साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण इस रविवार, 21 सितंबर को लगेगा। यह ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। भारतीय समयानुसार यह रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा, मध्यकाल रात 1 बजकर 11 मिनट पर आएगा और ग्रहण की समाप्ति सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर होगी। हालांकि, यह खगोलीय घटना भारत में दिखाई नहीं देगी क्योंकि इस समय भारत में रात का समय होगा।
ग्रहण दिखाई देगा किन क्षेत्रों मेंविशेषज्ञों के अनुसार, यह आंशिक सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका और कुछ प्रशांत द्वीपों में देखा जा सकेगा। खगोलीय वैज्ञानिकों ने कहा कि ग्रहण के दौरान सूर्य का एक हिस्सा छाया में रहेगा, लेकिन भारत में इसे देखने का अवसर नहीं मिलेगा।
भारत में धार्मिक मान्यताएं और मंदिरहालांकि भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसके बावजूद कई प्रसिद्ध मंदिर ग्रहण काल में भी खुले रहते हैं। राजस्थान के कई मंदिरों में यह परंपरा जारी है।
बीकानेर स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर में ग्रहण काल में दर्शन की सुविधा उपलब्ध रहती है। इसके अलावा नाथद्वारा का श्रीनाथजी मंदिर भी ग्रहण काल में बंद नहीं होता। इन मंदिरों में मान्यता है कि भगवान श्रीनाथ ने गिरिराज पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था, और उसी तरह वे अपने भक्तों को ग्रहण के दुष्प्रभाव से सुरक्षित रखते हैं।
ग्रहण काल में पूजा-विधिमान्यता है कि ग्रहण के समय मंदिर खुले रहते हैं, लेकिन पूजा-विधि में केवल दर्शन होते हैं। अन्य पूजा और धार्मिक अनुष्ठान इस दौरान टाल दिए जाते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस समय भगवान की कृपा विशेष रूप से मिलती है और उन्हें ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा मिलती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोणखगोलशास्त्र विशेषज्ञों के अनुसार, सूर्य ग्रहण की घटनाओं का अध्ययन पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के संरेखण से होता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में सूर्य का केवल एक भाग ही चंद्रमा की छाया में आता है। यह वैज्ञानिक दृष्टि से एक सामान्य खगोलीय घटना है और खगोल विज्ञान में इसके महत्व को कई शोधों में दर्शाया गया है।
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