर सफारी शुरू नहीं की गई है। टाइगर सफारी में जंगल में हर जिप्सी और कैंटर के साथ एक नेचर गाइड का होना अनिवार्य है, लेकिन दोनों टाइगर रिजर्व में नेचर गाइड की भर्ती प्रक्रिया अब तक कागजों तक ही सीमित रह गई है। करीब आठ महीने पहले वन विभाग ने दोनों टाइगर रिजर्व में नेचर गाइड की भर्ती के लिए आवेदन लिए थे, लेकिन अब तक एक भी नेचर गाइड की नियुक्ति नहीं हो पाई है। टाइगर सफारी के नाम पर बिना नेचर गाइड के जिप्सी में पर्यटकों को जंगल में भेजा जा रहा है, जो नियमों के विरुद्ध है।रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में शिकार के लिए कोई कमी नहीं है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से बाघिनें लाई जानी हैं। स्थानीय स्तर पर बाघ और बाघिनों को लाने की पूरी तैयारी है। हाल ही में 250 चीतल लाने की मंजूरी मिली है, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से लाया जाएगा।
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