राजस्थान की राजधानी का गौरव माने जाने वाला जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट इन दिनों लगातार यात्रियों की संख्या में कमी की चुनौती से जूझ रहा है। आँकड़े बताते हैं कि पिछले सात महीनों में करीब डेढ़ लाख यात्रियों की कमी दर्ज की गई है। यह गिरावट न केवल हवाई यात्रा उद्योग के लिए चिंता का विषय है, बल्कि राज्य के पर्यटन कारोबार पर भी असर डाल रही है।
एयरपोर्ट प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, यात्रियों की इस घटती संख्या के पीछे मुख्य कारण फ्लाइट डायवर्जन और फ्लाइट कैंसिलेशन हैं। कई बार तकनीकी कारणों, खराब मौसम और अन्य परिचालन संबंधी समस्याओं के चलते उड़ानों को अंतिम समय पर रद्द करना पड़ता है। नतीजतन, यात्रियों का भरोसा प्रभावित हुआ है और वे अन्य हवाई अड्डों से उड़ान भरने को प्राथमिकता देने लगे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जयपुर एयरपोर्ट की यह स्थिति राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग पर सीधा असर डाल सकती है। जयपुर, जिसे "पिंक सिटी" और "वर्ल्ड हेरिटेज सिटी" का दर्जा प्राप्त है, हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानियों को आकर्षित करता है। ऐसे में यदि एयरपोर्ट पर उड़ानों की स्थिति सामान्य नहीं रही तो अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आना-जाना भी प्रभावित होगा।
होटल और ट्रैवल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि यात्री संख्या में आई गिरावट का असर पहले से दिखने लगा है। कुछ होटल व्यवसायियों के अनुसार, ऑफ-सीजन के बावजूद पिछले साल की तुलना में इस बार बुकिंग कम हुई है। वे मानते हैं कि एयरपोर्ट पर सुचारू संचालन और उड़ानों की नियमितता पर्यटकों की सुविधा और शहर की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है।
दूसरी ओर, एयरपोर्ट प्रबंधन का कहना है कि यात्रियों की समस्याओं को कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। नई तकनीक अपनाई जा रही है और एयरलाइंस कंपनियों के साथ मिलकर उड़ानों के संचालन को बेहतर बनाने पर जोर दिया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले महीनों में स्थिति धीरे-धीरे सुधर सकती है।
स्थानीय यात्रियों का कहना है कि जयपुर से उड़ान भरने की बजाय दिल्ली या अहमदाबाद से फ्लाइट लेना उनके लिए ज्यादा भरोसेमंद हो गया है। कई यात्रियों ने शिकायत की कि वे अक्सर अचानक फ्लाइट कैंसिल होने या डायवर्ट होने से परेशान हो जाते हैं, जिससे समय और पैसे दोनों की हानि होती है।
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। लेकिन यदि एयरपोर्ट की यह स्थिति बनी रही तो प्रदेश में पर्यटन के साथ-साथ व्यापारिक गतिविधियाँ भी प्रभावित हो सकती हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि एयरलाइंस कंपनियों और एयरपोर्ट प्रबंधन को आपसी समन्वय से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। इसके अलावा, यात्रियों का विश्वास बहाल करने के लिए पारदर्शी नीतियों और भरोसेमंद सेवाओं की आवश्यकता है।
कुल मिलाकर, जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या में आई गिरावट एक चेतावनी है। यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह न केवल एयरपोर्ट के संचालन बल्कि राजस्थान के पर्यटन और व्यापार क्षेत्र पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है।
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