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गन्ने के खेतों में छिपकर बैठा खूनी शिकारी! बिजनौर के 110 गांवों में दहशत..ढाई साल में 33 मौत

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रात में अकेले बाहर निकलना मतलब आफत को दावत देना? यूपी के बिजनौर जिले के 110 गांव पिछले डेढ़ साल से दहशत में जी रहे हैं। वजह तेंदुए का आतंक। यहां लोगों को घरों से अकेले बाहर निकलना दूभर हो गया है। खासतौर से 22 गांव तो ऐसे हैं, जहां तेंदुआ ही नहीं बाघ का भी खतरा हर वक्त सिर पर मंडरा रहा है। तेंदुए के हमले के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो सच में डराने वाले हैं।



जंगलों के घटने से इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की स्थिति बढ़ती ही जा रही है। जंगली जानवर खाने की तलाश में इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं। उन क्षेत्रों में खतरा ज्यादा है, जो जंगल से लगे हुए हैं। बिजनौर ऐसा ही एक जिला है। जनवरी 2023 से यहां तेंदुए 33 लोगों की जान ले चुके हैं और 100 से ज्यादा लोगों को घायल कर चुके हैं।



बाघों ने खदेड़ा तो बस्तियों तक पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो बाघों की बढ़ती जनसंख्या भी एक वजह है कि तेंदुए इंसानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं। उनके मुताबिक अमनगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ी है और उन्होंने तेंदुओं को खदेड़ दिया है। नए ठिकाने की तलाश में तेंदुए बस्तियों की तरफ बढ़ रहे हैं। 2013 में इस टाइगर रिजर्व में 12 बाघ थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 34 हो चुकी है।



गन्ने के खेतों में छिप रहे तेंदुए बाघों का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। इसलिए तेंदुओं ने गन्ने के खेतों को अपना नया ठिकाना बना लिया है। यहां छिपकर वो खरगोश, हिरण, सांभर, बकरी, आवारा पशुओं और कुत्तों का शिकार कर रहे हैं।



80 से ज्यादा तेंदुए पकड़े गए पिछले 3 साल में इस जिले में 80 से ज्यादा तेंदुए पकड़े गए हैं जबकि करीब 30 एक्सीडेंट या किसी बीमारी की वजह से मारे गए। ढाई साल में इंसानों की मौत के आंकड़े भी बढ़े हैं। जनवरी, 2023 से अब तक 33 मौत हो चुकी हैं। पिछले 18 महीने से वन विभाग उन गांवों की लिस्ट तैयार कर रहा है, जहां तेंदुओं की मौजूदगी ज्यादा है।



वन विभाग ने बुलाई बैठक बीते गुरुवार को वन विभाग के अधिकारियों ने इंसानों के साथ बढ़ते संघर्ष को लेकर समीक्षा बैठक की। रेंजर्स को संवेदनशील गांवों के बारे में जानकारी दी गई है और वहां लोगों को जागरूक करने को कहा गया है। DFO (जिला वन अधिकारी) अभिनव राज के मुताबिक रेंजर्स को तुरंत इंसान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की रिपोर्ट तैयार करनी होगी और तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी। लोगों को यह भी अलर्ट करना होगा कि वे बच्चों को खेतों में न लेकर जाएं।



महिलाओं और बच्चों को बना रहा शिकार डीएफओ अभिनव राज के मुताबिक तेंदुए आमतौर पर महिलाओं और बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं। किसानों को कहा गया है कि वे सावधानी बरतें और समूह में बाहर जाएं। आबादी वाले क्षेत्र के पास गन्ने की खेती न करें क्योंकि तेंदुओं ने इसे ही अपना घर बना लिया है।

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