लगभग 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विधानसभा में अपना पहला बड़ा विधेयक पारित करा लिया। शुक्रवार को सदन में "दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस बिल 2025" को मंजूरी मिल गई। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बिल पास होने के बाद कहा कि अब बिना वजह अभिभावकों से अतिरिक्त रकम वसूलने का सिलसिला खत्म हो जाएगा। लाइब्रेरी में बच्चों को बंधक बनाने जैसी अमानवीय हरकतें रुकेंगी और दबाव बनाकर फीस वसूली पर रोक लगेगी। उनके मुताबिक, यह कदम शिक्षा क्षेत्र में वर्षों से चली आ रही मनमानी पर सीधा प्रहार करेगा।
चार घंटे चली गरमा-गरम बहस
इस विधेयक पर विधानसभा में करीब चार घंटे चर्चा हुई। बीजेपी के सभी 41 विधायक इसके पक्ष में खड़े रहे, जबकि आम आदमी पार्टी के 17 सदस्यों ने इसका विरोध किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि यह कानून न केवल निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाएगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय की एक नई नींव रखेगा। उनके अनुसार, इस पहल से जनता का भरोसा बढ़ेगा और स्कूलों में फीस संरचना को लेकर स्पष्टता आएगी।
फीस बढ़ाने से पहले होगी पूरी जांच
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब कोई भी निजी स्कूल अपनी मर्जी से फीस में इजाफा नहीं कर पाएगा। फीस तय करने के लिए स्कूलों को अपनी लोकेशन, उपलब्ध सुविधाएं, संचालन व्यय और शिक्षण स्तर जैसी सभी जानकारियां प्रस्तुत करनी होंगी। इसके बाद ही उन्हें शुल्क संशोधन की अनुमति मिलेगी। बिना स्वीकृति फीस बढ़ाने वाले स्कूल पर 1 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि अतिरिक्त वसूली समय पर लौटाई नहीं जाती, तो यह दंड दोगुना कर दिया जाएगा।
बार-बार उल्लंघन पर रद्द होगी मान्यता
नए कानून के तहत बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है। आवश्यकता पड़ने पर सरकार खुद स्कूल का संचालन अपने हाथ में ले सकती है।
विधेयक में त्रिस्तरीय निगरानी व्यवस्था बनाई गई है —
- स्कूल स्तर पर समिति
- जिला स्तर पर शिक्षा निदेशक की समिति
- राज्य स्तर पर स्वतंत्र अपीलीय न्यायाधिकरण
इनमें अभिभावकों, शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व होगा।
अभिभावकों को मिली ‘वीटो पावर’
शिक्षा मंत्री आशीष सूद के मुताबिक, इस कानून में ऑडिट के कड़े नियम जोड़े गए हैं। साथ ही, अभिभावकों को फीस बढ़ोतरी पर अंतिम फैसला देने का अधिकार (वीटो पावर) होगा। यदि माता-पिता सहमत नहीं होते, तो फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी। उन्होंने कहा, “यह कानून शिक्षा के नाम पर हो रही लूट को खत्म करेगा और भ्रष्टाचार पर सीधा वार करेगा।”
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