राजस्थान के चूरू में स्थित सालासर बालाजी मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है। लोग दूर-दूर से यहाँ भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। हनुमान जयंती के खास मौके पर आइए आपको इस मंदिर के कुछ रहस्य बताते हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएँगे। हनुमान जयंती के पावन अवसर पर मंदिर के कपाट सुबह 2 बजे ही खोल दिए गए थे। आज भगवान को चूरमे का भोग लगाया गया है।
चूरू में बना है मंदिर
सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू में स्थित है। यह मंदिर कई साल पुराना है। साथ ही, इस मंदिर का इतिहास रहस्यमयी है। कहा जाता है कि हनुमान जी ने स्वयं मंदिर के लिए सालासर को चुना था। उन्होंने अपने परम भक्त को स्वप्न में दर्शन दिए और मूर्ति को सालासर में स्थापित करने का आदेश दिया।
भक्त को स्वप्न में दिए दर्शन
सालासर गाँव चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे के पास है। यहाँ बना यह हनुमान मंदिर न केवल एक धाम है, बल्कि एक चमत्कारी इतिहास भी संजोए हुए है। स्थानीय लोगों के अनुसार, सन् 1811 में राजस्थान के नागौर ज़िले के असोटा गाँव में एक जाट किसान रहता था, जो भगवान हनुमान का बहुत बड़ा भक्त था। खेत जोतते समय उसे ज़मीन में एक पत्थर मिला, जिसे हटाने पर उसमें भगवान हनुमान की मूर्ति निकली।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उसी रात भगवान बालाजी असोटा के ठाकुर और उनके परम भक्त मोहनदास महाराज के स्वप्न में प्रकट हुए। उन्होंने मूर्ति को सालासर ले जाकर वहाँ स्थापित करने का आदेश दिया। जब वे बैलगाड़ी पर मूर्ति लेकर पहुँचे, तो बैलगाड़ी जिस स्थान पर स्वतः रुकी, वहाँ मंदिर बन गया। भगवान बालाजी ने अपने भक्त को दाढ़ी-मूँछ के साथ दर्शन दिए थे, इसलिए उनके उसी रूप को वहाँ स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है।
नारियल चढ़ाने से होती है मनोकामनाएँ पूरी
ऐसा माना जाता है कि यहाँ नारियल चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है। यहाँ लाखों की संख्या में भक्त नारियल और ध्वजा चढ़ाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हर साल लगभग 25 से 30 लाख नारियल भक्त चढ़ाते हैं।
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