राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण का कहर लगातार जारी है। सोमवार की सुबह दिल्ली-NCR घने स्मॉग की परत में लिपटी नजर आई, जिससे दृश्यता इतनी कम हो गई कि इंडिया गेट जैसे प्रमुख स्मारक भी नज़र नहीं आए। हवा में जहर घुलने से लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी परेशानियां बढ़ गई हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सोमवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। अगले कुछ दिनों तक हालात में कोई सुधार होने की संभावना नहीं है, क्योंकि हवा की गति बेहद धीमी है और तापमान में गिरावट के साथ कोहरे की परत गहराती जा रही है।
दिल्ली-NCR में कहां कितना रहा AQI (सुबह 7 बजे तक)
इलाका AQI श्रेणी
दिल्ली (ओवरऑल) 309 बहुत खराब
पंजाबी बाग 361 बहुत खराब
वजीरपुर 403 गंभीर
आनंद विहार 392 बहुत खराब
आईटीओ 348 बहुत खराब
बवाना 396 बहुत खराब
IGI एयरपोर्ट 192 खराब
नोएडा 330 बहुत खराब
ग्रेटर नोएडा 319 बहुत खराब
गाजियाबाद 376 बहुत खराब
गुरुग्राम 217 खराब
धुंध और ठंडी हवा ने बढ़ाई परेशानी
सुबह और शाम के समय तापमान में गिरावट और हल्की हवा की वजह से प्रदूषण के कण जमीन के करीब जम गए हैं, जिससे स्मॉग की घनी परत बन गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले सप्ताह तक हवा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद नहीं है। सड़क किनारे रहने वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है।
थोड़ी राहत, लेकिन स्थिति अब भी गंभीर
CPCB के मुताबिक सोमवार को दिल्ली का औसत AQI 309 अंक पर रहा, जो रविवार के 366 की तुलना में कुछ बेहतर है। दोपहर के समय हल्की धूप और हवा की गति लगभग 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचने से प्रदूषक कणों का थोड़ा विसर्जन हुआ, जिससे सूचकांक में लगभग 57 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, यह अभी भी "बहुत खराब" श्रेणी में है और अधिकतर मॉनिटरिंग केंद्रों में AQI 300 से ऊपर ही बना हुआ है।
हवा में ढाई गुना ज्यादा प्रदूषण
मानक के अनुसार, स्वच्छ हवा में PM 10 का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम और PM 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे होना चाहिए। लेकिन दिल्ली की हवा में फिलहाल ये स्तर खतरनाक रूप से बढ़े हुए हैं।
सोमवार शाम 4 बजे तक PM 10 का स्तर 273 और PM 2.5 का स्तर 153 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया — यानी यह स्वच्छ सीमा से ढाई गुना अधिक है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रदूषण स्तर पर लंबे समय तक रहने से सांस संबंधी बीमारियां, अस्थमा और फेफड़ों की समस्याएं बढ़ सकती हैं। लोगों को बाहर निकलते समय मास्क पहनने, सुबह की सैर से परहेज करने और घरों में एयर प्यूरीफायर के उपयोग की सलाह दी जा रही है।
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