नई दिल्ली: निषाद कुमार ने ऊंची कूद और सिमरन शर्मा ने 100 मीटर दौड़ में अपना पहला विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप गोल्ड मेडल जीता जिससे भारत शुक्रवार को चौथे स्थान पर पहुंच गया। प्रीति पाल और परदीप कुमार ने क्रमशः 200 मीटर और चक्का फेंक में ब्रॉन्ज मेडल जीते। इन चार मेडलों की बदौलत भारत तालिका में सातवें स्थान से तीन पायदान ऊपर चौथे स्थान पर पहुंच गया। भारत के अब कुल छह गोल्ड, पांच सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल हैं। प्रतियोगिता में अब दो दिन बचे हैं और मेजबान टीम कोबे 2024 (जापान) में हासिल किए गए अपने सर्वश्रेष्ठ 17 मेडलों के प्रदर्शन को और बेहतर करने की ओर बढ़ रही है। ब्राजील 12 गोल्ड के साथ पहले जबकि चीन दूसरे और पोलैंड तीसरे नंबर पर है।
दिल्ली की सिमरन ने महिलाओं की 100 मीटर टी12 स्पर्धा के फाइनल में 11.95 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से भारत के लिए दिन का पहला गोल्ड मेडल जीता। यह इस स्पर्धा का उनका पहला खिताब था। उन्होंने जापान में हुए पिछले पैरालंपिक खेलों में 200 मीटर स्पर्धा में गोल्ड और 2024 पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह यहां भी 200 मीटर स्पर्धा में हिस्सा लेंगी। टी12 वर्ग में दृष्टि संबंधित विकारों वाले एथलीट हिस्सा लेते हैं। सिमरन ने अपने गाइड उमर सैफी के साथ दौड़ लगाई।
सिमरन का जन्म समय से ढाई महीने पहले हुआ था। वह छह महीने तक ‘इनक्यूबेटर’ में रही थी। 25 वर्षीय सिमरन को उनके पिता मनोज शर्मा इस खेल में लेकर आए। सिमरन ने कहा, ‘अपने देश के लिए दौड़ना मजेदार है। मैं हमेशा से अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने 100 मीटर में गोल्ड मेडल जीता है और अब मैं 200 मीटर में भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगी।’
निषाद ने अपने 26वें जन्मदिन पर पुरुषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा जीती। उन्होंने 2.14 मीटर की छलांग लगाकर एशियाई रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता। यह पैरालंपिक या विश्व पैरा चैंपियनशिप में उनका पहला गोल्ड मेडल भी था। उन्होंने तोक्यो और पेरिस पैरालंपिक में सिल्वर मेडल, 2019 विश्व चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल और 2023 चरण में सिल्वर मेडल जीता।
निषाद ने कहा, ‘मैं इस दिन का एक साल से इंतजार कर रहा था। मैं इस दिन के लिए बहुत मेहनत कर रहा था। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। मेरे पास पहले से ही सिल्वर मेडल हैं। मैं कई साल से इस गोल्ड मेडल का इंतजार कर रहा था। मैंने अपनी डायरी में लिखा था कि मैं आज यह (गोल्ड मेडल) जीतूंगा।’
हिमाचल प्रदेश के ऊना के रहने वाले निषाद ने पांच बार के गत विजेता और तीन बार के पैरालंपिक गोल्ड मेडल विजेता अमेरिका के रोडरिक टाउनसेंड को पछाड़ा। टाउनसेंड केवल 2.03 मीटर की छलांग से ब्रॉन्ज मेडल जीत पाए जबकि तुर्किये के अब्दुल्ला इल्गाज ने 2.08 मीटर के साथ सिल्वर मेडल जीता। निषाद ने छह साल की उम्र में घास काटने वाली मशीन दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ खो दिया था। टी47 वर्ग उन पैरा एथलीटों के लिए है जिनकी कोहनी या कलाई के नीचे का हिस्सा कट गया हो या कोई दिव्यांगता हो।
