जोधपुर हाईकोर्ट ने 16 वर्षीय नाबालिग लड़की की शादी को लेकर उसके परिवार को सख्त फटकार लगाई है। कोर्ट ने नाबालिग के माता-पिता से वचन लिया कि वे लड़की की मर्जी के बिना उसकी शादी 18 साल की उम्र से पहले नहीं करेंगे। इस कार्रवाई के बाद वह लड़की, जो घर छोड़कर भाग गई थी, को उसके माता-पिता के पास सुपुर्द किया गया।
जानकारी के अनुसार, नाबालिग लड़की कुछ समय पहले घर से चली गई थी, जिसकी सूचना पुलिस और परिवार को मिली। इसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा। न्यायालय ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नाबालिग को सुरक्षा और संरक्षण मुहैया कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाबालिग की मर्जी के बिना उसकी शादी को बलपूर्वक करना गैरकानूनी है और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
जोधपुर हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि लड़की की भलाई और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। कोर्ट ने माता-पिता से पूछा कि वे कानून का पालन करने के लिए तैयार हैं या नहीं। इसके बाद माता-पिता ने वचन दिया कि उनकी बेटी की शादी उसकी मर्जी और कानूनी आयु पूरी होने के बाद ही होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय नाबालिग लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में बाल विवाह रोकने के लिए कानून मौजूद है, लेकिन ग्रामीण और कुछ शहरी क्षेत्रों में अभी भी बाल विवाह की घटनाएं सामने आती रहती हैं। ऐसे मामलों में अदालत का हस्तक्षेप लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करता है और परिवारों को कानूनी रूप से जिम्मेदार बनाता है।
पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि नाबालिग को सुरक्षित वातावरण में रखा गया है और उसे मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही परिवार को भी सलाह दी गई कि वे अपनी बेटी के अधिकारों और उसकी भावनाओं का सम्मान करें।
नागरिक समाज और महिला संगठनों ने इस फैसले की सराहना की है। उनका कहना है कि अदालत का यह कदम समाज में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने में मदद करेगा और लड़कियों को अपनी शिक्षा और जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों में सक्रिय भूमिका निभाने का अधिकार देगा।
जोधपुर हाईकोर्ट का यह फैसला इस बात का उदाहरण है कि न्यायपालिका नाबालिगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए तत्पर है। अदालत ने स्पष्ट किया कि 18 साल से कम उम्र में शादी न केवल कानूनी रूप से गलत है, बल्कि यह लड़कियों के शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
इस मामले से यह संदेश मिलता है कि नाबालिग लड़कियों की इच्छा और सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। न्यायपालिका ने अपने निर्णय के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि लड़की की मर्जी और कानूनी उम्र के बिना कोई भी विवाह नहीं होगा।
You may also like

Bihar Election 2025 Second Phase District Wise: बिहार में अब दूसरे चरण की वोटिंग, जानिए किस जिले की किस सीट पर 11 नवंबर को मतदान

पेंशनरों के लिए जरूरी खबर! 30 नवंबर तक करें ये काम, नहीं तो रुक जाएगी पेंशन

Travel Tips: ये हैं सोलो ट्रेवल की चाह रखने वाली महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित और खूबसूरत डेस्टिनेशंस, जान लें

हसीन जहां की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शमी को जारी किया नोटिस, चार हफ्तों में मांगा जवाब

America Tourist Safety: 'लगातार हो रहे हमले....' जानें US में क्यों टूरिस्ट बन रहे हैं निशाना ? यहाँ देखे प्रमुख घटनाओं की सूची





