नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। टाटा ग्रुप ने पहली बार अपने रिटायरमेंट नियमों को थोड़ा मोड़ दिया है। टाटा ट्रस्ट्स ने टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को एक बार फिर एक्सटेंशन देने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक ट्र्स्ट्स ने उनके तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दी दी है। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि ग्रुप में काम-काज की निरंतरता बनी रहे। ईटी के एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है। टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस की 66% हिस्सेदारी है। यह पहला मौका है जब ग्रुप का कोई एग्जीक्यूटिव रिटायरमेंट की उम्र पार करने के बाद भी एक्टिव एक्जीक्यूटिव की भूमिका में बना रहेगा।
टाटा ग्रुप के नियमों के अनुसार आम तौर पर किसी भी एग्जीक्यूटिव को 65 साल की उम्र में अपने पद से हटना पड़ता है। हालांकि वह 70 साल की उम्र तक नॉन-एक्जीक्यूटिव रोल में बने रह सकता है। लेकिन चंद्रशेखरन के मामले में ग्रुप ने इस पॉलिसी से किनारा कर लिया है। जब उनका दूसरा कार्यकाल फरवरी 2027 में खत्म होगा, तब वह 65 साल के हो जाएंगे। इसके बावजूद उन्हें एक और कार्यकाल दिया जा रहा है।
जरूरी प्रोजेक्ट्स पर काम
इस फैसले के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि ग्रुप अभी कुछ बहुत बड़े और जरूरी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। इनमें सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बैटरी बनाना तथा एयर इंडिया को फिर से खड़ा करना शामिल है। सूत्रों के मुताबिक इन बड़े कामों को पूरा करने के लिए एक अनुभवी और लगातार नेतृत्व की जरूरत महसूस की गई। यह भी बताया गया है कि टाटा ट्रस्ट्स ने यह प्रस्ताव टाटा संस को भेज दिया है। अब टाटा संस को ही इस पर अंतिम फैसला लेना होगा कि 2027 से चंद्रशेखरन को तीसरा कार्यकाल दिया जाए या नहीं।
यह फैसला टाटा ट्रस्ट्स की मीटिंग में 11 सितंबर को लिया गया। नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने चंद्रशेखरन के लिए पांच साल के तीसरे कार्यकाल का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि ग्रुप के चल रहे बड़े बदलावों के लिए निरंतरता बहुत जरूरी है। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई। टाटा ट्रस्ट्स ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। टाटा ग्रुप के नियमों के अनुसार नए कार्यकाल को पुराना कार्यकाल खत्म होने से एक साल पहले मंजूरी मिल जानी चाहिए। इसलिए अगले साल फरवरी में टाटा ट्रस्ट्स इस फैसले को औपचारिक रूप से तय करेंगे।
टाटा ट्रस्ट्स में मतभेद
चंद्रशेखरन को एक्सटेंशन देने का फैसला ऐसे समय में आया है जब टाटा ट्रस्ट्स के भीतर इस बात पर भी कुछ मतभेद चल रहा है कि टाटा संस को प्राइवेट रखना चाहिए या नहीं। कुछ ट्रस्टी जुलाई में लिए गए उस फैसले पर फिर से विचार कर रहे हैं जिसमें कहा गया था कि टाटा संस को प्राइवेट ही रखा जाएगा। ऐसे में चंद्रशेखरन की लीडरशिप को इस मुश्किल दौर से निकालने के लिए बहुत जरूरी माना जा रहा है।
चंद्रशेखरन को फरवरी 2022 में पांच साल का दूसरा कार्यकाल मिला था। वह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के पुराने अधिकारी हैं। उन्होंने पहली बार अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में जगह बनाई थी और जनवरी 2017 में चेयरमैन बने थे। उनके नेतृत्व में पिछले पांच सालों में टाटा ग्रुप का रेवेन्यू लगभग दोगुना हो गया है और नेट प्रॉफिट तथा मार्केट कैप तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि पिछले एक साल में ग्रुप का मार्केट कैप लगभग 6.9 लाख करोड़ रुपये घटकर 10 अक्टूबर 2025 तक 26.5 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इसका मुख्य कारण TCS के शेयर की कीमत में लगभग 30% की गिरावट है, जो टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी है।
टाटा ग्रुप के नए बिजनेस
