रांची, 18 अप्रैल . रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के निदेशक डॉ. राजकुमार को झारखंड सरकार ने गुरुवार देर रात उनके पद से हटा दिया. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और रिम्स शासी परिषद के अध्यक्ष इरफान अंसारी की ओर से जारी इस आदेश पर विवाद खड़ा हो गया है.
हटाए गए निदेशक डॉ. राजकुमार ने रातों-रात जारी इस आदेश पर हैरानी जताई है. उन्होंने इसे ऑटोक्रेसी करार दिया है. झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि मंत्री के दबाव में करोड़ों का अनुचित भुगतान करने से इनकार करने और भ्रष्टाचार का विरोध करने की वजह से डॉ. राजकुमार को उनके पद से हटाया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने निदेशक को उनके पद से हटाने का जो आदेश किया है, उसमें कहा गया है कि डॉ. राजकुमार ने मंत्री परिषद, रिम्स शासी परिषद और स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनहित में दिए आदेशों का पालन नहीं किया. निदेशक के रूप में उनकी सेवा संतोषजनक नहीं पाई गई.
आदेश में रिम्स की नियमावली का हवाला देते हुए कहा गया है कि डॉ. राजकुमार को तीन महीने का वेतन और भत्ता देकर तत्काल प्रभाव से पद से हटाया जा रहा है. आदेश में यह भी कहा गया है कि इस निर्णय पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का अनुमोदन प्राप्त है.
राज्य सरकार ने 31 जनवरी 2024 को डॉ. राजकुमार को निदेशक के पद पर नियुक्त किया था. इससे पहले वे लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में न्यूरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे. बताया जा रहा है कि 15 अप्रैल को रिम्स शासी परिषद की 59वीं बैठक में मंत्री इरफान अंसारी और रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार के साथ कुछ मुद्दों पर बहस भी हुई थी. इस वजह से बैठक के लिए तय कई एजेंडों पर निर्णय नहीं लिया जा सका था.
डॉ. राजकुमार ने कहा है कि उन्हें जिस तरह हटाया गया है, वह ऑटोक्रेसी है. यदि रिम्स में मैं काम नहीं कर रहा हूं, तब तो फिर कोई भी काम नहीं कर रहा है. रिम्स में निदेशक के तौर पर शक्ति दिखाने का ही नतीजा है कि मुझे शक्तिविहीन कर दिया गया. अगर मेरे ऊपर ये चार्ज लगता है कि मैं काम नहीं कर रहा हूं कि तो फिर मुझे लगता है कि यहां कोई काम नहीं कर रहा है. अगर उन्हें मेरा इस्तीफा चाहिए था तो दो दिन पहले हुई शासी परिषद की बैठक में ही मांग लेते. मैं खुशी-खुशी पद छोड़ देता.
झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने रिम्स के निदेशक पद से डॉ. राजकुमार को हटाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन्हें मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के भ्रष्टाचार का विरोध करने की वजह से सजा दी गई है.
मरांडी ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर साझा किए गए अपने पोस्ट में लिखा, “विगत दिनों हुई रिम्स शासी परिषद की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार का विरोध करने तथा अनुचित भुगतान के आदेश को न मानने के कारण डॉ. राजकुमार जी को रिम्स निदेशक पद से हटाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.”
मरांडी ने आगे लिखा, “जानकारी मिली है कि शासी परिषद की हालिया बैठक में निजी डायग्नोस्टिक केंद्रों को बिना किसी अनुबंध के करोड़ों रुपए का भुगतान करने का दबाव स्वयं स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय सचिव द्वारा रिम्स निदेशक पर डाला जा रहा था. इस दौरान विभागीय सचिव ने शासी परिषद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने की कोशिश की. अनुचित भुगतान का दबाव नहीं मानने के साथ ही निदेशक ने उस बैठक में अपने इस्तीफा तक दे देने की बात कह दी थी.”
जमशेदपुर पश्चिमी के जदयू विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी इस घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा, “डॉ. राजकुमार पर यह कार्रवाई इसलिए की गई कि इन्होंने दो दिन पूर्व हुई रिम्स शासी निकाय बैठक में करोड़ों रुपए का गलत भुगतान करने का सरकारी आदेश नहीं माना और सही बातें कह दी. इनके द्वारा रिम्स में किया जा रहा सुधार सरकार को रास नहीं आया.”
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एसएनसी/एबीएम
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