New Delhi, 12 सितंबर . जीएसटी सुधार से देश में गाड़ियों की मांग में इजाफा होगा. साथ ही ऑटो सेक्टर से जुड़ी इंडस्ट्री जैसे टायर, बैटरी, ग्लास, स्टील, प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक्स की इंडस्ट्री को भी फायदा होगा. यह जानकारी सरकार की ओर से दी गई.
सरकार ने बताया कि वाहनों की बढ़ती हुई बिक्री अर्थव्यवस्था के लिए एक मल्टीप्लायर इफैक्ट पैदा करेगी. इससे एमएसएमई की सप्लाई चेन को बूस्ट मिलेगा. सरकार की ओर से 350 सीसी से कम की बाइक, छोटी से लग्जरी कार और 1800 सीसी से कम के ट्रैक्टर और ऑटो पार्ट्स पर टैक्स में कटौती की गई.
सरकार के मुताबिक, ऑटो उद्योग मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री, फाइनेंसिंग और रखरखाव के क्षेत्र में 3.5 करोड़ से ज्यादा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है. बढ़ती मांग से डीलरशिप, परिवहन सेवाओं, लॉजिस्टिक्स और कंपोनेंट एमएसएमई में नई भर्तियां होंगी. ड्राइवर, मैकेनिक और छोटे सर्विस गैराज जैसे अनौपचारिक क्षेत्र के रोजगार भी जीएसटी में कटौती से बढ़ेंगे.
जीएसटी में कमी से बाइक की कीमतें कम होंगी, जिससे ये युवाओं, पेशेवरों और निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए ज्यादा सुलभ हो जाएंगी. इससे दोपहिया वाहनों के ऋणों की लागत और ईएमआई में कमी के जरिए गिग वर्कर्स की बचत में मदद मिलने और उसे बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
किफायती श्रेणी की कारें सस्ती हो जाएंगी, जिससे पहली बार कार खरीदने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा और घरेलू गतिशीलता का विस्तार होगा. जीएसटी में कमी से छोटे शहरों और कस्बों में बिक्री को बढ़ावा मिलेगा जहां छोटी कारों का बोलबाला है.
ज्यादा बिक्री से कार डीलरशिप, सर्विस नेटवर्क, ड्राइवरों और ऑटो-फाइनेंस कंपनियों को फायदा होगा.
अतिरिक्त उपकर हटाने से न केवल दरें कम हुई हैं, बल्कि कराधान भी सरल और पूर्वानुमानित हो गया है.
सरकार ने कहा, “40 प्रतिशत पर भी, उपकर न होने से बड़ी कारों पर प्रभावी कर कम हो जाएगा, जिससे वह महत्वाकांक्षी खरीदारों के लिए अपेक्षाकृत अधिक किफायती हो जाएंगी. कर की दर को 40 प्रतिशत तक लाने और उपकर हटाने से यह भी सुनिश्चित होगा कि ये उद्योग पूरी तरह से आईटीसी के पात्र होंगे, जबकि पहले आईटीसी का उपयोग केवल 28 प्रतिशत तक ही किया जा सकता था.”
भारत दुनिया के सबसे बड़े ट्रैक्टर बाजारों में से एक है और जीएसटी में कटौती से घरेलू और निर्यात दोनों क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी. ट्रैक्टर निर्माण के लिए आवश्यक पुर्जों जैसे टायर, गियर आदि पर भी केवल 5 प्रतिशत कर लगेगा.
इंजन, टायर, हाइड्रोलिक पंप और स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली सहायक एमएसएमई को अधिक उत्पादन का लाभ मिलेगा. जीएसटी में कटौती से भारत की वैश्विक ट्रैक्टर निर्माण केंद्र के रूप में स्थिति भी मजबूत होगी.
ट्रैक्टरों की बढ़ती सामर्थ्य से कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण बढ़ेगा. इससे धान, गेहूं आदि जैसी प्रमुख फसलों की उत्पादकता में सुधार होगा.
ट्रक भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं (माल ढुलाई का 65-70 प्रतिशत हिस्सा ढोते हैं). जीएसटी में कमी से ट्रकों की शुरुआती पूंजीगत लागत कम हो जाती है, जिससे प्रति टन-किमी माल ढुलाई दर कम हो जाएगी.
इससे कृषि उत्पादों, सीमेंट, इस्पात, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स डिलीवरी की आवाजाही और सस्ती हो जाएगी और मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा. यह कमी एमएसएमई ट्रक मालिकों को भी लाभ पहुंचाएगी, जो भारत के सड़क परिवहन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हैं. सस्ते ट्रक सीधे तौर पर लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने में मदद करेंगे, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा. ये कदम Prime Minister गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के लक्ष्यों के अनुरूप हैं.
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एबीएस/
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