छत्रपति संभाजीनगर : महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां गोवर्धन पूजा के दिन एक महिला ने बैलों की पूजा की। पूजा करते समय उसने बैल के सिर पर सोने के आभूषण और मंगलसूत्र रखा। इसके बाद बैल पूजा की थाली से प्रसाद खाने लगा। इस दौरान उसने थाली में रखा मंगलसूत्र निगल लिया। इसके बाद परिवार ने इंतजार किया कि मंगलसूत्र बैल के गोबर से निकल आएगा। लेकिन जब सोना वापस नहीं आया, तो 14 दिन बाद ऑपरेशन करके बैल के पेट से सोना निकाला गया। यह घटना छत्रपति संभाजीनगर जिले के सिल्लोड तालुका के रेलगांव में सामने आई।
आखिर हुआ क्या था?
इस बीच इस मामले के बारे में अधिक जानकारी यह है कि छत्रपति संभाजीनगर जिले के सिल्लोड तालुका के रेलगांव में एक किसान केवल सिंह श्रीभान चिल्हारे अपने परिवार के साथ रहते हैं। चूंकि गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को थी। इसलिए परिवार की महिलाओं ने घर पर तैयारियां कीं। उन्होंने पूजा के लिए बैल को तैयार किया। चिल्हारे परिवार की गृहणियों ने शाम को बैल की पूजा की।
बैल ने कैसे निगला मंगलसूत्र?
परंपरा के अनुसार, उन्होंने बैल के सिर पर मंगलसूत्र और अन्य आभूषण रखे। फिर उन्हें उस थाली में रख दिया जहां उनकी आरती की गई थी। हालांकि उसी समय बैल ने थाली में रखे सोने को प्रसाद समझकर निगल लिया। यह जानकर परिवार स्तब्ध रह गया। हालांकि परिवार को उम्मीद थी कि ये आभूषण बैल के गोबर से मिलेंगे। 13 दिन बीत जाने के बाद भी आभूषण नहीं मिले।
बैल की हुई सर्जरी
आखिरकार चिल्हारे परिवार ने रिटायर सहायक पशुधन विकास अधिकारी डॉ जीएल पटेवड़ी को घटना की जानकारी दी। पटेवड़ी ने बैल की जांच की और ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। 14वें दिन दो घंटे के अथक प्रयास के बाद बैल के पेट से ऑपरेशन करके मंगलसूत्र निकाला गया। ऑपरेशन के बाद बैल भी ठीक है। इस घटना ने चिंतित परिवार के चेहरों पर खुशी ला दी।
आखिर हुआ क्या था?
इस बीच इस मामले के बारे में अधिक जानकारी यह है कि छत्रपति संभाजीनगर जिले के सिल्लोड तालुका के रेलगांव में एक किसान केवल सिंह श्रीभान चिल्हारे अपने परिवार के साथ रहते हैं। चूंकि गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को थी। इसलिए परिवार की महिलाओं ने घर पर तैयारियां कीं। उन्होंने पूजा के लिए बैल को तैयार किया। चिल्हारे परिवार की गृहणियों ने शाम को बैल की पूजा की।
बैल ने कैसे निगला मंगलसूत्र?
परंपरा के अनुसार, उन्होंने बैल के सिर पर मंगलसूत्र और अन्य आभूषण रखे। फिर उन्हें उस थाली में रख दिया जहां उनकी आरती की गई थी। हालांकि उसी समय बैल ने थाली में रखे सोने को प्रसाद समझकर निगल लिया। यह जानकर परिवार स्तब्ध रह गया। हालांकि परिवार को उम्मीद थी कि ये आभूषण बैल के गोबर से मिलेंगे। 13 दिन बीत जाने के बाद भी आभूषण नहीं मिले।
बैल की हुई सर्जरी
आखिरकार चिल्हारे परिवार ने रिटायर सहायक पशुधन विकास अधिकारी डॉ जीएल पटेवड़ी को घटना की जानकारी दी। पटेवड़ी ने बैल की जांच की और ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। 14वें दिन दो घंटे के अथक प्रयास के बाद बैल के पेट से ऑपरेशन करके मंगलसूत्र निकाला गया। ऑपरेशन के बाद बैल भी ठीक है। इस घटना ने चिंतित परिवार के चेहरों पर खुशी ला दी।
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