अलास्का के एंकोरेज में डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की आमने-सामने मुलाक़ात करीब तीन घंटे चली, लेकिन न तो युद्धविराम पर कोई सहमति बनी और न कोई ठोस समझौता निकला.
ट्रंप ने कहा, "कोई समझौता तब तक नहीं होता, जब तक असल में समझौता नहीं हो जाता." उन्होंने ये भी माना कि, "हम वहां तक नहीं पहुंचे".
पुतिन ने संघर्ष ख़त्म करने की बात की, लेकिन "मूल कारण" दूर करने का ज़िक्र किया और अगली मुलाक़ात के लिए "अगली बार मॉस्को में" का संकेत दिया.
संयुक्त बयान जारी किया गया, लेकिन दोनों नेताओं ने पत्रकारों के सवाल नहीं लिए.
बातचीत वन-ऑन-वन (सिर्फ़ दोनों नेताओं के बीच) से बढ़कर थ्री-ऑन-थ्री (दोनों नेताओं के साथ दो-दो सलाहकारों के बीच) हुई.
बंद कमरे में बातचीतशुरुआती योजना अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच अकेले में मुलाक़ात की थी, लेकिन अंतिम समय पर बदलाव हुआ और वार्ता "थ्री-ऑन-थ्री" फ़ॉर्मेट में हुई. यानी दोनों राष्ट्रपतियों के साथ दो-दो प्रमुख सलाहकार भी मेज़ पर मौजूद थे.
अमेरिका की तरफ़ से विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ शामिल थे, जबकि रूस की तरफ़ से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव भी मौजूद थे.
बता दें कि इस वार्ता में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की या यूक्रेन का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं था, जबकि चर्चा का मुख्य विषय यूक्रेन युद्ध ही था.
ज़ेलेंस्की ने बातचीत से पहले कहा था कि रूस की तरफ़ से युद्ध ख़त्म करने का "कोई संकेत" नहीं है.
संघर्ष के मूल कारण ख़त्म करने होंगे- पुतिनक़रीब तीन घंटे चली इस मुलाक़ात के बाद व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को ख़त्म करने में रूस "ईमानदारी से रुचि" रखता है.
उन्होंने युद्ध को एक "त्रासदी" बताया, लेकिन ज़ोर देकर कहा कि किसी टिकाऊ समझौते के लिए पहले इस संघर्ष के "मूल कारणों" को ख़त्म करना होगा.
पुतिन ने पश्चिमी देशों और यूक्रेन को आगाह किया कि शांति प्रक्रिया में किसी तरह की "बाधा" या "नुक़सान" न पहुंचाई जाए. अपनी टिप्पणी में उन्होंने इस मुलाक़ात को संघर्ष के समाधान की दिशा में एक "स्टार्टिंग प्वाइंट" क़रार दिया.
पुतिन ने ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को "व्यावसायिक" बताया और ट्रंप के उस दावे से सहमति जताई कि अगर वह 2020 के चुनाव के बाद भी पद पर बने रहते तो युद्ध शुरू नहीं होता.
उन्होंने कहा, "ट्रंप साफ़ तौर पर अपने देश की समृद्धि की परवाह करते हैं लेकिन समझते हैं कि रूस के अपने हित हैं."
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि दोनों के बीच "कई मुद्दों पर सहमति बन गई" लेकिन कुछ मुद्दे अब भी बचे हुए हैं.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि "कोई समझौता तब तक नहीं होता, जब तक असल में समझौता नहीं हो जाता".
उनके अनुसार बातचीत में "प्रगति" हुई है लेकिन फिलहाल समझौते तक नहीं पहुंचा जा सका है. उन्होंने कहा, "हम वहां तक नहीं पहुंचे".
ट्रंप का कहना है कि अब वह नेटो सहयोगियों, यूरोपीय नेताओं और सीधे राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि किसी समझौते पर अंतिम फ़ैसला "आख़िरकार उन्हीं पर निर्भर करता है."
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब नहीं दिए गए
- ट्रंप और पुतिन की अगले सप्ताह मुलाक़ात, रूस-यूक्रेन जंग रोकने पर क्या बनेगी बात?
- ट्रंप-पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली मुलाक़ात पर यूरोपीय नेताओं का क्या कहना है
- ट्रंप की भारत पर सख़्ती की 'असली' वजह रूसी मीडिया तेल नहीं, कुछ और बता रहा
ट्रंप ने संयुक्त बयान को पुतिन को धन्यवाद देकर ख़त्म किया और उन्हें "व्लादिमीर" कहकर संबोधित किया.
उन्होंने कहा, "हम आपसे बहुत जल्द बात करेंगे और शायद आपसे फिर बहुत जल्द मिलेंगे."
इस पर पुतिन ने अंग्रेज़ी में जवाब दिया, "अगली बार मॉस्को में."