उनके कार्यकाल में ग्रुप ने नए बिजनेस भी शुरू किए हैं। इनमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण, असेंबली और टेस्टिंग के क्षेत्र में प्रवेश शामिल है। टाटा डिजिटल ने डिजिटल ऐप टाटा न्यू के साथ एक ओमनी-चैनल प्लेटफॉर्म बनाया है। साथ ही ग्रुप इलेक्ट्रॉनिक्स (क्रोमा), किराना (बिगबास्केट), फार्मेसी और डायग्नोस्टिक्स (टाटा 1mg) और फैशन (टाटा क्लिक) जैसे क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा एयर इंडिया की 69 साल बाद टाटा ग्रुप में वापसी हुई है।
टाटा ग्रुप के नियमों के अनुसार आम तौर पर किसी भी एग्जीक्यूटिव को 65 साल की उम्र में अपने पद से हटना पड़ता है। हालांकि वह 70 साल की उम्र तक नॉन-एक्जीक्यूटिव रोल में बने रह सकता है। लेकिन चंद्रशेखरन के मामले में ग्रुप ने इस पॉलिसी से किनारा कर लिया है। जब उनका दूसरा कार्यकाल फरवरी 2027 में खत्म होगा, तब वह 65 साल के हो जाएंगे। इसके बावजूद उन्हें एक और कार्यकाल दिया जा रहा है।
जरूरी प्रोजेक्ट्स पर काम
इस फैसले के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि ग्रुप अभी कुछ बहुत बड़े और जरूरी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। इनमें सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बैटरी बनाना तथा एयर इंडिया को फिर से खड़ा करना शामिल है। सूत्रों के मुताबिक इन बड़े कामों को पूरा करने के लिए एक अनुभवी और लगातार नेतृत्व की जरूरत महसूस की गई। यह भी बताया गया है कि टाटा ट्रस्ट्स ने यह प्रस्ताव टाटा संस को भेज दिया है। अब टाटा संस को ही इस पर अंतिम फैसला लेना होगा कि 2027 से चंद्रशेखरन को तीसरा कार्यकाल दिया जाए या नहीं।
यह फैसला टाटा ट्रस्ट्स की मीटिंग में 11 सितंबर को लिया गया। नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने चंद्रशेखरन के लिए पांच साल के तीसरे कार्यकाल का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि ग्रुप के चल रहे बड़े बदलावों के लिए निरंतरता बहुत जरूरी है। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई। टाटा ट्रस्ट्स ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। टाटा ग्रुप के नियमों के अनुसार नए कार्यकाल को पुराना कार्यकाल खत्म होने से एक साल पहले मंजूरी मिल जानी चाहिए। इसलिए अगले साल फरवरी में टाटा ट्रस्ट्स इस फैसले को औपचारिक रूप से तय करेंगे।
टाटा ट्रस्ट्स में मतभेद
चंद्रशेखरन को एक्सटेंशन देने का फैसला ऐसे समय में आया है जब टाटा ट्रस्ट्स के भीतर इस बात पर भी कुछ मतभेद चल रहा है कि टाटा संस को प्राइवेट रखना चाहिए या नहीं। कुछ ट्रस्टी जुलाई में लिए गए उस फैसले पर फिर से विचार कर रहे हैं जिसमें कहा गया था कि टाटा संस को प्राइवेट ही रखा जाएगा। ऐसे में चंद्रशेखरन की लीडरशिप को इस मुश्किल दौर से निकालने के लिए बहुत जरूरी माना जा रहा है।
चंद्रशेखरन को फरवरी 2022 में पांच साल का दूसरा कार्यकाल मिला था। वह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के पुराने अधिकारी हैं। उन्होंने पहली बार अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में जगह बनाई थी और जनवरी 2017 में चेयरमैन बने थे। उनके नेतृत्व में पिछले पांच सालों में टाटा ग्रुप का रेवेन्यू लगभग दोगुना हो गया है और नेट प्रॉफिट तथा मार्केट कैप तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि पिछले एक साल में ग्रुप का मार्केट कैप लगभग 6.9 लाख करोड़ रुपये घटकर 10 अक्टूबर 2025 तक 26.5 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इसका मुख्य कारण TCS के शेयर की कीमत में लगभग 30% की गिरावट है, जो टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी है।
टाटा ग्रुप के नए बिजनेस
उनके कार्यकाल में ग्रुप ने नए बिजनेस भी शुरू किए हैं। इनमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण, असेंबली और टेस्टिंग के क्षेत्र में प्रवेश शामिल है। टाटा डिजिटल ने डिजिटल ऐप टाटा न्यू के साथ एक ओमनी-चैनल प्लेटफॉर्म बनाया है। साथ ही ग्रुप इलेक्ट्रॉनिक्स (क्रोमा), किराना (बिगबास्केट), फार्मेसी और डायग्नोस्टिक्स (टाटा 1mg) और फैशन (टाटा क्लिक) जैसे क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा एयर इंडिया की 69 साल बाद टाटा ग्रुप में वापसी हुई है।
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