नई दिल्ली, 21 अप्रैल . भारत ने ‘पड़ोसी पहले’ की नीति के तहत मालदीव के कोस्ट गार्ड के जहाज हुरावी को नया जीवन प्रदान किया है. क्षतिग्रस्त जहाज की भारतीय नौसेना की मदद से व्यापक मरम्मत की गई है. हथियारों और सेंसर के रखरखाव समेत जहाज को सभी आवश्यक सहायता प्रदान की गई, जिसके बाद सोमवार को यह अपने देश के लिए रवाना हो गया.
हुरावी की मरम्मत में करीब चार महीने का समय लगा है. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता के रूप में ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति (महासागर)’ भारत की एक प्रमुख पहल है. इसके अलावा, भारत ‘पड़ोसी पहले’ की नीति को बढ़ावा देता है. अपने ऐसे ही विजन और नीतियों के तहत भारतीय नौसेना ने मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में मालदीव के तट रक्षक जहाज एमएनडीएफ हुरावी के मरम्मत का काम सफलतापूर्वक पूरा किया है.
हुरावी को उसके प्रस्थान से पहले कठिन बंदरगाह और समुद्री परीक्षणों, उपकरणों की परिचालन जांच, सुरक्षा ऑडिट और परिचालन समुद्री परीक्षणों से गुजरना पड़ा. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सभी परीक्षणों में खरा उतरने के बाद जहाज ने नौसेना डॉकयार्ड में अपना पहला सामान्य रिफिट पूरा किया. रिफिट पूरा करने के बाद 21 अप्रैल को हुरावी मालदीव के लिए रवाना हुआ.
यह जहाज 13 नवंबर 2024 को मरम्मत के लिए भारत पहुंचा था. इसके बाद से पिछले चार महीनों में इसकी सभी मशीनरी, हथियारों और सेंसर के रखरखाव से संबंधित प्रमुख कार्य किए गए. साथ ही, इसे रहने योग्य बनाया गया. नौसेना की विभिन्न एजेंसियों और विभिन्न विभागों की डॉकयार्ड टीमों के प्रयासों ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर इस व्यापक मरम्मत कार्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मंत्रालय का कहना है कि एमएनडीएफ हुरावी की सफल मरम्मत दोनों देशों के बीच मजबूत कूटनीतिक और सैन्य सहयोग को दर्शाती है. भारत का यह प्रयास इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय भागीदार होने की देश की अटूट प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करता है.
गौरतलब है कि पुराने प्लेटफॉर्म के प्रतिस्थापन के रूप में मई 2023 में एमएनडीएफ को सौंपे गए मेक इन इंडिया जहाज ने मालदीव द्वीपसमूह में मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) तथा मेडिकल इवैक्युएशन कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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जीसीबी/एकेजे
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