एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा – “बीरबल, यह अविद्या (अज्ञान) क्या होती है?”
बीरबल मुस्कुराया और बोला – “जहाँपनाह, मुझे चार दिन की छुट्टी दें। मैं आपको प्रत्यक्ष उदाहरण दिखाऊँगा।”
अकबर ने छुट्टी दे दी।

बीरबल एक मोची के पास गया और बोला –
“भाई, एक जूती बनाओ। नाप-तोल की ज़रूरत नहीं।
बस डेढ़ फुट लंबी और एक बित्ता चौड़ी हो।
उस पर सोने-चाँदी के धागे और हीरे-जवाहरात जड़ देना।”
मोची हैरान हुआ, पर वचन के अनुसार वैसी ही जूती बना दी।
बीरबल ने पैसे दिए और एक जूती अपने पास रख ली, दूसरी मस्जिद में रख दी।
अगली सुबह मौलवी ने वह जूती देखी और बोला – “यह इंसान की नहीं, अल्लाह की जूती होगी!”
उसने जूती को माथे से लगाया, सिर पर रखा और चूमा।
लोगों ने भी वही करना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे यह खबर अकबर तक पहुँची।
अकबर ने भी वही किया और आदेश दिया कि इसे मस्जिद में सम्मानपूर्वक रखा जाए।
कुछ दिन बाद बीरबल लौटा।
उसने अकबर को वही दूसरी जूती दिखाते हुए कहा – “जहाँपनाह, हमारे परदादा की पुरानी जूती चोरी हो गई। बस यही बची है।”
अकबर ने दोनों जूतियाँ देखीं और शर्म से सिर पीट लिया।
बीरबल बोला – “जहाँपनाह, यही है अविद्या।
जब सच्चाई का ज्ञान न हो और लोग बिना सोचे-समझे भेड़चाल में चलें, वही अंधविश्वास है।”
अंधविश्वास वहीं जन्म लेता है जहाँ ज्ञान की कमी होती है।
विवेक और सत्य की पहचान ही इंसान को सही मार्ग दिखाती है।
You may also like
आपका लाल मिर्च पाउडर कितना शुद्ध है? कहीं उसमें ईंट` का चुरा तो नहीं मिला? ऐसे पता लगाएं
हिजाब विवाद सुलझने के बावजूद, केरल के मंत्री शिवनकुट्टी ने स्कूल प्रबंधन को दोषी ठहराया
Video: मेट्रो में टिकट लेकर चढ़ा युवक, फिर मांगने लगा भीख, वीडियो हो रहा वायरल
बिहार : उपेंद्र कुशवाहा ने कार्यकर्ताओं से कहा, एनडीए की जीत के लिए एड़ी-चोटी एक कर दें
लखनऊ में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करेंगे राजनाथ सिंह