New Delhi, 5 नवंबर . शंखपुष्पी एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे हजारों सालों से दिमाग के टॉनिक के रूप में उपयोग किया जा रहा है. इसका पौधा छोटा होता है और जमीन पर फैलता है. इसके नीले या सफेद फूल सीपी की तरह दिखते हैं, इसलिए इसका नाम शंखपुष्पी रखा गया है.
यह न सिर्फ याद्दाश्त और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती है बल्कि दिमाग को ठंडक और मन को शांति भी देती है.
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां तनाव और चिंता आम हो गई है, वहां शंखपुष्पी का नियमित सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है. यह जड़ी-बूटी बुद्धि, स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक है. जब बढ़ती उम्र में याददाश्त कमजोर पड़ने लगती है, तब भी यह असरदार होती है.
आयुर्वेद के अनुसार यह दिमाग को पोषण देती है और मानसिक तनाव, चिंता, डिप्रेशन व अल्जाइमर जैसी दिक्कतों में राहत पहुंचाती है. यह शरीर के नर्वस सिस्टम को शांत करती है, जिससे नींद भी बेहतर आती है और मूड संतुलित रहता है.
शंखपुष्पी का प्रयोग सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि कई शारीरिक रोगों में भी किया जाता है. मूत्र रोगों में यह बहुत असरदार है. पेशाब में जलन, दर्द या रुकावट जैसी समस्याओं में इसका चूर्ण दूध, शहद या छाछ के साथ लेना लाभकारी होता है. इसमें पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व खून को साफ करते हैं और हृदय के लिए भी सुरक्षा कवच की तरह काम करते हैं. यह ब्लड क्लॉट और हार्ट ब्लॉक जैसी समस्याओं के खतरे को कम करता है.
मिर्गी के मरीजों को भी शंखपुष्पी का रस और शहद मिलाकर देना फायदेमंद माना जाता है. मधुमेह में इसका चूर्ण सुबह-शाम पानी या गाय के मक्खन के साथ लेने से शुगर कंट्रोल में रहती है. यही नहीं, यह खून की उल्टी, नकसीर और पीलिया जैसी बीमारियों में भी राहत देती है. अगर किसी को खून की उल्टी या नाक से खून आने की समस्या हो, तो इसका रस दूब घास और गिलोय के रस के साथ लेने से तुरंत फायदा होता है.
शंखपुष्पी का उपयोग त्वचा के लिए भी किया जाता है. इसके फूलों का रस चेहरे की झुर्रियों को कम करता है और स्किन को जवां बनाए रखता है. पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे पेचिश, बवासीर या पीलिया में भी यह एक प्राकृतिक औषधि की तरह काम करती है.
हालांकि इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें. ज्यादा लेने से पेट दर्द या हल्की सुस्ती हो सकती है. गर्भवती महिलाएं या छोटे बच्चे इसे वैद्य की सलाह से ही लें.
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पीआईएम/एबीएम
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