लखनऊ नगर निगम ने गोमतीनगर स्थित सहारा शहर के सभी गेट सील करने का दावा किया था, लेकिन एक पार्किंग गेट खुला छोड़ दिया गया है। इस खुले गेट पर तैनात नगर निगम के सुरक्षाकर्मी ड्यूटी के दौरान टहलने निकल जाते हैं, जिससे निगम की सीलिंग व्यवस्था पूरी तरह बेमानी साबित हो रही है। सहारा शहर के मेन गेट के ठीक बगल सृजन विहार जाने वाली रोड पर स्थित पार्किंग गेट को नगर निगम की टीम ने सोमवार को सील नहीं किया। यहां तैनात ईटीएफ के जवान सृजन विहार रोड पर टहलते हुए पाए गए और गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था। इससे कोई भी आसानी से सहारा शहर में प्रवेश कर सकता है।
इस मामले में नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि सहारा शहर के छह गेट सील किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक गेट इसलिए खुला छोड़ा गया है, ताकि किसी औचक निरीक्षण के वक्त कोई दिक्कत न आए। यह व्यवस्था सुरक्षा के लिहाज से की गई है।
सहारा समूह प्रबंधन ने नगर निगम की इस कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई होने की उम्मीद है। इस बीच, सहारा शहर के कर्मचारी भी इस मामले में हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं। कर्मचारियों को पिछले कई महीनों से वेतन और अन्य भुगतान नहीं मिला है। इस समस्या से परेशान कर्मचारियों ने मंगलवार शाम एक बैठक की और आगे की रणनीति तय की। कर्मचारियों का कहना है कि वे फिलहाल प्रबंधन से बातचीत करके अपनी समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। अगर बातचीत से हल नहीं निकलता है, तो वे कानूनी रास्ता अपनाएंगे।
यह घटना नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है। एक तरफ जहां निगम बड़े-बड़े दावे करता है, वहीं दूसरी तरफ जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही और व्यवस्था में खामियों के कारण निगम के आदेशों का पालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। इससे आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कर्मचारियों की समस्या भी गंभीर है और उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए।
इस मामले में नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि सहारा शहर के छह गेट सील किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक गेट इसलिए खुला छोड़ा गया है, ताकि किसी औचक निरीक्षण के वक्त कोई दिक्कत न आए। यह व्यवस्था सुरक्षा के लिहाज से की गई है।
सहारा समूह प्रबंधन ने नगर निगम की इस कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई होने की उम्मीद है। इस बीच, सहारा शहर के कर्मचारी भी इस मामले में हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं। कर्मचारियों को पिछले कई महीनों से वेतन और अन्य भुगतान नहीं मिला है। इस समस्या से परेशान कर्मचारियों ने मंगलवार शाम एक बैठक की और आगे की रणनीति तय की। कर्मचारियों का कहना है कि वे फिलहाल प्रबंधन से बातचीत करके अपनी समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। अगर बातचीत से हल नहीं निकलता है, तो वे कानूनी रास्ता अपनाएंगे।
यह घटना नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है। एक तरफ जहां निगम बड़े-बड़े दावे करता है, वहीं दूसरी तरफ जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही और व्यवस्था में खामियों के कारण निगम के आदेशों का पालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। इससे आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कर्मचारियों की समस्या भी गंभीर है और उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए।
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