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बांग्लादेश बनता भारत का मुर्शिदाबाद? देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाने वाले हिंदुओं की निर्मम हत्या, देखें कैसे सनातनियों पर टूटा कहर!..

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते शुक्रवार को भड़की हिंसा ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है। जुमे की नमाज़ के बाद सुती और समशेरगंज इलाकों में हालात बेकाबू हो गए, जब भीड़ ने वक्फ अधिनियम में संशोधन के विरोध के नाम पर हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिया। देखते ही देखते मामला इतना बिगड़ गया कि कई हिंदू परिवारों को खास तौर पर निशाना बनाया गया।

हिंदुओं की संपत्तियों पर सीधा हमला

स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसा में कई हिंदू घरों, दुकानों और वाहनों को निशाना बनाया गया। हिंसा का आलम यह था कि देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाने वाले मूर्तिकार हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की धारदार हथियारों से हत्या कर दी गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में उनके शवों की तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि दोनों को बेरहमी से मारा गया।

मंदिर और मिठाई की दुकान भी नहीं बची

सुती इलाके में ‘सुभा स्मृति होटल’ नामक मिठाई की दुकान को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया। दुकान मालिक ने भावुक होते हुए बताया, “हमारी रोजी-रोटी छिन गई है। सब कुछ लूट लिया गया, अब समझ नहीं आ रहा कि आगे कैसे जिएंगे।”

बीजेपी नेता का बयान और ऐतिहासिक संदर्भ

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने घटना को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। उन्होंने इसे जनसंख्या आधारित हमले की संज्ञा दी और बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनने से रोकने की बात कही। साथ ही उन्होंने जोगेंद्र नाथ मंडल के संदर्भ से ममता बनर्जी को आगाह किया, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान गए थे लेकिन वहां के हालात देखकर वापस भारत लौट आए थे।

स्थानीय लोगों की आपबीती

हिंसा के दौरान एक स्थानीय महिला मंजू भगत ने बताया कि कैसे भीड़ उनके घर के दरवाज़े तोड़ने की कोशिश कर रही थी। “हम सब छत पर छिपे हुए थे, भगवान का नाम ले रहे थे। डर के मारे मेरी बेटी की चिंता हो रही थी,” उन्होंने कहा। इसी तरह, एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि एंबुलेंस तक को नहीं बख्शा गया और ड्राइवर को पीटा गया।

पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल

कुछ पीड़ितों ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। एक पीड़ित ने एएनआई से कहा, “पुलिस कहीं नहीं दिखी, वो खुद अपनी जान बचा रही थी। अब देखना है कि सरकार मुआवजा देती है या नहीं।” मुर्शिदाबाद की यह घटना बताती है कि यह सिर्फ कोई विरोध नहीं था, बल्कि सुनियोजित तरीके से एक विशेष समुदाय को नुकसान पहुँचाने का प्रयास था। हिंसा की चपेट में आए लोगों का जीवन अब पुनर्निर्माण की चुनौती से जूझ रहा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है, ताकि क्षेत्र में शांति बहाल की जा सके।

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