Next Story
Newszop

महिलाओं को सबसे ज़्यादा क्यों जकड़ रहा है माइग्रेन? छह प्वाइंट में समझिए लक्षण, कारण और निदान

Send Push
Getty Images महिलाओं में दिमागी परेशानी का एक सबसे बड़ा कारण माइग्रेन है

माइग्रेन यानी सिर में तेज़ दर्द... और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में लगभग एक अरब लोग इससे पीड़ित हैं.

यह एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण सिरदर्द इतना तेज़ होता है कि रोज़मर्रा का काम करना मुश्किल हो जाता है.

अमेरिका के स्कॉट्सडेल स्थित मेयो क्लीनिक में न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग कहती हैं कि माइग्रेन महज़ सिरदर्द नहीं है, बल्कि यह दिमाग के काम करने के सभी तरीकों को प्रभावित करता है.

वो कहती हैं, "जिस व्यक्ति को माइग्रेन का दौरा पड़ता है उसका उपचार केवल एस्पिरिन लेने से नहीं होता. दौरे के दौरान दर्द इतना बढ़ जाता है कि दिमाग की काम करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है."

1. महिलाओं की परेशानी का बड़ा कारण माइग्रेन image Getty Images

एक शोध के अनुसार 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में दिमागी परेशानी का एक सबसे बड़ा कारण माइग्रेन है.

पुरुषों की तुलना में महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं. करीब चार में से तीन मरीज़ महिलाएं होती हैं.

सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर में न्यूरोलॉजी विभाग की वरिष्ठ प्रोफ़ेसर और डिपार्टमेंट हेड डॉ. भावना शर्मा बताती हैं, "माइग्रेन पर हार्मोनल बदलाव का गहरा असर पड़ता है. यह बदलाव महिलाओं में सबसे ज़्यादा पाए जाते हैं."

वह कहती हैं, "इसका एक कारण यह भी है कि महिलाएं दोहरी भूमिका में हैं. घर और दफ़्तर के बीच उनको आराम का समय कम मिल रहा है. इसके कारण उनकी नींद नहीं पूरी हो रही है और इससे उपजा तनाव भी माइग्रेन को ट्रिगर कर रहा है."

वह बताती हैं कि नींद की कमी और तनाव के कारण माइग्रेन की समस्या लगातार हो सकती है. इसकी वजह से मरीज़ के काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है.

डॉ. शर्मा बताती हैं, "दौरे के अंतिम चरण में दिमाग को धुंधलापन महसूस होता है और अत्यधिक थकान आती है. यह स्थिति इतनी पीड़ादायक होती है कि मरीज़ हमेशा चिंतित रहते हैं कि अगला दौरा कभी भी पड़ सकता है."

इस डर की वजह से वे यह योजना नहीं बना पाते कि अगले दिन या कुछ दिनों बाद उन्हें कैसे काम करना है या बाहर जाना है.

image BBC 2. माइग्रेन के लक्षण image Getty Images कई बार लोग गर्दन या साइनस से होने वाले सिरदर्द और माइग्रेन में फ़र्क नहीं कर पाते

माइग्रेन के दौरे के लक्षण कई चरणों में आते हैं.

डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग ने बताया, "माइग्रेन के दौरे के पहले चरण में कुछ ना कुछ खाते रहने की इच्छा होती है या चिड़चिड़ाहट होती है. ज़्यादा थकान होती है, जम्हाइयां आती हैं और गर्दन में दर्द शुरू होता है."

"तेज़ सिरदर्द पहले चरण के कुछ घंटों बाद शुरू होता है. तेज़ सिर दर्द के दौरान, रोशनी तेज़ महसूस होती है, बदन में झनझनाहट महसूस होती है और गंध की संवेदना प्रभावित होती है. मितली आने लगती है."

स्टार्लिंग कहती हैं कि यह ज़रूरी नहीं है कि सभी मरीज़ो में यह सभी लक्षण हों. कुछ लोगों में इनमें से कुछ लक्षण ही दिखाई देते हैं.

माइग्रेन के लक्षणों को लेकर और भी कई ग़लत धारणाएं हैं. कई बार लोग गर्दन या साइनस से होने वाले सिरदर्द और माइग्रेन में फ़र्क नहीं कर पाते.

डॉक्टर अमाल स्टार्लिंग के अनुसार, "कई बार मरीज़ों में माइग्रेन के लक्षण साफ़ और तीव्र नहीं होते. मगर सिर चकराना माइग्रेन का एक स्थाई और प्रमुख लक्षण है. आम तौर कुछ लोगों को लगता है कि यह कान में ख़राबी की वजह से हो रहा है. मगर कान की जांच में पाया जाता है कि उसमें कोई समस्या नहीं है."

"दरअसल समस्या यह होती है कि कान जब मष्तिष्क को सिग्नल भेजता है तो माइग्रेन से प्रभावित मष्तिष्क उसे सही तरीके से प्रोसेस नहीं कर पाता जिस वजह से शरीर के संतुलन में अस्थिरता आती है या सिर चकराता है."

"माइग्रेन की पहचान और इलाज अगर समय रहते ना किया जाए तो स्थिति और बिगड़ सकती है और माइग्रेन क्रॉनिक माइग्रेन में तब्दील हो सकता है. दूसरे, हर मरीज़ में अलग किस्म का माइग्रेन हो सकता है."

