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अमेरिका के गोल्डन डोम डिफेंस सिस्टम से घबराया चीन, मिसाइल शील्ड प्रोग्राम को बंद करने की मांग, जानें बताया क्या बड़ा खतरा

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बीजिंग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार 20 मई को आधिकारिक तौर पर महत्वाकांक्षी गोल्डन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली की घोषणा की है। 175 अरब डॉलर की इस मिसाइल शील्ड को तीन साल के अंदर तैयार किया जाएगा, जिसका उद्येश्य चीन और रूस से खतरों को रोकना है। ट्रंप ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम की घोषणा करते हुए बताया कि यह दुनिया के किसी भी हिस्से से होने वाले हमले को रोकने में सक्षम होगा। अंतरिक्ष से होने वाला हमला भी नाकाम होगा। उन्होंने इसे अमेरिका का अंतरिक्ष में पहला हथियार बताया। इस बीच चीन ने इस परियोजना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि इससे बाहरी अंतरिक्ष के सैन्यीकरण और हथियारों की दौड़ का खतरा बढ़ता है। निंग ने कहा, 'अमेरिका यूएस फर्स्ट नीति का पालन करते हुए अपने लिए पूर्ण सुरक्षा की मांग करने के लिए जुनूनी है। यह इस सिद्धांत का उल्लंघन करता है कि सभी देशों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए और वैश्विक रणनीतिक संतुलन और स्थिरता को कमजोर करता है। चीन इस बारे में गंभीर रूप से चिंतित है।' गोल्डन डोम प्रोग्राम बंद करने की मांगचीनी प्रवक्ता ने आगे कहा, 'हम अमेरिका से वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणाली के विकास और तैनाती को त्यागने और प्रमुख शक्तियों के बीच रणनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने और वैश्विक रणनीतिक स्थिरता की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह करते हैं।' अंतरिक्ष में शुरू हो सकती है हथियारों की रेसगोल्डन डोम प्रोजेक्ट ने वैश्विक सुरक्षा पर इसके संभावित असर और हथियारों की रेस के जोखिम पर नई बहस शुरू कर दी है। इस प्रणाली में जमीन और अंतरिक्ष आधारित क्षमता को शामिल किया जाएगा। मिसाइल हमला होने पर यह सिस्टम चार प्रमुख चरणों में उसका पता लगा सकता है और उसे रोक सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि गोल्डन डोम मिसाइलों को रोकने में सक्षम होगा, भले ही वे दुनिया के दूसरे हिस्सों से या अंतरिक्ष से लॉन्च की गई हों। उन्होंने इसे अमेरिका की सफलता के लिए और यहां तक कि अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया। रूस भी अमेरिकी प्रोजेक्ट पर जता चुका है चिंतारूस और चीन ने इस महीने की शुरुआत में ही गोल्डन डोम की अवधारणा को गंभीर रूप से अस्थिर करने वाला बताते हुए इसकी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि इससे अंतरिक्ष के 'युद्ध के मैदान' में बदलने का जोखिम है। बीजिंग के साथ वार्ता के बाद क्रेमलिन से प्रकाशित एक बयान में कहा गया कि 'इसमें स्पष्ट रूप से अंतरिक्ष में युद्ध संचालन के लिए शस्त्रागार को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करने का प्रावधान है।'
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