महिलाओं की 200 मीटर टी35 फाइनल में प्रीति ने 30.03 सेकेंड से सत्र का सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए चीन की गुओ कियानकियान (29.50 सेकेंड) और इराक की फातिमा सुवेद (30.00 सेकेंड) से पिछड़ने के बाद ब्रॉन्ज मेडल जीता। पुरुषों की चक्का फेंक एफ64 में परदीप ने 46.23 मीटर से सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता। क्रोएशिया के इवान कटानुसिक ने 55.12 मीटर के थ्रो गोल्ड मेडल जबकि अमेरिका के मैक्स रोहन ने 50.92 मीटर से सिल्वर मेडल जीता। टी35 वर्ग समन्वय संबंधी कमजोरी वाले एथलीटों के लिए है जबकि एफ64 उन एथलीटों के लिए है जिनके निचले अंगों की गति प्रभावित हो या घुटने के नीचे पैर नहीं हो।
दिल्ली की सिमरन ने महिलाओं की 100 मीटर टी12 स्पर्धा के फाइनल में 11.95 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से भारत के लिए दिन का पहला गोल्ड मेडल जीता। यह इस स्पर्धा का उनका पहला खिताब था। उन्होंने जापान में हुए पिछले पैरालंपिक खेलों में 200 मीटर स्पर्धा में गोल्ड और 2024 पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह यहां भी 200 मीटर स्पर्धा में हिस्सा लेंगी। टी12 वर्ग में दृष्टि संबंधित विकारों वाले एथलीट हिस्सा लेते हैं। सिमरन ने अपने गाइड उमर सैफी के साथ दौड़ लगाई।
सिमरन का जन्म समय से ढाई महीने पहले हुआ था। वह छह महीने तक ‘इनक्यूबेटर’ में रही थी। 25 वर्षीय सिमरन को उनके पिता मनोज शर्मा इस खेल में लेकर आए। सिमरन ने कहा, ‘अपने देश के लिए दौड़ना मजेदार है। मैं हमेशा से अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने 100 मीटर में गोल्ड मेडल जीता है और अब मैं 200 मीटर में भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगी।’
निषाद ने अपने 26वें जन्मदिन पर पुरुषों की ऊंची कूद टी47 स्पर्धा जीती। उन्होंने 2.14 मीटर की छलांग लगाकर एशियाई रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता। यह पैरालंपिक या विश्व पैरा चैंपियनशिप में उनका पहला गोल्ड मेडल भी था। उन्होंने तोक्यो और पेरिस पैरालंपिक में सिल्वर मेडल, 2019 विश्व चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल और 2023 चरण में सिल्वर मेडल जीता।
निषाद ने कहा, ‘मैं इस दिन का एक साल से इंतजार कर रहा था। मैं इस दिन के लिए बहुत मेहनत कर रहा था। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। मेरे पास पहले से ही सिल्वर मेडल हैं। मैं कई साल से इस गोल्ड मेडल का इंतजार कर रहा था। मैंने अपनी डायरी में लिखा था कि मैं आज यह (गोल्ड मेडल) जीतूंगा।’
हिमाचल प्रदेश के ऊना के रहने वाले निषाद ने पांच बार के गत विजेता और तीन बार के पैरालंपिक गोल्ड मेडल विजेता अमेरिका के रोडरिक टाउनसेंड को पछाड़ा। टाउनसेंड केवल 2.03 मीटर की छलांग से ब्रॉन्ज मेडल जीत पाए जबकि तुर्किये के अब्दुल्ला इल्गाज ने 2.08 मीटर के साथ सिल्वर मेडल जीता। निषाद ने छह साल की उम्र में घास काटने वाली मशीन दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ खो दिया था। टी47 वर्ग उन पैरा एथलीटों के लिए है जिनकी कोहनी या कलाई के नीचे का हिस्सा कट गया हो या कोई दिव्यांगता हो।
महिलाओं की 200 मीटर टी35 फाइनल में प्रीति ने 30.03 सेकेंड से सत्र का सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए चीन की गुओ कियानकियान (29.50 सेकेंड) और इराक की फातिमा सुवेद (30.00 सेकेंड) से पिछड़ने के बाद ब्रॉन्ज मेडल जीता। पुरुषों की चक्का फेंक एफ64 में परदीप ने 46.23 मीटर से सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता। क्रोएशिया के इवान कटानुसिक ने 55.12 मीटर के थ्रो गोल्ड मेडल जबकि अमेरिका के मैक्स रोहन ने 50.92 मीटर से सिल्वर मेडल जीता। टी35 वर्ग समन्वय संबंधी कमजोरी वाले एथलीटों के लिए है जबकि एफ64 उन एथलीटों के लिए है जिनके निचले अंगों की गति प्रभावित हो या घुटने के नीचे पैर नहीं हो।
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