समाज में लड़का–लड़की के भेद को खत्म करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन फिर भी आज भी समाज में यह पुरानी सोच गहराई से मौजूद है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में सामने आया, जब एक पिता ने अपनी नवजात बेटी को देखने से ही इनकार कर दिया।
वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक लड़की थी। इस घटना की जानकारी डॉक्टर नाज फातिमा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो के जरिए साझा की है। आइए जानते हैं पूरा मामला। फोटो साभार: freepik (सांकेतिक तस्वीर)
दो परिवारों में था खुशियों का माहौल
डॉ. नाज फातिमा कहती हैं, ‘मैं यह सब देखकर बेहद दुखी हूं।" दरअसल, आज के दिन अस्पताल में तीन डिलीवरी हुईं थीं। इन तीनों प्रसव में तीनों महिलाओं ने बेटियों को जन्म दिया था। दो परिवारों के लिए यह पल बेहद खुशी भरा था। उनके चेहरों पर मुस्कान थी, आंखों में संतोष दिखा। मिठाईयां बांटी। उन्होंने अपनी नवजात बच्चियों का खुले दिल से स्वागत किया।
तीसरी फैमिली में पिता ने मोड़ा मुंह
स्त्री रोग विशेषज्ञ कहती हैं कि हमने कई बार बच्ची के पिता से कहा था कि आइए, अपनी बेटी को एक बार देख तो लीजिए। लेकिन वह सामने आने को तैयार ही नहीं था। बाहर जाकर अकेला बैठ गया। जब मैंने खुद जाकर कहा कि चलिए, एक बार बच्ची का चेहरा तो देख लीजिए, तो उसने साफ मना कर दिया। बोला- 'नहीं।' यह सब देखकर मेरा मन भारी हो गया। "
तीसरे परिवार में छा गया मातम
डॉ. नाज बताती हैं कि ‘जब मैंने पिता से पूछा कि वह अपनी बेटी को क्यों नहीं देखना चाहता, तो उसका जवाब और भी चौंकाने वाला था। उसने कहा-‘नहीं देखना है, बेटी हो गई है। अब मूड खराब हो गया है। 80 लाख तैयार करो दहेज के लिए।’ डॉ. फातिमा कहती हैं, मैंने कहा-‘अगर इतनी ही परेशानी है, तो मुझे दे दो बच्ची और वह बिना किसी झिझक के बोला-‘ले लीजिए। ये जवाब सुनकर मैं हैरान रह गया।
पिता को नहीं थी फ्रिक
डॉक्टर नाज कहती हैं कि उस व्यक्ति ने एक पल को भी नहीं सोचा कि जिस महिला ने नौ महीने तक उस बच्चे को अपने पेट में रखा, जिसने हर दर्द सहा, उस मां पर क्या बीतेगी? बेटी पैदा करना कोई अपराध नहीं है।
मां थी बेहद मजबूत
डॉक्टर आगे बताती हैं कि बच्ची की मां काफी मजबूत थीं। वह कहती हैं, मुझे इस तरह की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। डॉक्टर कहती हैं कि इस तरह की सिचुएशन तब थी, जब वह महिला वर्किंग थी। खुद कमाती थी।
महिलाओं को टॉर्चर न करें
वह वीडियो के अंत में कहती हैं कि इस तरह से महिलाओं को टॉर्चर न करें। ऐसी स्थिति उन्हें डिप्रेशन में पहुंचा सकती है। इसलिए सब लोगों से कहना चाहती हूं कि महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार न करें।
वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक लड़की थी। इस घटना की जानकारी डॉक्टर नाज फातिमा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो के जरिए साझा की है। आइए जानते हैं पूरा मामला। फोटो साभार: freepik (सांकेतिक तस्वीर)
दो परिवारों में था खुशियों का माहौल
डॉ. नाज फातिमा कहती हैं, ‘मैं यह सब देखकर बेहद दुखी हूं।" दरअसल, आज के दिन अस्पताल में तीन डिलीवरी हुईं थीं। इन तीनों प्रसव में तीनों महिलाओं ने बेटियों को जन्म दिया था। दो परिवारों के लिए यह पल बेहद खुशी भरा था। उनके चेहरों पर मुस्कान थी, आंखों में संतोष दिखा। मिठाईयां बांटी। उन्होंने अपनी नवजात बच्चियों का खुले दिल से स्वागत किया।
तीसरी फैमिली में पिता ने मोड़ा मुंह
स्त्री रोग विशेषज्ञ कहती हैं कि हमने कई बार बच्ची के पिता से कहा था कि आइए, अपनी बेटी को एक बार देख तो लीजिए। लेकिन वह सामने आने को तैयार ही नहीं था। बाहर जाकर अकेला बैठ गया। जब मैंने खुद जाकर कहा कि चलिए, एक बार बच्ची का चेहरा तो देख लीजिए, तो उसने साफ मना कर दिया। बोला- 'नहीं।' यह सब देखकर मेरा मन भारी हो गया। "
तीसरे परिवार में छा गया मातम
डॉ. नाज बताती हैं कि ‘जब मैंने पिता से पूछा कि वह अपनी बेटी को क्यों नहीं देखना चाहता, तो उसका जवाब और भी चौंकाने वाला था। उसने कहा-‘नहीं देखना है, बेटी हो गई है। अब मूड खराब हो गया है। 80 लाख तैयार करो दहेज के लिए।’ डॉ. फातिमा कहती हैं, मैंने कहा-‘अगर इतनी ही परेशानी है, तो मुझे दे दो बच्ची और वह बिना किसी झिझक के बोला-‘ले लीजिए। ये जवाब सुनकर मैं हैरान रह गया।
पिता को नहीं थी फ्रिक
डॉक्टर नाज कहती हैं कि उस व्यक्ति ने एक पल को भी नहीं सोचा कि जिस महिला ने नौ महीने तक उस बच्चे को अपने पेट में रखा, जिसने हर दर्द सहा, उस मां पर क्या बीतेगी? बेटी पैदा करना कोई अपराध नहीं है।
मां थी बेहद मजबूत
डॉक्टर आगे बताती हैं कि बच्ची की मां काफी मजबूत थीं। वह कहती हैं, मुझे इस तरह की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। डॉक्टर कहती हैं कि इस तरह की सिचुएशन तब थी, जब वह महिला वर्किंग थी। खुद कमाती थी।
महिलाओं को टॉर्चर न करें
वह वीडियो के अंत में कहती हैं कि इस तरह से महिलाओं को टॉर्चर न करें। ऐसी स्थिति उन्हें डिप्रेशन में पहुंचा सकती है। इसलिए सब लोगों से कहना चाहती हूं कि महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार न करें।
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