Next Story
Newszop

सावन विशेष : दो भागों में बंटा है 8 फुट ऊंचा शिवलिंग, रहस्यमयी मंदिर में माता पार्वती और महादेव का अनोखा रूप

Send Push

कांगड़ा, 6 अगस्त . ‘विश्व के नाथ’ को समर्पित सावन महीना समाप्त होने वाला है. यह माह भोलेनाथ के भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस विशेष महीने में हम आपको अनूठे और आश्चर्यचकित कर देने वाले शिव मंदिरों से परिचित करा रहे हैं. इसी कड़ी में हम आपको भक्ति और आश्चर्य को समेटे हुए ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताते हैं, जो Himachal Pradesh में कांगड़ा जिले के काठगढ़ में स्थित है.

यह मंदिर अपनी अनोखी विशेषताओं और प्राचीन इतिहास के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है. विशेष रूप से सावन के महीने में यह मंदिर भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां का शिवलिंग दो भागों में विभाजित है, जिसमें एक भाग को भगवान शिव और दूसरे भाग को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है. यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग इस रूप में स्थापित है.

काठगढ़ मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार, मंदिर का शिवलिंग लगभग 8 फुट ऊंचा है, जो दो हिस्सों में बंटा है. एक हिस्सा 5.5 फुट का है, जो भगवान शिव का प्रतीक है, जबकि इसके ठीक बगल में एक छोटा पत्थर, जो लगभग 1.5 फुट छोटा है, माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है. इस शिवलिंग की एक और विशेषता यह है कि दोनों हिस्सों के बीच की दूरी ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव के अनुसार बदलती रहती है. ग्रीष्म ऋतु में यह शिवलिंग दो भागों में स्पष्ट रूप से विभाजित हो जाता है, जबकि शीत ऋतु में दोनों हिस्से एक-दूसरे के करीब आकर एक रूप धारण कर लेते हैं.

यह प्राकृतिक घटना भक्तों के लिए आश्चर्य और श्रद्धा का विषय है, जो इसे अर्धनारीश्वर स्वरूप का प्रतीक मानते हैं.

काठगढ़ मंदिर का इतिहास शिव पुराण और स्थानीय कथाओं से जुड़ा हुआ है. एक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा और विष्णु के बीच घोर युद्ध हुआ, जिससे महाप्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई, तब भगवान शिव ने इस युद्ध को शांत करने के लिए स्वयं को लिंग रूप में प्रकट किया. यह स्थान वही है, जहां भगवान शिव ने युद्ध को शांत किया और यह शिवलिंग स्वयंभू रूप में प्रकट हुआ.

दूसरी कथा स्थानीय गुर्जर समुदाय से जुड़ी है. कहा जाता है कि गुर्जर अपनी दूध की मटकियां इस शिवलिंग रूपी चट्टान पर रखा करते थे. जब यह चट्टान ऊंची होने लगी, तो भैरव जी ने इसे तराशकर छोटा कर दिया, लेकिन यह फिर से ऊंची हो गई. इस चमत्कार की खबर जब राजा तक पहुंची, तो उन्होंने विद्वानों से परामर्श किया. विद्वानों ने सावन मास में शिव पूजन की सलाह दी, जिसके बाद यह शिवलिंग और पार्वती की प्रतिमा के रूप में प्रकट हुआ.

माना जाता है कि इस मंदिर की दीवारों के अवशेष प्राचीन काल से हैं, जिनकी बार-बार मरम्मत की गई. इस मंदिर का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था, जो स्वयं प्रतिवर्ष कांगड़ा के बृजेश्वरी, ज्वालामुखी और काठगढ़ मंदिरों में दर्शन के लिए आया करते थे. महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शासनकाल में इस मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया और इसे हिंदू-सिख समानता का प्रतीक बनाया. उन्होंने अपने राज्य के धार्मिक स्थलों के सुधार के लिए सरकारी कोष से धन आवंटित किए और इस मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की व्यवस्था की. मंदिर के निकट एक प्राचीन कुआं है, जिसका जल पवित्र और रोग निवारक माना जाता है.

महाराजा रणजीत सिंह इस कुएं का जल अपने शुभ कार्यों के लिए मंगवाते थे. कई साधु और तांत्रिक इस स्थान को तांत्रिक शक्तियों से युक्त मानते हैं, क्योंकि शिवलिंग और मंदिर परिसर अष्टकोणीय आकार में निर्मित हैं. मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से मैदानी क्षेत्रों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. मंदिर के पास शंभू धारा खड्ड और व्यास नदी का संगम इसे और भी आकर्षक बना देता है.

एमटी/एबीएम

The post सावन विशेष : दो भागों में बंटा है 8 फुट ऊंचा शिवलिंग, रहस्यमयी मंदिर में माता पार्वती और महादेव का अनोखा रूप appeared first on indias news.

Loving Newspoint? Download the app now