प्रॉपर्टी खरीदने के नियम: बहुत से लोग अपनी मेहनत से एक जमीन का टुकड़ा खरीदते हैं, लेकिन कभी-कभी एक छोटी सी गलती उन्हें महंगी पड़ सकती है। यह धारणा गलत है कि केवल रजिस्ट्री कराने से व्यक्ति प्रॉपर्टी का मालिक बन जाता है।
यदि आप जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर ध्यान देना आवश्यक है। आइए इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
प्रॉपर्टी में निवेश करना एक सुरक्षित और लाभकारी विकल्प माना जाता है। जब आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि छोटी सी चूक भी आपको बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।
जब लोग जमीन खरीदते हैं, तो वे आमतौर पर रजिस्ट्री कराते हैं और सोचते हैं कि अब वह जमीन उनके नाम हो गई है, लेकिन कानून के अनुसार यह सही नहीं है। रजिस्ट्री के अलावा भी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज होते हैं जो जमीन की खरीद के लिए आवश्यक हैं।
रजिस्ट्री का महत्व:
जब आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो रजिस्ट्री कराना आवश्यक होता है, लेकिन यह जानना जरूरी है कि केवल रजिस्ट्री से प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक नहीं मिलता। अक्सर लोग रजिस्ट्री के कागजात पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि म्यूटेशन कराना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। म्यूटेशन कराने पर ही आपकी नाम पर जमीन होती है।
म्यूटेशन के लाभ:
म्यूटेशन से यह सुनिश्चित होता है कि संपत्ति का स्वामित्व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया गया है। यह करदाताओं की जिम्मेदारी तय करने में भी मदद करता है। इससे पूर्व मालिक अपनी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय म्यूटेशन की स्थिति अवश्य जांचें।
सेल डीड और नामांतरण में अंतर:
सेल डीड और नामांतरण अलग-अलग दस्तावेज हैं। आमतौर पर लोग इन्हें एक ही समझते हैं। जब तक नामांतरण नहीं किया जाता, तब तक खरीदार उस प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बन सकता, भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो।
नामांतरण कराने की प्रक्रिया:
भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार की जमीन होती है: कृषि, आवासीय और औद्योगिक। इन तीनों के नामांतरण की प्रक्रिया भिन्न होती है। जब किसी संपत्ति को सेल डीड के माध्यम से खरीदा जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को रजिस्ट्री ऑफिस में जाकर म्यूटेशन कराना चाहिए।
कहाँ म्यूटेशन कराना है:
जब आप जमीन खरीदते हैं, तो उसकी जांच कराना आवश्यक है। यदि आप कृषि भूमि खरीद रहे हैं, तो म्यूटेशन हल्के के पटवारी द्वारा किया जाएगा। आवासीय भूमि का नामांतरण नगर निगम या नगर पालिका में कराना होता है, जबकि औद्योगिक भूमि का नामांतरण औद्योगिक विकास केंद्र में किया जाता है।
You may also like
सुबह खाली पेट मेथीदाना खाने से ये 11 खरतनाक रोग घुटने टेक देते है
1 दिन में कितनी रोटी खाना चाहिए? क्या है इसे खाने का सही तरीका? जानिए हेल्थ एक्सपर्ट्स राय
सबसे ज्यादा कैंसर करने वाली इन चीज़ों को धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं हम भारतीय
यानोमामी जनजाति की अनोखी परंपरा: मृतकों की राख का सूप
हर 15 दिनों में अपने लीवर को एक बार जरूर साफ करना चाहिए, जानिए लीवर साफ करने का सही तरीका