नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप और तमिलनाडु इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के एक साथ आने से 1980 के दशक के मध्य में टाइटन का जन्म हुआ था। उनका लक्ष्य घड़ियों और गहनों को देखने का भारतीयों का नजरिया बदलना। कई साल तक टाइटन ने कारीगरी, भरोसे और डिजाइन में नए मानक स्थापित किए। देखते ही देखते कंपनी का रिटेल बिजनेस 60,000 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसमें जूलरी का सबसे बड़ा योगदान है। लेकिन कंपनी का एक बिजनेस रफ्तार नहीं पकड़ पाया। उसका आईवियर यानी चश्मे का बिजनेस एक शांत कोने में ही सिमट कर रह गया।
लगभग दो दशक बाद एक युवा इंजीनियर पीयूष बंसल ने आईवियर में एक अलग मौका देखा। साल 2010 में उन्होंने लेंसकार्ट की स्थापना की। उनका लक्ष्य चश्मों को सभी के लिए सुलभ बनाने के साथ ही इसे फैशनेबल और टेक्नोलॉजी से जोड़ना था। लेंसकार्ट ने सिर्फ चश्मे नहीं बेचे बल्कि भारत में उन्हें खरीदने का तरीका ही हमेशा के लिए बदल दिया। नतीजा यह है कि अब वह उस कैटेगरी पर राज कर रहा है जिसका सपना कभी टाइटन ने देखा था।
टाइटन आइवियर का रेवेन्यू
टाइटन आईवियर देश की सबसे पुरानी संगठित ऑप्टिकल रिटेल चेन में से एक होने के बावजूद टाइटन के कुल रेवेन्यू में 2% से भी कम योगदान देती है। FY25 में, इसने 796 करोड़ रुपये का रेवेन्यू और 85 करोड़ रुपये का EBIT दर्ज किय। इसकी तुलना में जूलरी सेगमेंट टाइटन की टॉपलाइन का 88% हिस्सा बनाता है। दूसरी ओर लेंसकार्ट ने वित्त वर्ष 2025 में 6,653 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जो टाइटन आई+ से 8 गुना से भी ज्यादा है। साथ ही इसने 975 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट कमाया।
पिछले तीन साल में इसका रेवेन्यू 30–60% के CAGR से बढ़ा है। दूसरी ओर टाइटन आई+ ने 10–13% की रेंज में वृद्धि देखी है। ऑपरेशनल तौर पर, लेंसकार्ट लगभग 2,100 स्टोर चलाता है, जो टाइटन आई के 900 स्टोर से दोगुने से भी ज्यादा हैं। लेकिन स्टोर की संख्या मायने नहीं रखती बल्कि यह मायने रखता है कि लेंसकार्ट उन्हें अपने डिजिटल फनल के साथ कैसे जोड़ता है। इसके लगभग 70% ग्राहक डिजिटल माध्यमों से आते हैं और इसके आधे से ज्यादा लेनदेन अभी भी स्टोर में ही होते हैं।
लेंसकार्ट का कमाल
इस परफेक्ट ओमनीचैनल (ऑनलाइन और ऑफलाइन का मेल) बैलेंस ने लेंसकार्ट को पारंपरिक रिटेल कंपनियों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से आगे बढ़ने में मदद की है। टाइटन आई+ फिजिकल रिटेल और ऑप्टिशियन-बेस्ड सर्विसेज में मजबूत है, लेकिन कंपनी टेक-ड्रिवन कस्टमर खींचने, प्राइवेट लेबल और वैश्विक पहुंच में पिछड़ रही है। निवेशकों के लिए टाइटन का आईवियर बिजनेस ज्यादा मायने नहीं रखता। विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर टाइटन आई+ की वैल्यूएशन रातोंरात दोगुनी भी हो जाए, तो भी टाइटन की कुल मार्केट कैप में 2% से भी कम की बढ़ोतरी होगी।
इसका कारण यह है कि आईवियर टाइटन के पोर्टफोलियो में बहुत छोटा है और इसका स्ट्रक्चर बहुत पारंपरिक है। इस सेगमेंट का अनुमानित वैल्यूएशन लगभग 4,000-4,800 करोड़ रुपये है, जो एक पारंपरिक बिजनेस मॉडल पर आधारित है। जानकारों का कहना है कि बाजार ने हमेशा टाइटन आई+ को बहुत कम स्वतंत्र वैल्यू दी। बोनांजा के रिसर्च एनालिस्ट अभिनव तिवारी कहते हैं कि यह 60,000 करोड़ रुपये के भीतर एक छोटा रिटेल वर्टिकल है।
टाइटन को कैसे होगा फायदा?लेमन मार्केट के गौरव गर्ग ने कहा कि लेंसकार्ट का 70,000 करोड़ रुपये का IPO दिखाता है कि निवेशक इनोवेशन, स्केलेबिलिटी और डेटा-आधारित बिजनेस मॉडल को कितना महत्व देते हैं। इसकी तुलना में टाइटन आई+ एक स्थिर लेकिन पुरानी दुनिया का बिजनेस है। दोनों कंपनियां अलग-अलग प्लेबुक को दर्शाती हैं। टाइटन आई+ एक विरासत रिटेल ब्रांड है जो भरोसे, सटीकता और सर्विस पर आधारित है जबकि लेंसकार्ट एक टेक्नोलॉजी-फर्स्ट डिसरप्टर है। फिर भी लेंसकार्ट की सफलता टाइटन के लिए एक उम्मीद की किरण है। लेंसकार्ट की लिस्टिंग आईवियर बाजार को लेकर निवेशकों की धारणा को फिर से परिभाषित करेगी और लॉन्ग टर्म में टाइटन को भी इसका फायदा मिल सकता है।
