छत्तीसगढ़ में बस किराए की पारदर्शिता को लेकर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने बताया कि किराए पर पुनर्विचार का मामला गलती से विधि विभाग को भेजा गया था, जबकि इसे मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। यह मामला अब कैबिनेट के समक्ष लंबित है और इस पर निर्णय लिया जाना है। अगली सुनवाई की तारीख 17 मार्च 2025 निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट ने सिटी बसों के बंद होने से आम जनता को हो रही समस्याओं और किराए में हो रही हेराफेरी को लेकर संज्ञान लिया था। कोर्ट ने पहले निर्देश दिए थे कि बस स्टैंड पर किराया सूची लगाई जाए और बसों में डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं। 15 अक्टूबर को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने जानकारी दी थी कि यह मामला विधि विभाग को भेजा गया है। बाद में 8 नवंबर को सरकार ने स्पष्ट किया कि पत्र गलती से विधि विभाग को भेजा गया था और अब कैबिनेट में निर्णय होना है।
सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस ने पूर्व आदेश के अनुपालन के संबंध में जानकारी मांगी। अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने सरकार की ओर से एक हलफनामा पेश किया, जिसमें बताया गया कि यह मामला मुख्यमंत्री और सरकार के समक्ष विचाराधीन है। नगरीय निकाय चुनावों के कारण इसमें विलंब हुआ है और कैबिनेट में इस पर जल्द निर्णय लिया जाएगा।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से निर्णय के लिए अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च 2025 को होगी।
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