लंबे अरसे तक जदयू में रहकर राजनीति करने वाले और दो बार के विधायक रह चुके श्याम बहादुर सिंह ने आखिरकार पार्टी से बगावत कर ली है. बुधवार को उन्होंने बड़हरिया विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया.
पार्टी के पुराने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले श्याम बहादुर सिंह को पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया है.
CM नीतीश से नहीं हुई मुलाकात तो हुए बागी
श्याम बहादुर सिंह, जो अपनी बेबाक शैली और ऑर्केस्ट्रा डांस के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं और नीतीश कुमार जिन्हें सार्वजनिक मंचों से हमेशा “सर श्याम बहादुर” कहकर बुलाते थे.
ऐसे में उनका बागी तेवर पार्टी के लिए झटका माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, टिकट को लेकर वे हाल ही में पटना पहुंचे थे ताकि मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सकें, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया. इससे नाराज होकर वे सीधे सिवान लौटे और मंगलवार को बड़हरिया में समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन किया. इसके अगले ही दिन उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया.
पार्टी के सीनियर नेताओं ने दिया धोखा: श्याम बहादुर
नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में श्याम बहादुर सिंह ने कहा कि “जब टिकट को लेकर उन्होंने पार्टी के सीनियर नेताओं से पूछा तो सबने कहा कि यह टिकट आपका ही है. लेकिन इसके बाद भी मुझे टिकट नहीं दिया गया. ऐसे में जो टिकट लेकर आए हैं, वह ही पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ें. हमने जनता के भरोसे निर्दलीय पर्चा भरा है. दस साल तक जनता के आशीर्वाद से विधायक रहा हूं और इस बार भी जनता के विश्वास के बल पर चुनावी मैदान में उतरा हूं.”
त्रिकोणीय हो सकता है चुनावी मुकाबला
पूर्व विधायक के बागी रुख से जदयू को सिवान जिले में बड़ा राजनीतिक नुकसान हो सकता है. क्योंकि श्याम बहादुर सिंह का इस क्षेत्र में मजबूत जनाधार माना जाता है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनके निर्दलीय उतरने से चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
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