लगभग दो दशक बाद एक युवा इंजीनियर पीयूष बंसल ने आईवियर में एक अलग मौका देखा। साल 2010 में उन्होंने लेंसकार्ट की स्थापना की। उनका लक्ष्य चश्मों को सभी के लिए सुलभ बनाने के साथ ही इसे फैशनेबल और टेक्नोलॉजी से जोड़ना था। लेंसकार्ट ने सिर्फ चश्मे नहीं बेचे बल्कि भारत में उन्हें खरीदने का तरीका ही हमेशा के लिए बदल दिया। नतीजा यह है कि अब वह उस कैटेगरी पर राज कर रहा है जिसका सपना कभी टाइटन ने देखा था।
टाइटन आइवियर का रेवेन्यू
टाइटन आईवियर देश की सबसे पुरानी संगठित ऑप्टिकल रिटेल चेन में से एक होने के बावजूद टाइटन के कुल रेवेन्यू में 2% से भी कम योगदान देती है। FY25 में, इसने 796 करोड़ रुपये का रेवेन्यू और 85 करोड़ रुपये का EBIT दर्ज किय। इसकी तुलना में जूलरी सेगमेंट टाइटन की टॉपलाइन का 88% हिस्सा बनाता है। दूसरी ओर लेंसकार्ट ने वित्त वर्ष 2025 में 6,653 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जो टाइटन आई+ से 8 गुना से भी ज्यादा है। साथ ही इसने 975 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट कमाया।
पिछले तीन साल में इसका रेवेन्यू 30–60% के CAGR से बढ़ा है। दूसरी ओर टाइटन आई+ ने 10–13% की रेंज में वृद्धि देखी है। ऑपरेशनल तौर पर, लेंसकार्ट लगभग 2,100 स्टोर चलाता है, जो टाइटन आई के 900 स्टोर से दोगुने से भी ज्यादा हैं। लेकिन स्टोर की संख्या मायने नहीं रखती बल्कि यह मायने रखता है कि लेंसकार्ट उन्हें अपने डिजिटल फनल के साथ कैसे जोड़ता है। इसके लगभग 70% ग्राहक डिजिटल माध्यमों से आते हैं और इसके आधे से ज्यादा लेनदेन अभी भी स्टोर में ही होते हैं।
लेंसकार्ट का कमाल
इस परफेक्ट ओमनीचैनल (ऑनलाइन और ऑफलाइन का मेल) बैलेंस ने लेंसकार्ट को पारंपरिक रिटेल कंपनियों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से आगे बढ़ने में मदद की है। टाइटन आई+ फिजिकल रिटेल और ऑप्टिशियन-बेस्ड सर्विसेज में मजबूत है, लेकिन कंपनी टेक-ड्रिवन कस्टमर खींचने, प्राइवेट लेबल और वैश्विक पहुंच में पिछड़ रही है। निवेशकों के लिए टाइटन का आईवियर बिजनेस ज्यादा मायने नहीं रखता। विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर टाइटन आई+ की वैल्यूएशन रातोंरात दोगुनी भी हो जाए, तो भी टाइटन की कुल मार्केट कैप में 2% से भी कम की बढ़ोतरी होगी।
इसका कारण यह है कि आईवियर टाइटन के पोर्टफोलियो में बहुत छोटा है और इसका स्ट्रक्चर बहुत पारंपरिक है। इस सेगमेंट का अनुमानित वैल्यूएशन लगभग 4,000-4,800 करोड़ रुपये है, जो एक पारंपरिक बिजनेस मॉडल पर आधारित है। जानकारों का कहना है कि बाजार ने हमेशा टाइटन आई+ को बहुत कम स्वतंत्र वैल्यू दी। बोनांजा के रिसर्च एनालिस्ट अभिनव तिवारी कहते हैं कि यह 60,000 करोड़ रुपये के भीतर एक छोटा रिटेल वर्टिकल है।
टाइटन को कैसे होगा फायदा?लेमन मार्केट के गौरव गर्ग ने कहा कि लेंसकार्ट का 70,000 करोड़ रुपये का IPO दिखाता है कि निवेशक इनोवेशन, स्केलेबिलिटी और डेटा-आधारित बिजनेस मॉडल को कितना महत्व देते हैं। इसकी तुलना में टाइटन आई+ एक स्थिर लेकिन पुरानी दुनिया का बिजनेस है। दोनों कंपनियां अलग-अलग प्लेबुक को दर्शाती हैं। टाइटन आई+ एक विरासत रिटेल ब्रांड है जो भरोसे, सटीकता और सर्विस पर आधारित है जबकि लेंसकार्ट एक टेक्नोलॉजी-फर्स्ट डिसरप्टर है। फिर भी लेंसकार्ट की सफलता टाइटन के लिए एक उम्मीद की किरण है। लेंसकार्ट की लिस्टिंग आईवियर बाजार को लेकर निवेशकों की धारणा को फिर से परिभाषित करेगी और लॉन्ग टर्म में टाइटन को भी इसका फायदा मिल सकता है।
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