लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक को लेकर सरकार को घेरा.
उन्होंने कहा, "रक्षा मंत्री राजनाथ के कल के लंबे भाषण में एक बात छूट गई कि बैसरन वैली पर्यटक स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी."
उन्होंने सरकार से पूछा कि पहलगाम हमले के बाद गृह मंत्री या खुफिया विभाग के किसी व्यक्ति का इस्तीफ़ा क्यों नहीं हुआ?
वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, "कुछ समय पहले सरकार कह रही थी कश्मीर में शांति है, वहां अमन चैन है, शांति का वातावरण है कश्मीर चलिए, सैर करिए. शुभम द्विवेदी की छह महीने पहले शादी हुई थी वो कश्मीर की बैसरन वैली पहुंचे थे."
पहलगाम हमले में मारे गए 26 लोगों में शुभम द्विवेदी भी एक थे, जिन्हें उनकी पत्नी के सामने ही चरमपंथियों ने मार दिया.
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में एक चरमपंथी हमला हुआ था, इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी. मरने वालों में 25 पर्यटक थे और एक स्थानीय युवक.
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प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा, "सिक्योरिटी क्यों नहीं थी, वहां एक भी सैनिक क्यों नहीं दिखा. क्या सरकार को ये मालूम नहीं था कि रोज़ वहां हज़ार से पंद्रह सौ पर्यटक जाते हैं. क्या मालूम नहीं था कि वहां पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते होकर जाना पड़ता है, अगर कुछ हो गया तो लोग क्या करेंगे."
उन्होंने कहा, "चिकित्सक या फ़र्स्ट एड का इंतज़ाम नहीं था. न सुरक्षा का इंतज़ाम था. ये लोग वहां सरकार के भरोसे गए थे, सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया."
प्रियंका गांधी ने कहा कि पहलगाम में सुरक्षा चूक पर मोदी सरकार चुप है. उन्होंने कहा कि नेहरू से लेकर उनकी माँ के आंसुओं तक मोदी सरकार ने सब कुछ कहा, लेकिन जिस पर कुछ कहने की ज़रूरत है- वो है पहलगाम की नाकामी.
प्रियंका ने कहा, "मेरी मां के आंसू की बात हुई है. मेरी मां के आंसू तब गिरे जब उनके पति को आतंकवादियों ने शहीद किया. तब वो मात्र 44 साल की थीं. आज अगर मैं इस सदन में खड़ी हूँ और उन 26 लोगों की बात कर रही हूँ तो मैं इसलिए कर रही हूँ क्योंकि मैं उनका दर्द जानती हूँ, महसूस करती हूँ."
दरअसल, अमित शाह ने अपने भाषण में बाटला हाउस केस का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी पर निशाना साधा था. शाह ने सलमान खुर्शीद के एक वीडियो का हवाला देते हुए सोनिया गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने 'आतंकवादियों' के लिए आंसू बहाए थे.
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वहीं 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा का पहला दिन था जिसकी शुरुआत देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की.
उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान अगर फिर कोई हरकत करता है तो हम और भी कठोर कार्रवाई करेंगे. पाकिस्तान के मन में ग़लतफ़हमी थी, उसे हमने ऑपरेशन सिंदूर से दूर कर दिया. अगर कुछ बचा होगा तो उसे भी दूर कर देंगे."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "पाकिस्तान के साथ कोई संघर्ष नहीं है. यह सभ्यता बनाम बर्बरता का संघर्ष है. अगर कोई हमारी संप्रभुता को नुक़सान पहुंचाएगा तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा."
राजनाथ सिंह ने कहा-
- हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं. हम आज भी कहते हैं कि समृद्ध पाकिस्तान हमारे हित में है.
- नरेंद्र मोदी सरकार का रुख़ स्पष्ट है- बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.
- पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पागलपन नहीं, सोची-समझी साज़िश का हिस्सा है. यह एक टूलकिट है, जिसे पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने एक नीति के तहत अपनाया हुआ है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस चर्चा में भाग लिया और भारत-पाकिस्तन के बीच सीज़फ़ायर में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के दावों को पूरी तरह से ख़ारिज़ कर दिया.
एस. जयशंकर ने कहा-
- 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
- 9 मई को अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर ये जानकारी दी कि अगले कुछ घंटों में पाकिस्तान बड़ा हमला कर सकता है.
- 25 अप्रैल से लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू होने तक, कई फोन कॉल और बातचीत हुईं. मेरे स्तर पर 27 कॉल आई, प्रधानमंत्री मोदी के स्तर पर लगभग 20 कॉल आई
- प्रधानमंत्री ने अपने जवाब में यह स्पष्ट कर दिया कि अगर ऐसा कोई हमला होता है, तो हमारी ओर से इसका उचित जवाब दिया जाएगा.
- सीमा पार आतंकवाद की चुनौती जारी है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने भारत का एक चेहरा पेश किया है.
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दूसरी ओर विपक्ष ने सीज़फ़ायर कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए. इस दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, दीपेंद्र हुड्डा, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत के बयानों की चर्चा रही.
गौरव गोगोई ने कहा, "हम सरकार के दुश्मन नहीं हैं, हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में आज भी सरकार के साथ हैं, लेकिन सच्चाई सामने आनी चाहिए. हमें उम्मीद थी कि गृह मंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेंगे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) पूरे घटनाक्रम की जानकारी देंगे."
"हम सब एकजुट हुए और पूरा समर्थन पीएम मोदी को दिया. पूरा देश पीएम मोदी जी के साथ था लेकिन 10 मई को सूचना आती है कि सीजफ़ायर हो गया. क्यों हुआ? पहले 21 टार्गेट चुने गए थे और फिर नौ क्यों हुए?"
"पाकिस्तान वास्तव में अगर घुटने टेकने के लिए तैयार था, तो आप क्यों रुके, आप क्यों झुके. किसके सामने आपने सरेंडर किया?"
"अमेरिका के राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि हमने जंग रुकवाई. राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि पांच-छह जेट गिरे हैं. आप बताइए कि कितने जेट गिरे?"
वहीं एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि "पानी और ख़ून एकसाथ नहीं बह सकते" और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई प्रतिबंध लगाए थे, तो 14 सितंबर को एशिया कप में भारत की क्रिकेट टीम पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कैसे खेलेगी?
उन्होंने कहा, ''जिन इंसानों को बैसरन की वादियों में मारा गया था. पाकिस्तान से ट्रेड बंद है. वहां के प्लेन यहां नहीं आ सकते. जल क्षेत्र में जहाज़ नहीं आ सकता है. आपका ज़मीर ज़िंदा क्यों नहीं है. किस सूरत से आप पाकिस्तान से क्रिकेट खेलेंगे.''
ओवैसी ने यह भी कहा कि उनका अपना ज़मीर भारत और पाकिस्तान के बीच वह क्रिकेट मैच देखने की इजाज़त नहीं देता.
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