Unified Payments Interface यानी यूपीआई के एक बार फिर डाउन होने से बड़ी संख्या में यूजर्स को परेशानी झेलनी पड़ी। दो हफ्ते में तीसरी बार इस तरह की दिक्कत पेश आना बताता है कि एक अकेली बॉडी नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के भरोसे रहने के बजाय वैकल्पिक इंतजाम भी किए जाने चाहिए। वैसे, यह भी सच है कि भारत का ऐप्स बेस्ड पेमेंट सिस्टम बाकी दुनिया से कहीं आगे है। टेक्निकल एरर: यूपीआई के डाउन होने पर NPCI की ओर से बताया गया कि तकनीकी समस्या की वजह से ऐसा हुआ। दिन में कई घंटे के लिए ट्रांजेक्शन रुक गए। ऐसा ही कुछ मार्च के आखिरी हफ्ते में भी हुआ था और तब भी यही कारण बताया गया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अप्रैल में UPI ट्रांजेक्शंस बहुत बढ़ गए हैं और इसके पीछे है IPL। इस समय बेटिंग और गेमिंग ऐप्स के चलते ऑनलाइन लेनदेन खूब हो रहा है। इस महीने हर दिन औसतन 60 करोड़ ट्रांजेक्शन किया जा रहा है। तैयारी क्यों नहीं: केवल मार्च में ही 18 अरब यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए, जबकि इसके पहले के तीन महीनों में यह आंकड़ा केवल 16 अरब था। जाहिर है कि इंडियन प्रीमियर लीग शुरू होने के साथ ही ट्रांजेक्शन भी बढ़ा। जब दो बार पहले टेक्निकल एरर का सामना किया जा चुका था, तो तीसरी बार के लिए तैयारी क्यों नहीं हुई ? सबसे ज्यादा लेनदेन: पूरी दुनिया में जितने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होते हैं, उसके करीब 49% केवल भारत में अंजाम दिए जाते हैं। 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, यूपीआई के जरिये 117.6 अरब लेनदेन किए गए। हर दिन के साथ यह आंकड़ा बढ़ रहा है। इसकी वजह है सहूलियत और देश के दूरदराज के इलाकों तक इंटरनेट की पहुंच। UPI ने आर्थिक समानता लाने में मदद की है, बैंकों पर से बोझ कम किया है और लेनदेन को चंद सेकंड्स का काम बना दिया है। सबसे बड़ी बात कि इससे लेनदेन पर आम जनता को एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता। दूसरे भी मुरीद: कुछ तकनीकी खामियों के बावजूद UPI जैसा कोई और सिस्टम दुनिया में मौजूद नहीं, जो इतनी बड़ी आबादी के बीच काम कर सके। यही वजह है कि फ्रांस, सिंगापुर, यूएई, मॉरिशस समेत सात देश इसका इस्तेमाल करने लगे हैं और भविष्य में कई और मुल्क भी इससे जुड़ेंगे। सुधार जरूरी: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने NPCI पर से बोझ कम करने के लिए एक अम्ब्रेला बॉडी बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन इस पर बात आगे नहीं बढ़ सकी। हालांकि अब समय की जरूरत को देखते हुए लगता है कि UPI को स्मूद और एरर फ्री बनाने के लिए कुछ जरूरी सुधार किए जाने चाहिए।
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