Pr   ivate   S   chool   Teachers   Salary Pay: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए उस सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों को अपने शिक्षकों और स्टाफ को छठे और सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन और अन्य लाभ देने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने इस मामले को वापस रोस्टर बेंच के पास भेज दिया है ताकि वे इस पर फिर से विचार कर सकें।   
   
सिंगल बेंच का फैसला सही नहीं था: दिल्ली HCकोर्ट का कहना है कि सिंगल जज की बेंच ने फीस बढ़ाने और शिक्षकों को वेतन देने जैसे न्यायिक कामों को समितियों को सौंपकर कानून का उल्लंघन किया है। अदालतें केवल तथ्य जानने के लिए समितियां बना सकती हैं, न्यायिक फैसले नहीं। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस विमल कुमार यादव की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया।
     
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस विमल कुमार यादव की बेंच ने कहा कि सिंगल जज की बेंच ने फीस बढ़ोतरी और शिक्षकों को छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सैलरी देने जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए जो जोनल और केंद्रीय स्तर पर समितियां बनाई थीं, वह गलत था।
     
कोर्ट ने साफ किया कि अदालतें संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके समितियां बना सकती हैं, लेकिन ये समितियां सिर्फ 'तथ्य खोजने' (Fact Finding) का काम करेंगी। न्यायिक फैसले सुनाने का अधिकार इन समितियों को नहीं दिया जा सकता।
   
प्राइवेट स्कूल टीचर्स पे का है मामलायह मामला तब सामने आया जब कई प्राइवेट स्कूलों ने सिंगल बेंच के 17 नवंबर, 2023 के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। सिंगल बेंच का यह फैसला दिल्ली के गैर-सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के 50 से ज्यादा शिक्षकों की याचिकाओं पर आया था। इन शिक्षकों ने मांग की थी कि उन्हें भी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की तरह छठे और सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के अनुसार सैलरी मिले। कुछ याचिकाओं में तो छठे और सातवें वेतन आयोग के अनुसार प्रमोशन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभों के भुगतान जैसी अन्य मांगें भी शामिल थीं।
   
क्या था सिंगल बेंच का फैसला?सिंगल जज की बेंच ने पहले अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट का सेक्शन 10 बहुत जरूरी है और इसे मानना ही होगा। लेकिन अब हाई कोर्ट की डबल बेंच ने इस आदेश के उस हिस्से को निरस्त कर दिया है जिसमें न्यायिक शक्तियों को समितियों को सौंपा गया था।
   
प्राइवेट स्कूली टीचर्स की सैलरी पर फिर होगी सुनवाईकोर्ट ने इस मामले को फिर से विचार के लिए रोस्टर बेंच को भेज दिया है। इसका मतलब है कि अब रोस्टर बेंच इस पर दोबारा सुनवाई करेगी और तय करेगी कि प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को छठे और सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलेगा या नहीं। यह फैसला प्राइवेट स्कूलों और उनके शिक्षकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है और आगे की सुनवाई का इंतजार रहेगा।
  
सिंगल बेंच का फैसला सही नहीं था: दिल्ली HCकोर्ट का कहना है कि सिंगल जज की बेंच ने फीस बढ़ाने और शिक्षकों को वेतन देने जैसे न्यायिक कामों को समितियों को सौंपकर कानून का उल्लंघन किया है। अदालतें केवल तथ्य जानने के लिए समितियां बना सकती हैं, न्यायिक फैसले नहीं। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस विमल कुमार यादव की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस विमल कुमार यादव की बेंच ने कहा कि सिंगल जज की बेंच ने फीस बढ़ोतरी और शिक्षकों को छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सैलरी देने जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए जो जोनल और केंद्रीय स्तर पर समितियां बनाई थीं, वह गलत था।
कोर्ट ने साफ किया कि अदालतें संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके समितियां बना सकती हैं, लेकिन ये समितियां सिर्फ 'तथ्य खोजने' (Fact Finding) का काम करेंगी। न्यायिक फैसले सुनाने का अधिकार इन समितियों को नहीं दिया जा सकता।
प्राइवेट स्कूल टीचर्स पे का है मामलायह मामला तब सामने आया जब कई प्राइवेट स्कूलों ने सिंगल बेंच के 17 नवंबर, 2023 के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। सिंगल बेंच का यह फैसला दिल्ली के गैर-सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के 50 से ज्यादा शिक्षकों की याचिकाओं पर आया था। इन शिक्षकों ने मांग की थी कि उन्हें भी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की तरह छठे और सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के अनुसार सैलरी मिले। कुछ याचिकाओं में तो छठे और सातवें वेतन आयोग के अनुसार प्रमोशन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभों के भुगतान जैसी अन्य मांगें भी शामिल थीं।
क्या था सिंगल बेंच का फैसला?सिंगल जज की बेंच ने पहले अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट का सेक्शन 10 बहुत जरूरी है और इसे मानना ही होगा। लेकिन अब हाई कोर्ट की डबल बेंच ने इस आदेश के उस हिस्से को निरस्त कर दिया है जिसमें न्यायिक शक्तियों को समितियों को सौंपा गया था।
प्राइवेट स्कूली टीचर्स की सैलरी पर फिर होगी सुनवाईकोर्ट ने इस मामले को फिर से विचार के लिए रोस्टर बेंच को भेज दिया है। इसका मतलब है कि अब रोस्टर बेंच इस पर दोबारा सुनवाई करेगी और तय करेगी कि प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को छठे और सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलेगा या नहीं। यह फैसला प्राइवेट स्कूलों और उनके शिक्षकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है और आगे की सुनवाई का इंतजार रहेगा।
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