दुनिया के बाजार आज थोड़े सावधानी से चल रहे हैं क्योंकि अमेरिका के फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल आज रात अपनी नई नीतियों के बारे में बताएंगे। शेयर बाजार अभी भी बहुत अच्छे स्तर पर हैं क्योंकि लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ब्याज दर कम होगी। इसके साथ ही, सोने की कीमतें भी बढ़ रही हैं, जो दिखाता है कि निवेशक थोड़े सुरक्षित निवेश की तरफ भी देख रहे हैं, क्योंकि वे आने वाले समय में आर्थिक अस्थिरता या मुश्किलों की संभावना से सतर्क हैं।
शेयर बाजार की बढ़त और सोने की कीमतों का बढ़ना दोनों साथ चलना थोड़ा अजीब है, लेकिन इसका मतलब है कि लोग एक तरफ अच्छा मौका देख रहे हैं और दूसरी तरफ सुरक्षित रहने की भी तैयारी कर रहे हैं। फेडरल रिजर्व की बैठक में ब्याज दर कम होने की उम्मीद है, लेकिन सबकी नजरें इस बात पर भी हैं कि जेरोम पॉवेल आने वाले महीनों में ब्याज दर में और कटौती करेंगे या नहीं, क्योंकि यह आर्थिक स्थिति के लिए बड़ा संकेत होगा।
शेयर बाजार की बढ़त के बावजूद सोने की तरफ क्यों रुख कर रहे हैं निवेशक?
निवेशक जेरोम पॉवेल के बयान को बहुत ध्यान से सुनेंगे ताकि पता चले कि फेड अगले कुछ महीनों में ब्याज दरें कितनी जल्दी और कितनी कम करेगा। अगर पॉवेल ने ऐसा संकेत दिया कि वे धीरे-धीरे और कम करेंगे, तो शेयर बाजार और सोने दोनों की कीमतें बढ़ सकती हैं। लेकिन अगर उन्होंने सावधानी बरतने की बात कही, तो बाजार में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
फेड के फैसले के अलावा, लोग अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड की ब्याज दरों पर भी नजर रखेंगे। अगर बॉन्ड की ब्याज दरें गिरती रहीं, तो सोने की कीमतें अच्छी बनी रहेंगी। लेकिन अगर डॉलर फिर से मजबूत हुआ, तो सोने की कीमतों का ज्यादा बढ़ना मुश्किल हो सकता है।
डिस्क्लेमर: जो सुझाव या राय एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज देते हैं, वो उनकी अपनी सोच है। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी की राय नहीं होती।
शेयर बाजार की बढ़त और सोने की कीमतों का बढ़ना दोनों साथ चलना थोड़ा अजीब है, लेकिन इसका मतलब है कि लोग एक तरफ अच्छा मौका देख रहे हैं और दूसरी तरफ सुरक्षित रहने की भी तैयारी कर रहे हैं। फेडरल रिजर्व की बैठक में ब्याज दर कम होने की उम्मीद है, लेकिन सबकी नजरें इस बात पर भी हैं कि जेरोम पॉवेल आने वाले महीनों में ब्याज दर में और कटौती करेंगे या नहीं, क्योंकि यह आर्थिक स्थिति के लिए बड़ा संकेत होगा।
शेयर बाजार की बढ़त के बावजूद सोने की तरफ क्यों रुख कर रहे हैं निवेशक?
- सरकारों का बढ़ता हुआ कर्ज: सरकारें बहुत सारा कर्ज ले रही हैं, जिससे पैसे की आपूर्ति बढ़ सकती है। ऐसे में लोग अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए सोने में निवेश कर रहे हैं।
- डॉलर कमजोर हो रहा है: अमेरिकी डॉलर की कीमत कम हो रही है, जिससे सोना निवेशकों के लिए ज्यादा आकर्षक हो गया है और इसकी मांग बढ़ रही है।
- केंद्रीय बैंकों की अलग-अलग नीतियां: अमेरिका ब्याज दरें कम करने वाला है, लेकिन दूसरे देशों के बैंक ऐसा नहीं कर रहे। इससे करेंसी मार्केट में उलझन बढ़ जाती है, इसलिए सोना एक सुरक्षित ऑप्शन माना जाता है।
- पैसे का संतुलन बनाए रखना: निवेशक अपने पैसे को जोखिम भरे बाजार से बचाने के लिए कुछ हिस्सा सोने में डाल रहे हैं ताकि अगर शेयर बाजार में नुकसान हुआ तो सोना उसका कुछ हिस्सा पूरा कर सके।
- राजनीतिक और व्यापार संबंधी तनाव: दुनिया में राजनीतिक झगड़े और व्यापार के मामले तनावपूर्ण हैं, इसलिए लोग सुरक्षित निवेश के लिए सोना खरीद रहे हैं, चाहे बाजार सामान्य रूप से अच्छा क्यों न चल रहा हो।
निवेशक जेरोम पॉवेल के बयान को बहुत ध्यान से सुनेंगे ताकि पता चले कि फेड अगले कुछ महीनों में ब्याज दरें कितनी जल्दी और कितनी कम करेगा। अगर पॉवेल ने ऐसा संकेत दिया कि वे धीरे-धीरे और कम करेंगे, तो शेयर बाजार और सोने दोनों की कीमतें बढ़ सकती हैं। लेकिन अगर उन्होंने सावधानी बरतने की बात कही, तो बाजार में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
फेड के फैसले के अलावा, लोग अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड की ब्याज दरों पर भी नजर रखेंगे। अगर बॉन्ड की ब्याज दरें गिरती रहीं, तो सोने की कीमतें अच्छी बनी रहेंगी। लेकिन अगर डॉलर फिर से मजबूत हुआ, तो सोने की कीमतों का ज्यादा बढ़ना मुश्किल हो सकता है।
डिस्क्लेमर: जो सुझाव या राय एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज देते हैं, वो उनकी अपनी सोच है। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी की राय नहीं होती।
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