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एक का अपहरण, दूसरे की हत्या: पाकिस्तानी सेना ने बलूच कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना रखा जारी

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क्वेटा, 27 मई . बलूचिस्तान के मानवाधिकार संगठन बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) ने मंगलवार को पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) और फ्रंटियर कोर द्वारा बलूच राजनीतिक नेता गनी बलूच को जबरन गायब किए जाने की कड़ी निंदा की. उन्हें क्वेटा से एक सार्वजनिक वाहन से कराची जाते समय बलूचिस्तान में खुजदार के पास पाकिस्तानी सेना के जवानों द्वारा जबरन उतारा गया और तब से वह गायब हैं.

बीवाईसी ने कहा कि गनी, जो बलूचिस्तान की नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) की केंद्रीय आयोजन समिति के सदस्य हैं, वह लापता हैं और उनके परिवार, कानूनी प्रतिनिधियों या पार्टी के सदस्यों को इसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है.

बीवाईसी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “गनी न केवल एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि क्वेटा में रहने वाले एक पुस्तक प्रकाशक भी हैं और बलूच राजनीतिक और मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध वकील हैं. उनको जबरन गायब करना बलूच युवाओं, बुद्धिजीवियों और राजनीतिक आवाज़ों को निशाना बनाने वाले एक व्यवस्थित अभियान का हिस्सा है. इसके साथ ही यह शांतिपूर्ण आवाजों को दबाने और विरोध के स्वर को मिटाने के लिए राज्य द्वारा अपनाई गई रणनीति है. यह घटना अकेली नहीं है. यह बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने और राजनीतिक दमन की व्यापक पाकिस्तानी नीति का प्रतीक है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का स्पष्ट उल्लंघन है.”

पाकिस्तानी सेना द्वारा लागू की गई ‘किल एंड डंप’ नीति और जबरन गायब किए जाने की एक और घटना पर प्रकाश डालते हुए, बीवाईसी ने सोमवार को कहा कि 23 मई की रात को, बलूचिस्तान के अवारन जिले के जाहू में तब्बू कद इलाके के निवासी हनीफ अजीज बलूच को अर्धसैनिक बलों सहित पाकिस्तानी कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जबरन उसके घर से अगवा कर लिया गया था और उसका शव 24 घंटे से भी कम समय बाद फेंका हुआ मिला.

बीवाईसी ने एक बयान में कहा “उसकी लाश पर क्रूर यातना और गोली के घाव के स्पष्ट निशान थे. यह जघन्य हत्या कोई अकेली घटना नहीं है. यह जबरन गायब किए जाने और चुन-चुनकर की जा रही हत्याओं का तेजी से बढ़ता प्रसार है जो वर्तमान में अवारन को तबाह कर रही है. हाल के दिनों में, इस क्षेत्र में सैन्य अभियानों, गायब किए जाने और हत्याओं में खतरनाक वृद्धि दर्ज की गई है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना अपने कुख्यात ‘मार डालो और फेंक दो’ सिद्धांत पर वापस लौट रही है.”

बयान में कहा गया “ये ऑपरेशन अक्सर स्थानीय मौत दस्तों के साथ समन्वय में किए जाते हैं. जिसमें राज्य समर्थित सेना और आतंकी शामिल होते हैं. जिन्हें अपहरण, निगरानी और हत्या का काम सौंपा जाता है. पाकिस्तानी सेना और खुफिया तंत्र के पूर्ण समर्थन के साथ, ये दस्ते भयमुक्त होकर इस तरह के काम को करते हैं, निहत्थे नागरिकों को आतंकित करते हैं और असहमति जताने वाले किसी भी व्यक्ति को मार देते हैं.”

यह दोहराते हुए कि पाकिस्तान दुनिया की ओर से किसी भी जवाबदेही के बिना बलूचिस्तान में मानवीय कानून के हर मानक का उल्लंघन करना जारी रखता है, बीवाईसी ने संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से इस मामले की तुरंत जांच करने और कार्रवाई करने का आह्वान किया.

जीकेटी/

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