इसके बाद दोनों नेताओं ने मंच पर हाथ मिलाया और पत्रकारों के लगातार पूछे गए सवालों को नज़रअंदाज़ करते हुए मंच से उतर गए. किसी पक्ष ने मीडिया के सवालों के जवाब नहीं दिए और न ही अगली बैठक के बारे में कोई पुख़्ता जानकारी दी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल नहीं लेने के फ़ैसले पर रूस की ओर से बयान सामने आया है. रूसी समाचार एजेंसी तास के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति के प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि व्यापक टिप्पणी करने के कारण सवाल नहीं लेने का निर्णय लिया गया.
जब उनसे पूछा गया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस आख़िरकार केवल नेताओं के बयानों के रूप में क्यों हुई, तो उन्होंने जवाब दिया, "व्यापक बयान दिए गए थे."
उन्होंने कहा, "बातचीत वाकई बहुत अच्छी रही और दोनों नेताओं ने यही कहा. इस तरह की बातचीत से मिलकर शांति का रास्ता तलाशने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए जा सकते हैं."
एंथनी जर्चर, बीबीसी के उत्तरी अमेरिका संवाददाता का विश्लेषणबीबीसी संवाददाता एंथनी जर्चर कहते हैं कि ट्रंप का यह बयान "कोई समझौता तब तक नहीं होता, जब तक असल में समझौता नहीं हो जाता", दरअसल बिना नतीजे वाली वार्ता को घुमा-फिराकर स्वीकार करने का एक तरीका था.
डोनाल्ड ट्रंप ने एंकोरेज में शिखर वार्ता के बाद अपने शुरुआती बयान में यह बात कही. कई घंटों की बातचीत के बाद आख़िरकार न तो युद्धविराम हुआ और न ही कोई ठोस नतीजा निकला.
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने और व्लादिमीर पुतिन ने "कुछ बड़ी प्रगति" की है, लेकिन इसके बारे में बहुत कम जानकारी दी, जिससे बाकी दुनिया के लिए यह सब अनुमान का विषय बना रहा.
ट्रंप ने बाद में कहा, "हम वहां तक नहीं पहुंचे." वो बिना किसी सवाल का जवाब दिए कमरे से बाहर चले गए, जबकि वहां सैकड़ों पत्रकार मौजूद थे. लंबी यात्रा कर इस मुलाक़ात तक पहुंचे ट्रंप के पास बताने के लिए आख़िरकार केवल अस्पष्ट बयान थे.
हालांकि, अमेरिका के यूरोपीय सहयोगी और यूक्रेनी अधिकारी इस बात से राहत महसूस कर सकते हैं कि ट्रंप ने कोई एकतरफ़ा रियायत या ऐसा समझौता नहीं किया जो भविष्य की वार्ताओं को कमज़ोर कर दे.
ट्रंप-पुतिन की मुलाक़ात पर भारत की भी नज़रडोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की इस मुलाक़ात से पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने ये कहा था कि अगर ट्रंप और पुतिन की बातचीत बेनतीजा रही तो भारत पर टैरिफ़ और बढ़ा दिया जाएगा.
ट्रंप की दलील है भारत पर जितना अधिक टैरिफ़ लगेगा, रूस पर उतना ही दबाव बनाया जा सकेगा.
अमेरिका का कहना है कि भारत रूस से तेल ख़रीदकर वहां की अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है इसलिए ट्रंप नाराज़ हैं.
डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि भारत रूस से तेल ख़रीद रहा है ऐसे में रूसी अर्थव्यवस्था को मिल रही इस मदद की वजह से पुतिन यूक्रेन के ख़िलाफ़ लड़ाई बंद नहीं कर रहे हैं.
ट्रंप ने 7 अगस्त को भारत के ख़िलाफ़ 25 फ़ीसदी टैरिफ़ को बढ़ाकर 50 फ़ीसदी करने का एलान किया था. जिसके बाद नज़रें अलास्का में होने वाली ट्रंप और पुतिन की मुलाक़ात पर टिकी थीं.
ट्रंप और पुतिन की मुलाक़ात की पुष्टि होने के बाद 9 अगस्त को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इस बैठक का स्वागत किया था.
बयान में कहा गया था, "भारत, अमेरिका और रूस के बीच 15 अगस्त 2025 को अलास्का में होने वाली बैठक के फै़सले का स्वागत करता है. इस बैठक से उम्मीद है कि यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने और शांति की संभावनाओं को आगे बढ़ाने का रास्ता खुलेगा. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं, 'यह युद्ध का दौर नहीं है.' इसलिए भारत आगामी शिखर बैठक का समर्थन करता है और इन प्रयासों में सहयोग देने के लिए तैयार है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
- ट्रंप और पुतिन मुलाक़ात के बहाने एक-दूसरे से क्या हासिल करना चाहते हैं?
- ट्रंप-पुतिन की अलास्का में मुलाकात, भारत के लिए नया मोड़ या नई मुश्किल?
- अलास्का में मिलेंगे ट्रंप और पुतिन, जो कभी रूस का हिस्सा था
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