सोचिए, आपने अपनी पूरी जमा पूंजी और भविष्य दांव पर लगाकर अमेरिका में पढ़ाई की। लाखों का लोन लेकर, बड़े सपनों के साथ विदेशी धरती पर कदम रखा… लेकिन डिग्री मिलने के बाद भी नौकरी नहीं मिली। वापस भारत लौटना पड़ा- कर्ज सिर पर और कम सैलरी वाली एक नौकरी हाथ में।
सैन फ्रांसिस्को में रहने वाली एक भारतीय टेक प्रोफेशनल ने सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही सच्ची कहानी शेयर की, जो आजकल कई छात्रों की हकीकत बनती जा रही है। उन्होंने लिखा कि उनका एक जानने वाला युवक अमेरिका में मास्टर्स करने गया था। पढ़ाई के लिए उसने 50 लाख रुपए का लोन लिया। पढ़ाई खत्म हुई, डिग्री मिली- लेकिन एक भी नौकरी का ऑफर नहीं आया। इसका नतीजा यह हुआ कि वह युवक अब मुंबई में एक स्टार्टअप में सिर्फ 20,000 रुपए महीने की सैलरी पर काम कर रहा है, जबकि उसके रिटायर्ड पिता 75,000 रुपए हर महीने EMI भर रहे हैं।
ये वो सच्चाई जो यूनिवर्सिटीज आपको नहीं दिखातीं
पोस्ट में लिखा गया -'यही वो सच्चाई है जो यूनिवर्सिटीज आपको नहीं दिखातीं। वह बस कुछ दिन पहले अमेरिका में ग्रेजुएशन स्टेज पर चला था...और अब वापस भारत लौट आया है। इसके साथ में 60,000 डॉलर की डिग्री, 50 लाख का लोन और एक भी नौकरी नहीं।'
ये कोई अकेली कहानी नहीं, पहले जैसा नहीं रहा अमेरिका का जॉब मार्केट
टेक प्रोफेशनल का कहना है कि ये कोई अकेली कहानी नहीं है। अमेरिका का जॉब मार्केट अब पहले जैसा नहीं रहा- खासकर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए। 'पहले जहां हर STEM ग्रेजुएट को आसानी से नौकरी मिल जाती थी, अब वहां भी संघर्ष करना पड़ रहा है।'हालांकि, उन्होंने माना कि अमेरिका अभी भी रिसर्च और प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए बेहतरीन है, लेकिन सच्चाई ये है कि हर स्टूडेंट का सपना अब वहां जाकर पूरा नहीं हो रहा।
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छेड़ दी। कई लोगों ने कमेंट्स में अपनी मिलती-जुलती कहानियां शेयर कीं और कहा कि ये हकीकत अब आम होती जा रही है। एक यूजर ने लिखा - 'बहुत सही कहा! हमें और भी ऐसी ईमानदार कहानियों की जरूरत है, न कि सिर्फ LinkedIn की चमक-दमक भरी सफलता की पोस्ट्स।' एक और यूजर ने कमेंट किया -'भारत में एजुकेशन ठीक है, लेकिन वहां के लोग अपना दिमाग इस्तेमाल नहीं करते। पहले जब लोग अमेरिका जाते थे, तो बड़ी सैलरी दिखाकर सबको प्रभावित करते थे। वो जमाना अलग था। अब अगर हर कोई वहीं जाना चाहे, तो सबको नौकरी कैसे मिलेगी?'
