प्यार एक अद्भुत अनुभव है, जो हमें एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। लेकिन इसके पीछे कई रासायनिक प्रक्रियाएं भी होती हैं। आपने अक्सर सुना होगा कि जब कोई प्यार में होता है, तो उसे भूख-प्यास का एहसास नहीं होता और उसकी नींद भी उड़ जाती है। वहीं, जब किसी का ब्रेकअप होता है, तो वह अक्सर उदास रहता है और किसी भी काम में मन नहीं लगता। ये सब शरीर में मौजूद विभिन्न हॉर्मोन के कारण होता है।
प्यार से जुड़े हॉर्मोन की भूमिका प्यार वाले हॉर्मोन
प्यार और ब्रेकअप के दौरान शरीर में विभिन्न हॉर्मोन का स्राव होता है। जब हम किसी को पसंद करते हैं, तो दिल की धड़कन तेज हो जाती है, जो कि डोपामीन के बढ़ने के कारण होता है।
जब हम अपने प्रियजनों के साथ होते हैं, तो सेरेटोनिन हॉर्मोन हमें खुशी का अनुभव कराता है। इसके अलावा, जब कोई हमें प्यार से छूता है, तो ऑक्सीटोसिन का स्राव होता है, जो आपसी विश्वास और प्यार को बढ़ाता है।
ब्रेकअप के बाद का प्रभाव

ब्रेकअप के समय ऑक्सीटोसिन और डोपामीन का स्तर घटने लगता है, जिससे मन में उदासी और नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इस स्थिति में खुशी का अनुभव कम हो जाता है और व्यक्ति निराश महसूस करता है।
हॉर्मोन का कार्य और प्रभाव हॉर्मोन का कार्य
हॉर्मोन हमारे मूड को प्रभावित करते हैं, जैसे खुशी, दुख और गुस्सा। हर कार्य के लिए एक विशेष हॉर्मोन होता है। उदाहरण के लिए, सोमेट्रोपीन हाइट बढ़ाने में मदद करता है, जबकि एस्ट्रोजन महिलाओं की कामुकता को बढ़ाता है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सेक्स ड्राइव को प्रभावित करता है।

पेनक्रिया, किडनी, टेस्टिस, ओवरी, थायमस, थायराइड और पीनियल ग्लैंड जैसे अंगों से हॉर्मोन का स्राव होता है। पिट्यूटरी ग्लैंड शरीर में हॉर्मोन के स्तर को नियंत्रित करता है। इस प्रकार, हॉर्मोन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को जोड़ते हैं।
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