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सरकारी अस्पताल हुए बीमार, मुफ्त दवा के लिए भटक रहे तीमारदार: सौरभ भारद्वाज

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New Delhi, 31 अक्टूबर . आम आदमी पार्टी के नेताओं ने रियलिटी चेक कर दिल्ली Government पर आरोप लगाया कि दिल्ली में भाजपा Government आने के बाद Governmentी अस्पतालों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. मुफ्त दवा, टेस्ट और सर्जरी जैसी मूलभूत सुविधाएं अब केवल नाम मात्र की रह गई हैं.

‘आप’ दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने बीते Thursday को राजीव गांधी अस्पताल का निरीक्षण किया था, वहीं Friday को कोंडली के विधायक कुलदीप कुमार ने लाल बहादुर शास्त्री (एलबीएस) अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने दावा किया कि यहां मरीजों को निर्धारित दवाइयों का आधा हिस्सा भी अस्पताल से नहीं मिल रहा है और ज्यादातर महंगी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं.

कुलदीप कुमार ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों को 8 से 10 दवाइयां लिखी जा रही हैं, लेकिन अस्पताल से केवल 1 या 2 सस्ती दवाइयां ही दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति भाजपा Government की नाकामी को उजागर करती है. केजरीवाल Government के समय में महंगी से महंगी दवाइयां, टेस्ट और सर्जरी पूरी तरह मुफ्त हुआ करती थीं.

आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि निरीक्षण के दौरान कई मरीजों ने अपनी शिकायतें बताईं. एक बुजुर्ग मरीज ने कहा कि उन्हें केवल दो दवाइयां दी गईं, जबकि बाकी पर ‘कट’ लगाकर बाहर से लाने को कहा गया. एक अन्य मरीज ने शिकायत की कि सात दवाइयों में से केवल एक मिली, बाकी छह बाहर से खरीदनी पड़ीं.

कुछ मरीजों ने यह भी बताया कि पहले सभी दवाइयां अस्पताल में मिल जाती थीं, पर अब ‘बाहर से लो’ कहकर भेज दिया जाता है.

कुलदीप कुमार ने कहा कि इमरजेंसी में भी दवाइयों की भारी कमी है और मरीजों को जन औषधि केंद्र की ओर भेजा जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि Government ने इन दुकानों को अस्पतालों के बाहर जानबूझकर खुलवाया है ताकि गरीब मरीजों से पैसे वसूले जा सकें.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा राज में Governmentी अस्पताल खुद बीमार हो गए हैं. प्रदूषण से बढ़ती बीमारियों और अस्पतालों में दवाइयां नहीं मिलने से दिल्लीवासियों पर दोहरी मार पड़ रही है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल Government में मरीजों को दवा, टेस्ट और सर्जरी सब कुछ मुफ्त मिलता था, जबकि अब वर्तमान Government ने गरीबों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है.

विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि जमीनी सच्चाई यह है कि मरीजों को न दवाइयां मिल रही हैं, न टेस्ट फ्री हो रहे हैं. गरीब लोग सुबह से लाइन में लगते हैं और दोपहर तक दवा के लिए भटकते रहते हैं.

पीकेटी/डीकेपी

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