New Delhi, 13 सितंबर . एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री ने Saturday को औषध विभाग, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा दवाओं, फॉर्मूलेशन और मेडिकल डिवाइस पर नए जीएसटी रेट्स के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए समय पर जारी निर्देशों का स्वागत किया.
औषध विभाग-एनपीपीए द्वारा हाल ही में जारी कार्यालय ज्ञापन में बताया गया है कि निर्माताओं और मार्केटर्स को जीएसटी के कम रेट्स दर्शाने के लिए एमआरपी को रिवाइज करना जरूरी है, लेकिन बाजार में पहले से जारी मौजूदा स्टॉक को वापस लेना या दोबारा लेबल करना अनिवार्य नहीं होगा, बशर्ते रिटेलर लेवल पर मूल्य अनुपालन सुनिश्चित हो.
सीडीएससीओ ने रिवाइज्ड एमआरपी को दर्शाने के लिए मेडिकल डिवाइस (क्लास C और D) पर तीन महीने के भीतर स्टिकर लगाने की अनुमति दी है, जिससे आयातकों और निर्माताओं के लिए परिचालन संबंधी चुनौतियां कम होंगी.
एआईएमईडी के फोरम कॉर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा, “यह सरकार द्वारा समय पर उठाया गया एक व्यावहारिक कदम है, जो जीएसटी रेट रिवाइज करने पर खुदरा विक्रेताओं, निर्माताओं, आयातकों और वितरकों के सामने आने वाली एक महत्वपूर्ण परिचालन चुनौती का समाधान करता है.”
नाथ ने आगे कहा, “यह प्रावधान अनुपालन, उपभोक्ता पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और पैकेजिंग सामग्री की बर्बादी को रोकता है, साथ ही उद्योग को अनुचित स्टॉक हानि से भी बचाता है. हम इस बात की सराहना करते हैं कि सरकार ने उपभोक्ता हितों की रक्षा और उद्योग को व्यापार करने में आसानी प्रदान करने के बीच सही संतुलन बनाया है.”
हालांकि एनपीपीए के पत्र में अनुपालन न करने पर दंड का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसके पास दवाओं और मेडिकल डिवाइस की कीमतों की निगरानी करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है.
एनपीपीए की मूल्य अधिसूचनाओं का अनुपालन न करने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कारावास और जुर्माना हो सकता है.
नाथ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के लिए कीमतों में कमी संभव है क्योंकि जीएसटी का उद्देश्य निर्माताओं या व्यापारियों पर कार्यशील पूंजी का दबाव डालना नहीं है बल्कि सप्लाई चेन के प्रत्येक चरण पर वैल्यू एडिशन पर टैक्स लगाना था.
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एसकेटी/
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