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झारखंड में हजारों पारा शिक्षकों को हटाने के आदेश पर भड़के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल, कहा- तत्काल निर्णय वापस लें

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रांची, 25 मई . झारखंड सरकार ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत उन सहायक शिक्षकों (पारा टीचर) को सेवा से हटाने का आदेश दिया है, जिनके इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट कथित रूप से गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों से जारी किए गए हैं.

झारखंड सरकार की इस कार्रवाई को राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने अतार्किक करार दिया है. उन्होंने राज्य की सरकार से यह फैसला वापस लेने की मांग की है.

राज्य में सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2001 से 2003 के बीच जिस वक्त इन शिक्षकों की मात्र एक हजार रुपए के मानदेय पर नियुक्ति की गई थी, उस वक्त उनके लिए न्यूनतम योग्यता मैट्रिक निर्धारित थी.

वर्ष 2005 में उनके लिए इंटरमीडिएट पास होना अनिवार्य घोषित कर दिया गया. इसके बाद शिक्षकों ने कई ऐसे संस्थानों के इंटरमीडिएट उत्तीर्ण का प्रमाण पत्र जमा किया, जिन्हें राज्य सरकार ने अब गैर-मान्यता प्राप्त घोषित कर दिया है.

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बड़ी संख्या में पारा शिक्षकों को हटाने के सरकार के फैसले पर विरोध जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने अपने कार्यकाल में ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से हजारों पारा शिक्षकों की नियुक्ति करवाई थी, क्योंकि जब वर्ष 2000 में झारखंड का गठन हुआ तो लालू प्रसाद यादव के जंगलराज का असर हर क्षेत्र पर हावी था, तब झारखंड में शिक्षा व्यवस्था बेहद जर्जर हालत में थी.”

मरांडी ने आगे लिखा, ”विकट परिस्थिति में मैंने श्रद्धेय अटल जी द्वारा शुरू की गई सर्व शिक्षा अभियान के तहत हजारों पारा शिक्षकों की नियुक्ति करवाई, ताकि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में शिक्षा की लौ जलाई जा सके. आज वही पारा शिक्षक, जो पिछले 25 वर्षों से समर्पित रूप से सेवा दे रहे हैं, उन्हें हेमंत सरकार द्वारा सेवा से हटाने का आदेश जारी किया गया है.”

भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि वर्तमान में प्राथमिक विद्यालयों में हजारों शिक्षकों के पद रिक्त हैं और बीते साढ़े पांच वर्षों में सरकार एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं कर पाई है. ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे रहे पारा शिक्षकों को हटाना किसी भी दृष्टिकोण से तर्कसंगत नहीं है.

उन्होंने हेमंत सोरेन को संबोधित करते हुए लिखा है कि आपसे आग्रह है कि इस निर्णय को तुरंत वापस लें और पारा शिक्षकों का वेतन नियमित रूप से जारी करें.

एसएनसी/एबीएम

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