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AI बता देगा क्यों भौंक रहा डॉगी, जानवरों की भाषा को ट्रांसलेट कर देगा ये टूल, जान जाएंगे सारी बातें

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डॉग ऑनर्स अक्सर ये सोचते हैं कि काश वे अपने पालतू कुत्ते की बातों को समझ सकते, ताकि उन्हें ये पता लग जाता कि उनका डॉग क्यों भौंक रहा है। तकनीक का दौर आ चुका है, लोग बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में यह बहुत छोटी बात है कि इंसान अपने पेट्स की भाषा को समझ जाएं। दरअसल, चीन में ऐसा AI टूल विकसित हो रहा है, जो आपको बता देगा कि आपका पेट एनिमल क्यों भौंक रहा है और वह क्या कहना चाह रहा है। चलिए, जानते हैं कि ये टूल कौनसा है और कैसे काम करने वाला है?
ह्यूमन लैंग्वेज में बदल देगा जानवरों की भाषा image

चीन की एक नामी कंपनी बायडू ने कुछ महीने पहले एक ऐसा AI टूल डेवलप किया, जो जानवरों की भाषा को इंसानी भाषा में कन्वर्ट कर देता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग की इस सर्च इंजन कंपनी ने नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी एडमिनिस्ट्रेशन में एक पेटेंट फाइल किया है. इसमे जानवरों की भाषा, उनका बिहेवियर और फिजिकल साइन्स के बारे में एनालिसिस होता है और फिर इन्हें ह्यूमन लैंग्वेज में बदला जाता है। ये तकनीक आएगी तो लोग आसानी से समझ जाएंगे कि उनके पेट एनिमल्स किस बारे में कैसे विचार रखते हैं, उनके इमोशन्स को समझने मे भी आसानी होगी।


डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स को होगी आसानी image

पेटेंट डॉक्युमेंट्स के अनुसार, यह तकनीक जानवरों और इंसानों के बीच भावनात्मक समझ और संवाद को बढ़ावा देगी। इससे दो प्रजातियों के बीच कम्युनिकेशन होगा और उनके रिश्तों में भी सुधार होगा। आप अपने पालतू जानवर की भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे और उनके साथ आपका रिश्ता और मजबूत हो सकता है। यह तकनीक न केवल पालतू जानवरों के मालिकों के लिए मददगार होगी, बल्कि एनिमल्स का इलाजे करने वाले डॉक्टर्स और इनके एक्सपर्ट्स के लिए भी मददगार साबित हो सकती है। डॉक्टर्स को जानवरों का इलाज करने में आसानी होगी और वे उनकी बातों को समझ पाएंगे।


तकनीक पर काम चल रहा है image

अभी तक ये तकनीक पूरी तरह से तैयार नहीं हुई है। यह प्रोजेक्ट अभी रिसर्च फेज में है। बायडू इकलौती कंपनी नहीं है, जो ऐसी तकनीक पर काम कर रही है। कई और वैज्ञानिक भी हैं जो ऐसा AI टूल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। Cetacean Translation Initiative ऐसे टूल पर काम कर रही है, जो व्हेल मछलियों की बातचीत समझा सके। Earth Species Project नाम की कंपनी भी जानवरों की भाषा को डिकोड करना चाह रही है।


पहले भी ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम हुआ image

यह पहली बार नहीं है जब जानवरों की आवाज को समझने की कोशिश हो रही है। पहले भी कई ऐप्स मार्केट में आए हैं, जो पेट एनिमल्स की आवाज को इंसानी भाषा में ट्रांसलेट करने का दावा करते हैं। लेकिन इनमें से ज़्यादातर ऐप्स की रेटिंग खराब रही और इन्हें बहुत बेसिक माना गया। 2014 में स्कैंडिनेवियाई रिसर्च लेबोरेटरी ने 'नो मोर वूफ' डिवाइस के लिए 18.7 लाख रुपये से ज्यादा की राशि जुटाई थी। लेकिन तीन साल बाद, उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट बहुत महंगा हो गया और इसे आगे नहीं बढ़ा सकते।

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