वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर देश में तीखी बहस छिड़ी हुई है। एक ओर सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की वैधता पर सुनवाई चल रही है, तो दूसरी ओर विपक्षी दलों के नेता भी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी इस कानून के प्रारंभ से ही विरोध में हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। अब ओवैसी ने एक बार फिर इस कानून को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा, “यह कानून कहता है कि हम उस मस्जिद को मस्जिद नहीं मानेंगे, उसे सरकार की संपत्ति घोषित कर देंगे। संसद के सामने मौजूद मस्जिद अब सरकार की प्रॉपर्टी हो जाएगी। क्या हमारी आस्था कोई आस्था नहीं है?”
'हमारी आस्था को नकारा जा रहा है'
ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार हमेशा आस्था की बात करती है, लेकिन हमारी आस्था मस्जिदों से जुड़ी है, क्या वो मान्य नहीं है? उन्होंने कहा, “मैं जानना चाहता हूं कि आखिर बीजेपी सरकार ने यह कानून क्यों बनाया? इसकी जड़ें मुस्लिम विरोधी सोच में हैं। इस कानून से वक्फ की आमदनी में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होने वाली है। बीजेपी के लोग पूरे देश में झूठ फैला रहे हैं। सब अफवाह है, सच्चाई कुछ और है।”
'हमारी जमीनों पर नज़र है'
ओवैसी ने आगे कहा कि वक्फ संशोधन कानून के जरिए हमारी जमीनों को कब्जाने की साजिश हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया, “इनकी नज़र हमारी हर मस्जिद पर है। हम पर जुल्म ढाया जा रहा है। यह कानून मस्जिद की हैसियत को नकारते हुए कहता है कि अब वह मस्जिद नहीं रही, बल्कि वह सरकार की संपत्ति बन गई है।”
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए अंतरिम रोक की मांग की है। केंद्र सरकार ने भी अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं।
याचिकाओं में यह तर्क दिया गया है कि सरकार गैर-न्यायिक तरीके से वक्फ की संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में कुल 5 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें से एक AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर की गई है।
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