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Vaishakh Month 2025 : वैशाख मास में जरूरी हैं ये कार्य, इन कार्यों से जल्द चमक सकती है आपकी किस्मत

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हिन्दु धर्म के त्रिदेवों में भगवान विष्णु की आराधना का पवित्र मास है वैशाख मास। भगवान विष्णु का एक नाम श्री हरि भी है, शास्त्रों में हरि का अर्थ अज्ञान और उसके बुरे परिणामों का नाश करने वाला बताया गया है। इसलिए वैशाख मास में भगवान विष्णु की उपासना और अध्यात्म में लीन होकर धर्म-कर्म को मानने वाले भक्त स्वास्थ्य लाभ, आरोग्यता के साथ पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार सभी प्रकार के दान से जो पुण्य और समस्त तीर्थों में दर्शन-पूजन आदि से जो पुण्य फल प्राप्त होता है उसे मनुष्य वैशाख मास में केवल जल दान, प्याउ आदि की व्यवस्था कर प्राप्त कर सकता है। इसलिए धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि वैशाख मास में प्याउ लगाकर रास्ते के थके-मांदे मनुष्यों को जो संतुष्ट करता है, वह ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करता है। वैशाख मास में जल की इच्छा रखने वाले को जल, छाया चाहने वाले को छाता और पंखे की इच्छा रखने वाले को पंखा देना चाहिए। जो प्यास से पीड़ित महात्मा पुरूष के लिए शीतल जल प्रदान करता है, वह उतने ही मात्र से दस हजार राजसूर्य यज्ञों का फल पाता है। वैशाख मास में प्रातः सूर्योदय से पूर्व ही निकट की किसी नदी, सरोवर, बावड़ी अथवा कूएं पर स्नान करके इष्टदेव की आराधना की जाती है। ”ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नमः“ मंत्र की कम-से-कम पांच माला जप का विधान है। पूरे मास एक समय भोजन करना चाहिए और यदि यह संभव न हो तो वैशाख शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक अन्तिम पांच दिन तो व्रत अवश्य करना चाहिए। स्नान के बाद पीपल और पथवारी पर नियमित रूप से जल भी चढ़ाया जाता है। पीपल के वृक्ष के पास एक पत्थर स्थापित करके उसे ही पथवारी मान लिया जाता है। वैशाख मास के देवता भगवान मधुसूदन हैं, उनकी इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए, मधुसूदन देवेश वैशाखे मेषगे रवौ। प्रातः स्नानं करिष्यामि निर्विघ्नं कुरू माधव।।तत्पश्चात् निम्न मंत्र से नित्य सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें,वैशाखे मेषगे भानौ प्रातः स्नानपरायणः। अर्घ्यं तेऽहें प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।
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