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संकष्टी चतुर्थी 2025: गणेश जी की आरती और महत्व

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गणेश जी की आरती


गणेश जी की आरती


संकष्टी चतुर्थी 2025: यह पर्व 8 नवंबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। यह मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस व्रत का समापन चंद्र दर्शन के बाद होता है। जब कार्तिक मास की चतुर्थी शनिवार या मंगलवार को होती है, तो इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।


गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ उनकी आरती करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर गणपति की आरती करता है, उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और उसके जीवन में खुशहाली आती है। आइए, संकष्टी चतुर्थी की आरती का पाठ करते हैं।


गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।


माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।


माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।


माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।


लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।


माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।


बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।


माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।


माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।


माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।


कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।


माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


संकष्टी चतुर्थी मंत्र

  • ॐ श्री गणेशाय नमः:

  • ॐ गं गणपतये नमः:

  • वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।:

  • ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥:

  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः


  • (यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।)


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