हम अक्सर बातचीत में कलियुग के बारे में चर्चा करते हैं, खासकर जब हम दुनिया में बढ़ते अपराधों और पापों को देखते हैं। लोग अक्सर यह पूछते हैं कि कलियुग कब समाप्त होगा। आइए जानते हैं विष्णु पुराण में कलियुग की अंतिम रात के बारे में क्या कहा गया है।
कलियुग की अंतिम रात का स्वरूप
विष्णु पुराण में कलियुग के विभिन्न चरणों का उल्लेख किया गया है। जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा, तो हर रात पहले से अधिक अंधेरी होगी। इसका मतलब है कि इस दौरान पाप और अपराध की मात्रा बढ़ती जाएगी। कलियुग की अंतिम रात अन्य सभी रातों से सबसे लंबी होगी, और इतनी अंधेरी होगी कि दीया जलाने पर भी पर्याप्त रोशनी नहीं मिलेगी। लोग इस रात के समाप्त होने का बेसब्री से इंतजार करेंगे, लेकिन चारों ओर विनाश के संकेत दिखाई देंगे।
प्रकृति का रौद्र रूप
कलियुग की अंतिम रात में प्रकृति भी अस्थिर हो जाएगी। मूसलधार बारिश के कारण धरती जलमग्न हो जाएगी। तेज बारिश और तूफान से धरती पर तांडव मच जाएगा। इस रात की लंबाई इतनी होगी कि यह किसी वर्ष की तरह प्रतीत होगी।
बीमारियों का प्रकोप
इस समय लोग शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो जाएंगे। उनकी मेहनत करने की क्षमता समाप्त हो जाएगी। मानसिक रूप से भी लोग इतने कमजोर होंगे कि कठोर शब्द सुनते ही अस्थिर हो जाएंगे। भीषण बारिश के दौरान, लोग भागने की कोशिश भी नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनमें शक्ति नहीं बचेगी।
भोजन की कमी
कलियुग की अंतिम रात में भोजन की भीषण कमी होगी। बारिश, भूकंप और आंधी के कारण गोदामों में रखा अधिकांश अनाज बह जाएगा और जो बचेगा, वह खाने के योग्य नहीं रहेगा। लोग भूख और प्यास से व्याकुल नजर आएंगे, जिससे उनकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होगी।
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