नई दिल्ली: क्या आपने बैंक से पर्सनल लोन लिया है? लिया है तो क्यों? क्या सैर-सपाटे के लिए या कोई गैजेट या घर की चीज खरीदने के लिए? कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने दिखावे की चीजें खरीदने के लिए लोन लिया हो। अगर ऐसा है तो आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ( CA Nitin Kaushik ) ने कर्ज को लेकर एक पोस्ट की है। उन्होंने अपनी पोस्ट में भारत में कर्ज लेने के बढ़ते चलन और खासकर शेयर बाजार में पैसा लगाने के लिए उधार लेने के खतरनाक ट्रेंड पर जोरदार बहस छेड़ दी है।
बिजनेस टुडे के मुताबिक कुछ महीने पहले लाखों व्यूज पाने वाली इस पोस्ट में एक स्क्रीनशॉट शेयर किया गया था। इसमें दावा किया गया था कि पर्सनल लोन से लिए गए पैसों से स्मॉल-कैप स्टॉक में 40% का मुनाफा हुआ। हालांकि पोस्ट का मकसद जल्दी पैसा कमाने की खुशी मनाना था, लेकिन इसने रिटेल निवेशकों के बीच 'उधार लेकर निवेश करने' की संस्कृति पर गहरी चिंता पैदा कर दी।
3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा उधार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 से मई 2025 के बीच भारतीयों ने पर्सनल लोन के तौर पर 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा उधार लिए हैं। इनमें से बड़ा हिस्सा युवा, नौकरीपेशा लोगों का है। इसी दौरान डीमैट खातों की संख्या 19 करोड़ के पार पहुंच गई, जो रिटेल बाजार में लोगों की भारी भागीदारी को दिखाता है। विशेषज्ञों को डर है कि आसान कर्ज और बाजार का यह उत्साह कई नए निवेशकों को वित्तीय रूप से बहुत ज्यादा बोझ तले दबा सकता है।
चुपचाप जीवन का तरीका बना कर्जअपने वायरल थ्रेड में कौशिक ने बताया कि कैसे भारत में उधार लेना चुपचाप जीवन का एक तरीका बन गया है। उन्होंने लिखा, 'आज किसी भी शोरूम में चले जाइए। चाहे वह कार हो, फोन हो या फर्नीचर, एक बात साफ दिखती है कि कोई भी पूरा भुगतान नहीं कर रहा है।' उन्होंने बताया कि भारत में करीब 70% आईफोन और 80% कारें ईएमआई पर खरीदी जाती हैं। यह दिखाता है कि कर्ज एक आदत बन गया है, न कि कोई वित्तीय योजना।
कर्ज से कुछ ने बना डाली दौलतनितिन कौशिक ने लिखा है कि कर्ज की वही व्यवस्था जिसने कुछ लोगों के लिए दौलत बनाई, उसने अनगिनत दूसरों को वित्तीय तनाव में भी धकेल दिया है। फर्क कर्ज में नहीं है, बल्कि उसके पीछे की मंशा और जागरूकता में है। कुछ लोग सोच-समझकर क्रेडिट का इस्तेमाल करते हैं। वहीं ज्यादातर लोग इसे भावनाओं में बहकर इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि बहुत से भारतीयों के लिए कर्ज संपत्ति नहीं बनाते। वे जिम्मेदारियां बनाते हैं। कार, फोन, लाइफस्टाइल- ये सब कर्ज चुकाने से ज्यादा तेजी से अपनी कीमत खो देते हैं।' उन्होंने अच्छे कर्ज की परिभाषा बताई। ऐसा कर्ज जिसका कोई असली मकसद हो, जैसे कि शिक्षा के लिए पैसा लेना, अपनी क्षमता के अनुसार घर खरीदना या मजबूत कैश फ्लो वाले व्यवसाय को सहारा देना।
बिजनेस टुडे के मुताबिक कुछ महीने पहले लाखों व्यूज पाने वाली इस पोस्ट में एक स्क्रीनशॉट शेयर किया गया था। इसमें दावा किया गया था कि पर्सनल लोन से लिए गए पैसों से स्मॉल-कैप स्टॉक में 40% का मुनाफा हुआ। हालांकि पोस्ट का मकसद जल्दी पैसा कमाने की खुशी मनाना था, लेकिन इसने रिटेल निवेशकों के बीच 'उधार लेकर निवेश करने' की संस्कृति पर गहरी चिंता पैदा कर दी।
3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा उधार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 से मई 2025 के बीच भारतीयों ने पर्सनल लोन के तौर पर 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा उधार लिए हैं। इनमें से बड़ा हिस्सा युवा, नौकरीपेशा लोगों का है। इसी दौरान डीमैट खातों की संख्या 19 करोड़ के पार पहुंच गई, जो रिटेल बाजार में लोगों की भारी भागीदारी को दिखाता है। विशेषज्ञों को डर है कि आसान कर्ज और बाजार का यह उत्साह कई नए निवेशकों को वित्तीय रूप से बहुत ज्यादा बोझ तले दबा सकता है।
चुपचाप जीवन का तरीका बना कर्जअपने वायरल थ्रेड में कौशिक ने बताया कि कैसे भारत में उधार लेना चुपचाप जीवन का एक तरीका बन गया है। उन्होंने लिखा, 'आज किसी भी शोरूम में चले जाइए। चाहे वह कार हो, फोन हो या फर्नीचर, एक बात साफ दिखती है कि कोई भी पूरा भुगतान नहीं कर रहा है।' उन्होंने बताया कि भारत में करीब 70% आईफोन और 80% कारें ईएमआई पर खरीदी जाती हैं। यह दिखाता है कि कर्ज एक आदत बन गया है, न कि कोई वित्तीय योजना।
The real difference between how the rich use loans vs how most Indians get trapped in them 🧵👇🏼#stockmarket #investingtips #finance #realestate pic.twitter.com/qQGDPtQPqU
— CA Nitin Kaushik (FCA) | LLB (@Finance_Bareek) October 30, 2025
कर्ज से कुछ ने बना डाली दौलतनितिन कौशिक ने लिखा है कि कर्ज की वही व्यवस्था जिसने कुछ लोगों के लिए दौलत बनाई, उसने अनगिनत दूसरों को वित्तीय तनाव में भी धकेल दिया है। फर्क कर्ज में नहीं है, बल्कि उसके पीछे की मंशा और जागरूकता में है। कुछ लोग सोच-समझकर क्रेडिट का इस्तेमाल करते हैं। वहीं ज्यादातर लोग इसे भावनाओं में बहकर इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि बहुत से भारतीयों के लिए कर्ज संपत्ति नहीं बनाते। वे जिम्मेदारियां बनाते हैं। कार, फोन, लाइफस्टाइल- ये सब कर्ज चुकाने से ज्यादा तेजी से अपनी कीमत खो देते हैं।' उन्होंने अच्छे कर्ज की परिभाषा बताई। ऐसा कर्ज जिसका कोई असली मकसद हो, जैसे कि शिक्षा के लिए पैसा लेना, अपनी क्षमता के अनुसार घर खरीदना या मजबूत कैश फ्लो वाले व्यवसाय को सहारा देना।
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