यह समस्या सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं
कुछ लोगों ने ध्यान दिलाया कि यह समस्या सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। एक ने लिखा-'यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा - सब जगह यही हाल है। लोग मजबूरी में दुकानदारी, सफाई, बर्गर बनाने जैसे छोटे-मोटे काम कर रहे हैं। अपने कीमती 50-60 लाख रुपए यूं ही बर्बाद मत करो।'एक अन्य ने दुख जताते हुए कहा- 'शायद मैं भी उसी रास्ते पर जा रहा हूं। 50 लाख का लोन, अमेरिका में कोई कमाई नहीं, नौकरी की तलाश में संघर्ष, वीजा की परेशानी और हर दिन तनाव।' इस वायरल पोस्ट ने न सिर्फ युवाओं को झकझोरा है, बल्कि उन माता-पिता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है जो अपने बच्चों की विदेशी पढ़ाई के लिए भारी भरकम खर्च उठाने की योजना बना रहे हैं।
सैन फ्रांसिस्को में रहने वाली एक भारतीय टेक प्रोफेशनल ने सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही सच्ची कहानी शेयर की, जो आजकल कई छात्रों की हकीकत बनती जा रही है। उन्होंने लिखा कि उनका एक जानने वाला युवक अमेरिका में मास्टर्स करने गया था। पढ़ाई के लिए उसने 50 लाख रुपए का लोन लिया। पढ़ाई खत्म हुई, डिग्री मिली- लेकिन एक भी नौकरी का ऑफर नहीं आया। इसका नतीजा यह हुआ कि वह युवक अब मुंबई में एक स्टार्टअप में सिर्फ 20,000 रुपए महीने की सैलरी पर काम कर रहा है, जबकि उसके रिटायर्ड पिता 75,000 रुपए हर महीने EMI भर रहे हैं।
ये वो सच्चाई जो यूनिवर्सिटीज आपको नहीं दिखातीं
पोस्ट में लिखा गया -'यही वो सच्चाई है जो यूनिवर्सिटीज आपको नहीं दिखातीं। वह बस कुछ दिन पहले अमेरिका में ग्रेजुएशन स्टेज पर चला था...और अब वापस भारत लौट आया है। इसके साथ में 60,000 डॉलर की डिग्री, 50 लाख का लोन और एक भी नौकरी नहीं।'
ये कोई अकेली कहानी नहीं, पहले जैसा नहीं रहा अमेरिका का जॉब मार्केट
टेक प्रोफेशनल का कहना है कि ये कोई अकेली कहानी नहीं है। अमेरिका का जॉब मार्केट अब पहले जैसा नहीं रहा- खासकर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए। 'पहले जहां हर STEM ग्रेजुएट को आसानी से नौकरी मिल जाती थी, अब वहां भी संघर्ष करना पड़ रहा है।'हालांकि, उन्होंने माना कि अमेरिका अभी भी रिसर्च और प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए बेहतरीन है, लेकिन सच्चाई ये है कि हर स्टूडेंट का सपना अब वहां जाकर पूरा नहीं हो रहा।
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छेड़ दी। कई लोगों ने कमेंट्स में अपनी मिलती-जुलती कहानियां शेयर कीं और कहा कि ये हकीकत अब आम होती जा रही है। एक यूजर ने लिखा - 'बहुत सही कहा! हमें और भी ऐसी ईमानदार कहानियों की जरूरत है, न कि सिर्फ LinkedIn की चमक-दमक भरी सफलता की पोस्ट्स।' एक और यूजर ने कमेंट किया -'भारत में एजुकेशन ठीक है, लेकिन वहां के लोग अपना दिमाग इस्तेमाल नहीं करते। पहले जब लोग अमेरिका जाते थे, तो बड़ी सैलरी दिखाकर सबको प्रभावित करते थे। वो जमाना अलग था। अब अगर हर कोई वहीं जाना चाहे, तो सबको नौकरी कैसे मिलेगी?'
यह समस्या सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं
कुछ लोगों ने ध्यान दिलाया कि यह समस्या सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। एक ने लिखा-'यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा - सब जगह यही हाल है। लोग मजबूरी में दुकानदारी, सफाई, बर्गर बनाने जैसे छोटे-मोटे काम कर रहे हैं। अपने कीमती 50-60 लाख रुपए यूं ही बर्बाद मत करो।'एक अन्य ने दुख जताते हुए कहा- 'शायद मैं भी उसी रास्ते पर जा रहा हूं। 50 लाख का लोन, अमेरिका में कोई कमाई नहीं, नौकरी की तलाश में संघर्ष, वीजा की परेशानी और हर दिन तनाव।' इस वायरल पोस्ट ने न सिर्फ युवाओं को झकझोरा है, बल्कि उन माता-पिता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है जो अपने बच्चों की विदेशी पढ़ाई के लिए भारी भरकम खर्च उठाने की योजना बना रहे हैं।
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