सेवानिवृत्ति के बाद समाज सेवा के क्षेत्र में एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की अद्भुत पहल ने दर्जनों बच्चों के जीवन में आशा की किरण जगा दी है। शौर्य सेवा संस्थान के संस्थापक कर्नल राजेश भूकर और संतोष सैनी द्वारा स्थापित सावित्रीबाई फुले पाठशाला आज उन वंचित बच्चों के लिए शिक्षा, आश्रय और सम्मान का केंद्र बन गई है, जिन्हें अब तक समाज की मुख्यधारा से दूर माना जाता था।
इस स्कूल के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े बच्चों को न केवल शिक्षा प्रदान की जाती है, बल्कि उनकी भोजन, कपड़े, स्वच्छता और पहचान पत्र जैसी बुनियादी जरूरतों का भी ध्यान रखा जाता है। इस अभियान की विशेष उपलब्धि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए आधार कार्ड बनाना और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ना है।
वर्तमान में इस स्कूल में 50 से अधिक बच्चे नियमित रूप से पढ़ते हैं। हाल ही में एक अन्य पहल के तहत शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत ज्ञानदीप सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 11 बच्चों को दाखिला दिलाया गया है ताकि वे अपनी उच्च शिक्षा जारी रख सकें।
कर्नल राजेश भूकर न केवल अपना समय और संसाधन संस्था को समर्पित कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने स्कूल परिसर के बुनियादी ढांचे में भी सुधार किया है। शुरुआत में बच्चों को टेंट के नीचे पढ़ाई करनी पड़ती थी, लेकिन आज उनके पास टिन शेड, शौचालय, मजबूत फर्श और बैठने के लिए फर्नीचर उपलब्ध है।
शौर्य सेवा संस्थान की संस्थापक संतोष सैनी ने 2009 में महिला सशक्तिकरण, बाल शिक्षा और पशु कल्याण के उद्देश्य से इस एनजीओ की स्थापना की थी। आज यह संगठन अनेक सामाजिक मोर्चों पर काम कर रहा है और कर्नल राजेश जैसे समर्पित व्यक्तियों के सहयोग से इसका प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है।
यह पहल न केवल शिक्षा का माध्यम बनी है, बल्कि इन बच्चों के जीवन में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान भी पैदा कर रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि एक छोटी सी शुरुआत अब समाज में बड़े बदलाव की ओर कदम बढ़ा चुकी है।
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