हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से 25 साल के बाद लॉटरी सिस्टम शुरू किया जा रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. इस लॉटरी सिस्टम को शुरू करने का उद्देश्य सरकार की आमदनी के एक नए स्रोत को जोड़ना बताया जा रहा है.
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब हिमाचल प्रदेश सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है और इससे उबरने का प्रयास कर रही है. दरअसल हिमाचल में कई सालों पहले लॉटरी वैध थी, लेकिन उस समय यह काफी विवादों में रही. जनता के विरोध चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने साल 2002 में लॉटरी सिस्टम को बंद कर दिया था.
दूसरे राज्यों के मॉडल को किया जाएगा फॉलोवित्त विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, लॉटरी सिस्टम वापस लाने से सरकार को साल में लगभग 50 से 100 करोड़ रुपये तक की आय हो सकती है. विभाग की ओर से कहा गया कि पंजाब, केरल, सिक्किम जैसे राज्यों को लॉटरी के माध्यम से बेहतर आय हुई है. लॉटरी के माध्यम से पंजाब को 253 करोड़ , सिक्किम को 30 करोड़ और केरल को 13,582 करोड़ रुपयों का लाभ हुआ है. सरकार ने यह भी कहा कि लॉटरी शुरू करने के लिए अन्य राज्यों के टैडर मॉडल को अपनाया जाएगा.
किन राज्यों में लॉटरी वैध?देश के कई राज्य जिसमें लॉटरी सिस्टम चलता है. इन राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब और वेस्ट बंगाल शामिल हैं. अब इन इसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल होने जा रहा है. भारत के केरल राज्य में लॉटरी सबसे ज्यादा फेमस है.
विपक्ष ने लगाए आरोपइस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा की 4 दिन के कैबिनेट बैठक के बाद परिवर्तन करने वाली सुक्खू सरकार ने लॉटरी को वैध कर दिया है. उन्होंने सरकार के इस फैसले पर कहा कि लॉटरी की वजह से कई सारे परिवार तबाह हुए है. लोगों के घर निलाम हुए है और लोगों को आत्महत्या तक करनी पड़ी है. सरकार अब वही दौर वापस लाना चाहती है. उन्होंने कहा इस तरह की योजना प्रदेश के हित में नहीं है.
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