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'प्रदर्शन का हक, लेकिन हिंसा को जगह नहीं', पश्चिम बंगाल हिंसा पर संदीप दीक्षित

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नई दिल्ली, 15 अप्रैल . कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने वक्फ संशोधन कानून के विरोध के दौरान पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और 24 परगना जिलों में हुई हिंसा पर चिंता जताई. समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए.

संदीप दीक्षित ने कहा, “किसी भी प्रकार की हिंसा पूरी तरह गलत है और हम इसके सख्त खिलाफ हैं. हिंसा, चाहे किसी भी रूप में हो, उसका कोई औचित्य नहीं है. लोगों को प्रदर्शन करने का, अपनी बात रखने का अधिकार है और इसका सम्मान होना चाहिए, इसके लिए उचित स्थान होना चाहिए. लेकिन, हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. मैं प्रार्थना और आशा करता हूं कि पश्चिम बंगाल पुलिस और राज्य सरकार किसी भी तरह की हिंसा को दृढ़ता से रोकेगी और उसे पूरी तरह समाप्त करेगी.”

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान ‘मस्जिद के आगे जुलूस की इजाजत नहीं होनी चाहिए थी’ को लेकर पूछे जाने पर दीक्षित ने कहा कि किसी भी धार्मिक स्थल के सामने उन्माद फैलाने या लोगों को भड़काने की कोशिश करना बिल्कुल गलत है और ऐसी हरकतों की इजाजत नहीं होनी चाहिए. हमने पहले भी कई बार देखा है कि जब कोई जुलूस निकलता है, खासकर मुस्लिम समुदाय की मस्जिदों के सामने जाकर कुछ लोग ऐसी हरकतें करते हैं, जिससे तनाव पैदा होता है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में हमने देखा कि कुछ लोगों ने ऐसा किया. जब ऐसी प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं, तो सरकार और पुलिस को विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए.

पंजाब कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह बाजवा के उस बयान पर भी संदीप दीक्षित ने प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब में 50 से अधिक ग्रेनेड मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगर बाजवा साहब ने यह बात कही है, तो उनके पास जो भी सूचना या स्रोत है, उसे सरकार को देना चाहिए. लेकिन, मजेदार बात यह है कि आम आदमी पार्टी के नेता खुद इस तरह के बयान रोज देते रहते हैं, कभी दिल्ली में, कभी कहीं और. उन्होंने खुद कभी भी अपने बयानों का कोई सबूत देने की बात नहीं की. फिर, अब कांग्रेस नेताओं पर दोहरे मापदंड क्यों थोपे जा रहे हैं?

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पति की सरकारी बैठक में मौजूदगी पर उठे विवाद और आम आदमी पार्टी की ओर से उठाए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि किसी भी सरकारी बैठक में कोई परिवार का व्यक्ति तब तक नहीं जा सकता, जब तक उसके पास कोई आधिकारिक पद या ओहदा न हो. इसलिए, चाहे रेखा गुप्ता जी के पति हों या कोई और, यह गलत है. लेकिन, आम आदमी पार्टी को अगर याद हो, जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे, तब उनकी पत्नी ने भी सरकारी कुर्सी पर बैठकर बयान दिए थे. तो, आप भी तो एक तरह से सत्ता का दुरुपयोग करते हैं. आपने भी बार-बार सरकारी सत्ता और स्थानों का दुरुपयोग किया है, जिसमें आपने अरविंद केजरीवाल के परिवार के लोगों का इस्तेमाल किया है.

पीएसके/एबीएम

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