New Delhi, 23 सितंबर . दिल्ली में लाउडस्पीकर बजाने के समय को बढ़ाकर रात 12 बजे तक करने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा कि यह फैसला मौजूदा त्योहारों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और इसे उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
उन्होंने से कहा, “मुझे लगता है कि दिल्ली की Chief Minister ने जो फैसला लिया है, वह जरूरत के हिसाब से और हालात को देखते हुए लिया है. अभी नवरात्र का समय है, रामलीला हो रही है और जगह-जगह जागरण के आयोजन हो रहे हैं. ऐसे में यह फैसला अस्थायी रूप से लिया गया है और इसका मकसद लोगों को त्योहारों के समय सहूलियत देना है. यह कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है.”
हालांकि डॉ. इलियासी ने यह भी कहा कि ध्वनि प्रदूषण से जुड़े कानूनों और ध्वनि मानकों का पालन करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, “चाहे मंदिर हो, मस्जिद हो, गुरुद्वारा हो या कोई अन्य धार्मिकस्थल,ल अगर ध्वनि नियमों के दायरे में रहकर कार्यक्रम हों, तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.”
उन्होंने बताया कि कई बार तेज आवाज से पड़ोस में रहने वाले लोगों को परेशानी हो सकती है. उन्होंने आगे कहा, “कोई बीमार हो सकता है, किसी का बच्चा परीक्षा की तैयारी कर रहा हो, या बुजुर्गों को नींद की जरूरत हो, हमें इस बात का ख्याल जरूर रखना चाहिए कि हमारी धार्मिक भावनाओं के उत्सव से किसी और को तकलीफ न हो.”
डॉ. इलियासी ने इस मुद्दे को धर्म से जोड़ने को गलत बताया. उन्होंने कहा, “जो ध्वनि मानक का कानून है, वह सबके लिए है. चाहे वो हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख हो या ईसाई. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यह कानून आपकी सेहत और समाज की भलाई के लिए बनाया गया है. हमें इसे धर्म के चश्मे से नहीं, कानून और इंसानियत के नजरिए से देखना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि कानून का पालन करना सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है और यह सभी धर्मों से ऊपर है. उन्होंने आगे कहा, “ध्वनि का मानक अगर सभी धर्मस्थलों पर बराबर तरीके से लागू हो, तो समाज में किसी भी तरह की समस्या नहीं आएगी.”
डॉ. इलियासी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दिल्ली Government ने विशेष मौकों और त्योहारों को ध्यान में रखते हुए लाउडस्पीकर की समयसीमा को बढ़ाया है, जिस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
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वीकेयू/डीएससी
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