महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी आख़िरकार चेन्नई सुपरकिंग्स के अभियान को पटरी पर लाने में सफल हो गई. चेन्नई ने लखनऊ सुपर जाएंट्स को पांच विकेट से हराकर दूसरी जीत दर्ज की. चेन्नई ने पांच मैच हारने के बाद यह जीत हासिल की है.
महेंद्र सिंह धोनी ने चेन्नई की लड़खड़ाती पारी को संभालने में अहम भूमिका निभाई.
धोनी ने विकेट पर रह कर शिवम दुबे को भी अच्छी पारी खेलने में सहयोग दिया. मैच के दौरान धोनी लगातार शिवम को समझाते दिखे.
लखनऊ की इस हार में ऋषभ पंत की खराब कप्तानी की भी भूमिका रही. वह गेंदबाजों का सही इस्तेमाल करने में असफल रहे.

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सोमवार को जब धोनी बल्लेबाजी के लिए मैदान पर आए, उस समय चेन्नई को जीत के लिए 30 गेंदों में 56 रन बनाने थे.
शायद धोनी को अंदाज़ा था कि लखनऊ की टीम वाइड लाइन गेंदबाजी की रणनीति अपनाएगी. इसलिए उन्होंने अपने पाले में आई गेंदों को बड़े शॉटों में बदलकर लखनऊ पर दबाव को बढ़ा दिया.
विकेट पर गेंद धीमी आने से इस पर स्पिनरों के खिलाफ बड़े शॉट खेलना आसान नहीं था. लेकिन धोनी ने आते ही चौके लगाकर गेंदबाजों पर दवाब बढ़ा दिया. उन्होंने 11 गेंदों में चार चौकों और एक छक्के की मदद से नाबाद 26 रन की पारी खेली.
शिवम दुबे की बल्लेबाजी की भी तारीफ करनी होगी.
उन्हें आक्रामक अंदाज़ में बल्लेबाजी करने के लिए जाना जाता है. पर इस मैच में उन्होंने टीम की जरूरत के हिसाब से विकेट पर टिक कर बल्लेबाज़ी की. वह तीन चौकों और दो छक्कों से 43 रन बनाकर नाबाद रहे.
धोनी ने बेहतरीन कप्तानी करके टीम की जीत की राह बनाने में अहम भूमिका निभाई.
लखनऊ की ओर से जब अब्दुल समद और ऋषभ पंत खेल रहे थे तो लग रहा था कि स्कोर 175 तक पहुँच जाएगा.
धोनी ने जिस तरह से समद को रन आउट कराया, उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है.
पथिराना के आखिरी ओवर में पहली गेंद वाइड होने पर समद ने पंत को स्ट्राइक पर लाने के लिए रन लेने का प्रयास किया.
पर धोनी ने दूसरे छोर से गेंद को हवा में उछालकर समद को रन आउट करा दिया. इसके बाद इस ओवर में धोनी ने पंत को लपककर वापस भेजा और आखिर में शार्दुल ठाकुर भी लौट गए.
इसके अलावा धोनी ने टीम में दो बदलाव करके उसमें फिर से जान ला दी है.
शेख रशीद को दो साल तक सीएसके के डग आउट में रहने के बाद पहली बार आईपीएल में खेलने का मौका मिला और वह अपनी 27 रनों की पारी में प्रभावित करने में सफल रहे.
उन्होंने 142 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करके अपनी 19 रनों की पारी में छह चौके लगाए. इसमें आकाशदीप के एक ओवर में तीन चौके लगाना खास रहा.
शेख रशीद की पारी की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि उन्होंने सभी रन बढ़िया शॉट खेलकर बनाए. उन्होंने रचिन रविंद्र के साथ 4.2 ओवर में 52 रन की साझेदारी बनाकर यह दिखाया कि बिना जोखिम भरे शॉट खेलकर भी तेजी से रन बनाए जा सकते हैं.
शेख रशीद को 2022 में अंडर-19 विश्व कप खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने सेमीफाइनल में 37 रन पर दो विकेट निकल जाने पर 94 रन की पारी खेलकर भारत को जीत दिलाई थी. अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में भी उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेली थी.
