भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उगाने वाला देश है, जहां करोड़ों किसानों की आजीविका इसी फसल पर निर्भर है। गन्ने की खेती न केवल किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान देती है। अब सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 में संशोधन करने की तैयारी में है। इन प्रस्तावित बदलावों से किसानों की कमाई में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है।
पहले ही बढ़ाई जा चुकी है FRP
केंद्र सरकार ने इस साल अप्रैल में गन्ना किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए FRP (Fair and Remunerative Price) में 4.41 प्रतिशत की वृद्धि की थी। अब गन्ने का FRP ₹355 प्रति क्विंटल तय किया गया है। FRP वह न्यूनतम कीमत होती है जो चीनी मिलों को किसानों को देनी ही होती है। सरकार ने नई FRP 10.25 प्रतिशत रिकवरी रेट के आधार पर तय की है। यानी अगर गन्ने से चीनी की रिकवरी इससे अधिक होती है तो किसानों को अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा साथ ही हर 0.1 प्रतिशत बढ़ोतरी पर ₹3.46 प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा।
नए नियम मिलेगा लाभ
सरकार अब एफआरपी को केवल चीनी उत्पादन से नहीं, बल्कि गन्ने से बनने वाले अन्य उत्पादों जैसे इथेनॉल, बायो-सीएनजी, बिजली, बगास और मोलेसिस से होने वाली आय से भी जोड़ने पर विचार कर रही है। अभी तक किसानों को इन उत्पादों से होने वाले लाभ का हिस्सा नहीं मिल पाता था। यदि यह नियम लागू होता है तो किसानों को गन्ने के संपूर्ण उपयोग से होने वाली आय का सीधा फायदा मिलेगा।
कितने दिन में मिलेगा पैसा
नए प्रस्ताव के तहत चीनी मिलों को किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान 14 दिनों के भीतर करना अनिवार्य किया जा सकता है। लंबे समय से किसान समय पर भुगतान की मांग कर रहे थे। देश के करीब 5 करोड़ गन्ना किसान और 5 लाख से अधिक श्रमिक इस उद्योग से जुड़े हैं, ऐसे में यह कदम उनके लिए राहत लेकर आएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।
दूरी नियम पर फिर होगा फैसलावर्तमान नियमों के अनुसार दो चीनी मिलों के बीच कम से कम 15 किलोमीटर की दूरी होना जरूरी है। यह व्यवस्था 1966 में गन्ने की समान सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी। अब सरकार इस पुराने प्रावधान की समीक्षा करने पर विचार कर रही है। यदि दूरी घटाई जाती है तो नई मिलें लगने का रास्ता खुलेगा और मिलों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, जिससे अंततः किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगे।
निष्कर्ष: सरकार के इन प्रस्तावित बदलावों से गन्ना किसानों की आय बढ़ने, उद्योग में प्रतिस्पर्धा आने और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है। यह कदम "गन्ना से समृद्ध किसान" के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
पहले ही बढ़ाई जा चुकी है FRP
केंद्र सरकार ने इस साल अप्रैल में गन्ना किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए FRP (Fair and Remunerative Price) में 4.41 प्रतिशत की वृद्धि की थी। अब गन्ने का FRP ₹355 प्रति क्विंटल तय किया गया है। FRP वह न्यूनतम कीमत होती है जो चीनी मिलों को किसानों को देनी ही होती है। सरकार ने नई FRP 10.25 प्रतिशत रिकवरी रेट के आधार पर तय की है। यानी अगर गन्ने से चीनी की रिकवरी इससे अधिक होती है तो किसानों को अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा साथ ही हर 0.1 प्रतिशत बढ़ोतरी पर ₹3.46 प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा।
नए नियम मिलेगा लाभ
सरकार अब एफआरपी को केवल चीनी उत्पादन से नहीं, बल्कि गन्ने से बनने वाले अन्य उत्पादों जैसे इथेनॉल, बायो-सीएनजी, बिजली, बगास और मोलेसिस से होने वाली आय से भी जोड़ने पर विचार कर रही है। अभी तक किसानों को इन उत्पादों से होने वाले लाभ का हिस्सा नहीं मिल पाता था। यदि यह नियम लागू होता है तो किसानों को गन्ने के संपूर्ण उपयोग से होने वाली आय का सीधा फायदा मिलेगा।
कितने दिन में मिलेगा पैसा
नए प्रस्ताव के तहत चीनी मिलों को किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान 14 दिनों के भीतर करना अनिवार्य किया जा सकता है। लंबे समय से किसान समय पर भुगतान की मांग कर रहे थे। देश के करीब 5 करोड़ गन्ना किसान और 5 लाख से अधिक श्रमिक इस उद्योग से जुड़े हैं, ऐसे में यह कदम उनके लिए राहत लेकर आएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।
दूरी नियम पर फिर होगा फैसलावर्तमान नियमों के अनुसार दो चीनी मिलों के बीच कम से कम 15 किलोमीटर की दूरी होना जरूरी है। यह व्यवस्था 1966 में गन्ने की समान सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी। अब सरकार इस पुराने प्रावधान की समीक्षा करने पर विचार कर रही है। यदि दूरी घटाई जाती है तो नई मिलें लगने का रास्ता खुलेगा और मिलों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, जिससे अंततः किसानों को बेहतर दाम मिल सकेंगे।
निष्कर्ष: सरकार के इन प्रस्तावित बदलावों से गन्ना किसानों की आय बढ़ने, उद्योग में प्रतिस्पर्धा आने और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है। यह कदम "गन्ना से समृद्ध किसान" के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
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