  • इन नुस्ख़ों से आती है रात में बढ़िया नींद
  • सामान्य ज़ुकाम, खांसी या ठंड कब बन जाती है जानलेवा निमोनिया
  • सुंदर दिखने के लिए युवाओं में बोटॉक्स का बढ़ता चलन, लेकिन क्या हैं इसके ख़तरे?
3. माइग्रेन के समय शरीर में क्या होता है? image Getty Images

डॉ. भावना शर्मा बताती हैं कि दरअसल माइग्रेन के समय दिमाग़ और गर्दन से आने वाले सिग्नल गड़बड़ा जाते हैं.

इसकी वजह से दिमाग़ से कुछ खास तरह के रसायन निकलते हैं जो सिर की नसों को प्रभावित करते हैं.

इनमें से एक अहम रसायन है सीजीआरपी, जो नसों पर असर डालता है और यहीं से दर्द की शुरुआत होती है.

जैसे-जैसे यह स्थिति बढ़ती है, मितली आने लगती है और रोशनी व आवाज़ को लेकर चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है.

4. बड़ी है माइग्रेन की समस्या image Getty Images

माइग्रेन की समस्या कल्पना से कहीं ज़्यादा बड़ी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में करीब एक अरब लोग माइग्रेन से प्रभावित हैं.

संगठन ने माइग्रेन को दुनिया की सातवीं सबसे ज़्यादा विकलांग करने वाली बीमारी माना है.

दुनिया में माइग्रेन को सातवीं सबसे विकलांग करने वाली बीमारी माना गया है. यह अकेले ही 2.9 प्रतिशत कार्य जीवन वर्ष के खोने (डिसएबिलिटी के कारण) के लिए ज़िम्मेदार है.

  • दिल की बीमारियों को तुरंत पहचान लेगी ये तकनीक
  • अगर शरीर में ये हैं लक्षण, तो हो सकता है ब्रेन स्ट्रोक, तुरंत जाएँ अस्पताल
  • वक़्त देखकर खाना खाने या भूखे रहने वाले ध्यान दें
5. माइग्रेन से निपटने का क्या है तरीका? image Getty Images दिनचर्या में योग और मेडिटेशन को शामिल करना और तनाव कम रखना माइग्रेन से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

एक अच्छी नींद माइग्रेन को कम करने का प्राकृतिक उपाय है. इसके अलावा दवाएं, बोटोक्स या नर्व ब्लॉक जैसी चिकित्सा पद्धतियां भी इसमें मदद करती हैं.

डॉ. भावना शर्मा बताती हैं कि महिलाओं के लिए यह ज़रूरी है कि धूप में बाहर निकलते समय सनग्लास का इस्तेमाल ज़रूर करें.

उनके अनुसार, दिनचर्या में योग और मेडिटेशन को शामिल करना और तनाव कम रखना माइग्रेन से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

कभी-कभी कुछ खास खाद्य पदार्थ या परिस्थितियां भी माइग्रेन को ट्रिगर करती हैं.

डॉ. शर्मा बताती हैं कि पनीर, केला, टमाटर, चॉकलेट, चाय और कॉफ़ी ऐसे तत्व हैं जो कई लोगों में दर्द को बढ़ा सकते हैं. जिन लोगों को इससे दिक्कत महसूस हो, उन्हें इनसे तुरंत दूरी बना लेनी चाहिए.

वह कहती हैं कि सबसे जरूरी बात नाश्ता करना है. यह न केवल शरीर को पोषण देता है बल्कि माइग्रेन की स्थिति से निपटने में भी मदद करता है.

माइग्रेन को अब जेनेटिक्स और जीनोमिक्स से भी जोड़ा जा रहा है. कई शोधों में शुरुआती तौर पर यह सामने आया है कि इसका संबंध वंशानुगत कारणों से भी हो सकता है.

image BBC 6. खानपान का है कितना असर? image Getty Images कुछ खास खाद्य पदार्थ या परिस्थितियां भी माइग्रेन को ट्रिगर करती हैं

चॉकलेट से लेकर चीज़ तक, आप जो भी खाते-पीते हैं, उसे लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों की अपनी राय है.

सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर में गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ. सुधीर महर्षि बताते हैं कि माइग्रेन मूल रूप से नसों से जुड़ी समस्या है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ इसका असर बढ़ा सकते हैं.

वह कहते हैं, "चॉकलेट, अल्कोहल, बीयर, शुगर फ्री प्रोडक्ट्स, प्रोसेस्ड फ़ूड, पुराना चीज़, पनीर, कॉफ़ी, चाय और अन्य कैफ़ीन युक्त पदार्थ माइग्रेन की पीड़ा को बढ़ा सकते हैं. हालांकि, चाय और कॉफ़ी कई लोगों को दर्द में राहत भी देती है."

उनके अनुसार, "खाद्य पदार्थ का असर अलग-अलग हो सकता है. लेकिन नियमित समय पर भोजन न करना या भोजन छोड़ देना भी माइग्रेन का कारण बन सकता है."

डॉ. महर्षि बताते हैं, "खराब खानपान और दिनचर्या इसके ट्रिगर हो सकते हैं. इसलिए ज़रूरी है कि दिनचर्या संतुलित रहे और खानपान जितना हो सके घरेलू हो. इससे माइग्रेन के दर्द से निपटने में मदद मिल सकती है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

  • आपके फेफड़े कितने सेहतमंद हैं, इन तरीकों से घर बैठे ही लग जाएगा पता
  • सिर्फ़ धूप ही नहीं इन वजहों से भी हो सकता है स्किन कैंसर, ये हैं इनके लक्षण
  • महिला के शरीर में पुरुषों वाला XY क्रोमोसोम मिलने का रहस्य क्या है?
image
Loving Newspoint? Download the app now