शेख रशीद की कहानी भी काफी दिलचस्प है. पिता शेख बलिशा ने बेटे की क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए निजी बैंक की नौकरी छोड़ दी थी. पर शुरुआती सफलता नहीं मिलने पर शेख रशीद अवसाद में चले गए थे. पर पिता ने हौसला बढ़ाकर करियर को पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभाई.
चेन्नई सुपरकिंग्स के स्पिनरों, नूर अहमद और रविंद्र जडेजा ने बहुत ही कसी गेंदबाजी करके बीच के ओवरों में लखनऊ की रन गति थामने में अहम भूमिका निभाई. दोनों ने लगातार अच्छी लेंथ पर गेंदबाजी करके बल्लेबाजों को हाथ खोलने का मौका नहीं दिया.
नूर अहमद तो ख़ासतौर से बहुत ही किफ़ायती साबित हुए. वह भले ही कोई विकेट नहीं ले पाए पर उन्होंने चार ओवरों में सिर्फ 13 रन ही दिए. दूसरी तरफ रविंद्र जडेजा ने भी गेंदबाजी से प्रभावित किया और चार ओवरों में 24 रन देकर दो विकेट निकाले.
ऋषभ पंत ने मैच के बाद कहा था कि 10-15 रन कम रह गए. ये रन कम करने वाले यही दोनों स्पिनर थे.
ऋषभ पंत के बारे में कहा जाता है कि वह मुश्किल हालात में चमकने वाले खिलाड़ी हैं और इस बात को उन्होंने 63 रनों की पारी से साबित किया.
पंत ने इस साल आईपीएल में अब तक 21 रनों की सबसे बड़ी पारी खेली थी. इस तरह यह उनका सीजन का पहला अर्द्धशतक. पर यह अर्द्धशतक भी टीम को जीत नहीं दिला सका.
पंत ने टीम के संकट के समय मजबूती देने वाली पारी तो खेली पर यह बहुत ही धीमी रही और इस कारण चेन्नई के गेंदबाजों को दबाव बनाने का मौका मिला.
हालांकि पंत ने आख़िरी ओवरों में पारी को गति देने का प्रयास किया. पर दूसरे छोर से सहयोग नहीं मिलने की वजह से पारी को ज़रूरी गति नहीं दे पाए.
असल में लखनऊ सुपर जाएंट्स की अब तक मिली जीतों में निकोलस पूरन, मारक्रम और मिशेल मार्श ही अहम भूमिका निभाते रहे हैं. टीम ने अब तक जितने भी रन बनाए हैं उनमें से 73 फ़ीसदी रन इसी तिकड़ी के बल्ले से निकले हैं.
लखनऊ के सामने आज मौका था, यह साबित करने का कि इस तिकड़ी के बिना भी मैच जीता जा सकता है पर वह इसे साबित करने में असफल रही.
पंत जिस विस्फोटक खेल के लिए जाने जाते हैं, वह अंदाज़ भले ही नहीं दिखा, पर इस पारी से उनका मनोबल ज़रूर ऊंचा हुआ होगा और इसका फ़ायदा लखनऊ टीम को आगे के मैचों में देखने को मिल सकता है. वैसे उन्होंने 38 गेंदों में 38 रन बनाने के बाद अगली 11 गेंदों में 35 रन बनाकर अपने स्वाभाविक खेल की झलक ज़रूर दिखाई.
पंत की कप्तानी में दिखी खामियों में सुधार किए बिना लखनऊ टीम की नैया पार लगना आसान नहीं है.
उदाहरण के तौर पर रवि बिश्नोई इस मैच में अच्छी लय में गेंदबाजी कर रहे थे. पर उनका कोटा ही पूरा नहीं कराया गया. सभी जानते हैं कि धोनी स्पिन के सामने फंसते हैं पर फिर भी उनसे चौथा ओवर नहीं फिंकवाना खराब कप्तानी ही कहलाएगी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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